यह कितना बड़ा साहस का काम होता है, जब एक परीक्षार्थी की मां सड़क हादसे में अपनी जान गवा बैठती है, जो अपनी बेटी को परीक्षा केंद्र पर लेकर आई थी. उस मां की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है. फिर भी मृतका की बेटी ने परीक्षा दी. यह आसान नहीं होता है. इसके लिए कलेजे में दम चाहिए, दुखों को सहने का… और इस तरह का साहस विरले ही दिखा पाते हैं. लेकिन ऐसा ही एक कठोर साहस दिखाया है एक छात्रा ने, जो आईसीएसई बोर्ड की परीक्षा देने अपनी मां के साथ परीक्षा केंद्र पर आई थी.
इन दिनों सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं. उच्चतर माध्यमिक परीक्षाओं के अलावा आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाएं भी चल रही है. बच्चों को उनके परीक्षा केंद्र पर ले जाने के लिए अभिभावक उनके साथ ही होते हैं. जगदल थाना अंतर्गत श्याम नगर इलाके में हुआ यह हादसा सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है. परीक्षार्थी का नाम सृजा सेन गुप्ता है और उसकी मां का नाम शिउली सेनगुप्ता बताया जा रहा है. दोनों मां बेटी श्याम नगर के आतपुर के स्कूल में स्थित परीक्षा केंद्र आए थे. इसी परीक्षा केंद्र में सृजा को बैठना था.
सृजा अपनी मां के साथ आज आईसीएसई बोर्ड की दसवीं कक्षा की परीक्षा देने जा रही थी. सृजा की मां अपनी बेटी को लेकर सोदपुर से ट्रेन में श्याम नगर पहुंची थी. वहां से दोनों मां बेटी टोटो पर सवार हुई. टोटो में चार यात्रियों की जगह 6 यात्री सवार थे. सभी यात्री परीक्षा केंद्र जा रहे थे. उनमें तीन परीक्षार्थी और तीन उनके अभिभावक थे. जैसे ही टोटो श्याम नगर के पावर हाउस के पास पहुंचा, सामने से आ रहे एक वाहन से अचानक टोटो टकरा गया और पलट गया.
इस हादसे में सभी को चोट आई. हालांकि घटना के बाद सृजा की मां शिउली बुरी तरह अचेत हो गई थी. उन्हें तुरंत भाटपारा स्टेट जनरल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.अस्पताल में ही जख्मी छात्रा सृजा ने बताया कि उसे परीक्षा केंद्र जाना है, जहां उसका पेपर था. वहां से उसे परीक्षा केंद्र भेजने की व्यवस्था की गई. अपनी मां को हादसे में गंवा चुकी सृजा ने किसी तरह दिल पर पत्थर रखकर अपना बोर्ड एग्जाम पूरा किया है. सोशल मीडिया में उसके साहस की खूब चर्चा हो रही है.
सृजा छात्र और छात्राओं के लिए प्रेरणा की केंद्र हैं.उसने बताया है कि दुख के समय में भी मानवीय भावना में उठने, लड़ने और डटे रहने की शक्ति होती है. जज्बा, अडिगता और दृढ़ संकल्प हो तो बड़ा से बड़ा दुख भी हल्का हो जाता है.
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