मानसून आने में कोई ज्यादा देर नहीं है. लेकिन उससे पहले तीस्ता नदी के किनारे बसे गांवों और बस्तियों में लोग सहमे और डरे हुए हैं. जिस तरह से तीस्ता नदी के बारे में विशेषज्ञ चर्चा कर रहे हैं,उससे यही लग रहा है कि इस बार मानसून में अगर सिक्किम में कोई भयानक आपदा अथवा तीस्ता नदी में बाढ़ आती है, तो पहाड़ और बंगाल के तटवर्ती इलाकों जैसे कालिमपोंग, सेवक और जलपाईगुड़ी जिले में विनाशकारी बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है. नदी किनारे रहने वाले लोग अभी से ही वैकल्पिक स्थानों की तलाश में लग गए हैं.
हाल ही में तीस्ता नदी के किनारे बसे लोगों को जागरूक करने और तीस्ता नदी से सावधान करने के उद्देश्य से जलपाईगुड़ी के कुछ लोगों ने अपनी टीम के साथ सिक्किम से लेकर पहाड़ और समतल में बहने वाली तीस्ता नदी के किनारो की 18 दिनों तक लगातार पैदल यात्रा की थी. उनमें से जलपाईगुड़ी के सम्राट मौलिक ने तीस्ता नदी को लेकर जैसा बयान दिया है, उसके बाद नदी के किनारे बसे लोगों की रूह कांप गई है. सम्राट मौलिक ने बताया कि 2023 की सिक्किम झील आपदा के बाद तीस्ता नदी पहाड़ों और मैदानों में खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है. उनकी आशंका है कि अगले मानसून में अगर सिक्किम में कुछ बडा अप्रिय होता है तो समतल में तीस्ता नदी तांडव मचा सकती है. इससे पहले भी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने यही बात कही थी और सरकार को सावधान किया था.
चमक डांगी में रहने वाले सागर दास ने बताया कि घर में कीमती वस्तुओं को उन्होंने नहीं रखा है. इसके अलावा कई मवेशियों को अपने एक रिश्तेदार के यहां रखने का प्रबंध कर लिया है. पहले से हमारी बातचीत हो चुकी है.अगर इस बार हालात खराब होता है तो हम अपना नुकसान नहीं सहेंगे. पिछली बार की बाढ़ ने सब कुछ छीन लिया. अब घर में बचा ही क्या है. लेकिन जो बचा है. अगर यह भी छिन गया तो हम कहां रहेंगे. इसलिए पहले से ही प्रबंध करना होगा. माया, मिताली, सेवा और शंभू चमक डांगी में ही रहते हैं. उन्होंने कहा कि हम पहले से ही तैयार हैं. हमें लगता है कि इस बार चमक डांगी का शायद वजूद भी ना बचे. लेकिन फिर भी एक उम्मीद है. आगे देखते हैं, क्या होगा.
सेवक से जलपाईगुड़ी तक तीस्ता नदी कई स्थानों पर तांडव मचाती है. विशेषज्ञों की बात सुनकर मोहन कहते हैं कि अभी से ही डर लगने लगा है. मानसून आने में कोई ज्यादा समय नहीं है. वास्तव में तीस्ता नदी की गहराई भर चुकी है. यह बात सरकार को भी पता है. सरकारी मशीनरी ने कुछ दिन पहले तीस्ता नदी की गहराई बढ़ाने के लिए समतल में कई स्थानों को चिन्हित भी किया था. सिंचाई विभाग के इंजीनियर और टेक्नीशियन ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी. लेकिन काम शुरू होने से पहले ही काम रुक गया.
पहले तो यही फैसला किया गया कि सरकार स्वयं तीस्ता नदी की खुदाई के क्रम में निकले रेत और मिट्टी को बेचेगी और इस पैसे से तीस्ता नदी की गहराई बढ़ाई जाएगी. इस दिशा में अभी कोई काम नहीं हो रहा है. मानसून से पहले इस कार्य की योजना बनाई गई थी. जो अब खटाई में पड़ चुकी है. मिली जानकारी के अनुसार तीस्ता नदी बेसिन में कालिमपोंग और जलपाईगुड़ी जिलों में कई खतरनाक स्थितियां पैदा हो गई है. मैदानी इलाकों में तीस्ता नदी सड़क से नीचे बहती थी. अब सड़क के बराबर ऊंचाई पर बह रही है. सिक्किम और कालिमपोंग की पहाड़ियों से भूस्खलन के बाद बालू और पत्थर गिरते हैं जो तीस्ता नदी में बहते हुए मैदानी क्षेत्रों में तल में जमा होते जाते हैं. इससे नदी का तल ऊपर होता जाता है. यह स्थिति अत्यंत खतरनाक है.
सरकार तीस्ता नदी की गहराई बढ़ाने के लिए ड्रेजिंग की योजना बना रही है. लेकिन इस तरीके से भी तीस्ता नदी की गहराई हर जगह बढ़ाना संभव नहीं है. दूसरे में ड्रेजिंग की प्रक्रिया बहुत महंगी भी है. जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव देखा जा रहा है, उससे सिक्किम की डिकचू झील और अन्य झीलों की बर्फ पिघल सकती है. इससे एक नई मुसीबत खड़ी हो सकती है. 2023 की सिक्किम आपदा के बाद टूटे बांधों का पुनर्निर्माण नहीं कराया गया है. यह स्थिति भी गंभीर बारिश में नदी को विकराल बना सकती है. जानकार मानते हैं कि तीस्ता नदी जिस स्वरुप में पहुंच चुकी है, पहाड़ों और मैदानी इलाकों में बांध बनाकर भी स्थिति का समाधान नहीं निकाला जा सकता है. तीस्ता नदी के तांडव से बचने का एकमात्र रास्ता तीस्ता नदी की गहराई को बढ़ाना ही होगा. इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है.
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