April 16, 2025
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क्या इस बार तीस्ता में नहीं आएगी बाढ़?

राज्य सिंचाई विभाग और सरकार की मंशा तो कुछ ऐसी ही है. परंतु कार्य थोड़ा कठिन है. ऐसे में लगता नहीं है कि बरसात से पहले यह कार्य संपन्न हो जाएगा. क्योंकि अभी तो राज्य सिंचाई विभाग को कई प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. उसके बाद ही तीस्ता नदी की साफ सफाई में गति आएगी.

हालांकि सरकार की माने तो इस बार तीस्ता नदी में बाढ़ की गुंजाइश नहीं है. क्योंकि राज्य सिंचाई विभाग बरसात से पूर्व ही तीस्ता नदी के तल को साफ करने की रणनीति पर काम करने जा रहा है. इससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि इस बार तीस्ता नदी में बाढ की संभावना नहीं होगी.सेवक से लेकर फुलबारी तक तीस्ता नदी बरसात के दिनों में विकराल स्वरूप धारण कर लेती है और अपने किनारो पर स्थित कई बस्तियों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है.

लालटंग बस्ती के लोग तो बरसात के दिनों में हमेशा ही त्राहिमाम करने लगते हैं. इसके अलावा राजगंज ब्लॉक के अंतर्गत कई तटवर्ती इलाके भी बाढ़ में घिर जाते हैं. बीरेन बस्ती से रंगधामली, पहाड़पुर मयनागुडी सब जगह त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. राज्य सिंचाई विभाग और विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंच गए हैं कि तीस्ता नदी का तल काफी ऊपर हो गया है, जिसे हटाने अथवा साफ करने की जरूरत है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो एक बार फिर से 2023 जैसी विनाशकारी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. नदी विशेषज्ञ भी इस पर सहमत हो गए हैं कि तीस्ता के तल को साफ करने की जरूरत है.

काम थोड़ा कठिन जरूर है. परंतु तीस्ता नदी के तल को साफ करने से तल गहरा होगा, जिससे नदी में पानी संचय की क्षमता बढ़ जाएगी. बाढ़ से बचने के लिए ऐसा करना जरूरी है. पर यह काम जितना जल्दी हो सके, किया जाना चाहिए. काम ज्यादा है और उसके हिसाब से वक्त कम है. नदी की खुदाई में काफी पैसों की भी जरूरत है. परंतु राज्य सिंचाई विभाग ने इस फार्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है कि राज्य सरकार का पैसा भी खर्च ना हो. आमदनी भी हो और काम भी पूरा हो जाए.

यह तरीका है तीस्ता नदी से बालू निकालकर बेचना और इस पैसे से नदी की सफाई करना. सिंचाई विभाग ने नदी की गहराई बढ़ाने के लिए 556 करोड रुपए की डीपीआर तैयार की है. सरकार नदी का बालू बेचकर पैसे जुटाएगी और उसे पैसे को सफाई के कार्य में लगाया जाएगा. यूं तो राज्य सरकार विभिन्न नदियों में रॉयल्टी के माध्यम से बालू बेचती रही है. लेकिन यह पहला मौका है, जब राज्य सिंचाई विभाग ने तीस्ता नदी से बालू बेचकर सफाई का यह तरीका ढूंढा है. सरकार की मंशा और नीयत चाहे जो भी हो, परंतु कुछ लोगों को लगता है कि नदी से बालू बेचने का सरकार का फैसला भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती है.

कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की है कि राज्य सरकार ने नदी से बालू बेचने और राजकोष बढ़ाने के लिए यह फैसला किया है. आलोचकों का यह भी कहना है कि सरकार को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि तीस्ता नदी की सफाई होगी. बल्कि उनका यह कहना है कि सेवक से लेकर फुलबारी चमक डांगी तक बालू बेचकर सरकार अपना खजाना भरने जा रही है. लोगों ने कहा है कि तीस्ता नदी की सफाई के नाम पर सरकार अपनी आय बढ़ाने जा रही है. किसी भी सरकार या संगठन द्वारा अपनी आय बढ़ाना कोई बुरी बात नहीं है. परंतु यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सरकार आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ अपना मिशन भी पूरा करे.

राज्य सिंचाई विभाग को यह कार्य मिशन के रूप में लेना चाहिए. क्योंकि लालटांग बस्ती को तीस्ता ने तो पहले ही निगल लिया है. अगर कार्य में कोताही बरती गई तो आने वाली बरसात और बाढ़ में तीस्ता नदी और कई बस्तियों को निगल लेगी. ऐसे में सरकार और सिंचाई विभाग को एक ठोस रणनीति बनाकर काम करना चाहिए. तीस्ता नदी कई स्थानों पर कई फीट ऊंची हो गई है. कुछ स्थानों पर यह 3 फीट ऊंची है तो कई स्थानों पर यह 7 फीट ऊंची हो गई है. इसके कारण ही नदी का तल ऊपर नीचे हो जाने से बाढ की विभीषिका बनी रहती है. अगर यहां रेत खनन करके तल को एक बराबर कर दिया जाता है तो बाढ नियंत्रण की दिशा में एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत होगा.

बहरहाल कार्य योजना तैयार है. उत्तर पूर्वी डिवीजन के मुख्य अभियंता कृष्णेन्दु भौमिक ने कहा है कि तीस्ता नदी के पांच स्थानों से बालू के नमूने एकत्र कर लिए गए हैं. बालू की गुणवत्ता के आधार पर उसकी नीलामी की जाएगी और उनसे प्राप्त आय से तीस्ता नदी के तल की सफाई की जाएगी. जो भी हो, यह पहला मौका है जब सरकार तीस्ता नदी के बालू को बेच रही है. इससे पहले यह खबर सुनने को नहीं मिली थी. सरकार और पर्यावरणविदों को इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि तीस्ता के तल से बालू हटाते समय नदी की गहराई और संतुलन का खतरा न हो.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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