सिलीगुड़ी में रहने वाली अनीता (काल्पनिक नाम) ने एक कूरियर कंपनी को पेमेंट करने के लिए उसके द्वारा दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन किया. उसके बाद उन्होंने कंपनी के द्वारा दिए गए पोर्टल पर यूपीआई पेमेंट कर दिया. लेकिन जब उन्होंने अपना बैलेंस चेक किया तो उनकी आंखों के समक्ष अंधेरा छा गया. अनीता के बैंक अकाउंट से लगभग चार लाख रुपये कट गए. इसी तरह से सुरेश, बलराम, चांदनी, परेश और अजय कुमार (यह सभी कल्पित नाम है) जैसे साइबर ठगी के शिकार लोगों की कहानी है.
किसी ने ₹500000 कटवाए तो किसी ने ₹80000. तो कुछ लोगों के अकाउंट से इतने पैसे कट गए कि उसके बाद वे सदमे में बीमार हो गए हैं. भुक्तभोगियों ने नाम और स्थान नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि यह सब कैसे हो गया, उन्हें आज तक समझ में नहीं आया. साइबर थाने में मामले दर्ज हैं. लेकिन उनका पैसा वापस मिलेगा भी , कुछ कह नहीं सकते हैं. पुलिस अपना काम जरुर कर रही है. लेकिन ऐसे साइबर मामलों में ठगी की रकम को वापस पाना आसमान से तारे तोड़ने जैसा कठिन होता है.
साइबर अपराधी फर्जी पोस्टर्स, व्हाट्सएप मैसेज और लिंक का इस्तेमाल कर लोगों को फ॔सा लेते हैं. एक बार साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आने के बाद फंसने के लगभग 95% चांस बढ़ जाते हैं. साइबर जालसाजों के द्वारा जो नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, अगर जरा भी चूक हो गई तो उनके जाल से बच पाना संभव नहीं है. फर्जी पुलिस बनने से लेकर डिजिटल अरेस्ट तक तमाम तरीकों का इस्तेमाल लोगों को अपने जाल में फ॔साने के लिए साइबर जालसाज कर रहे हैं. ऐसे में आप पढ़े लिखे हो या अनपढ़, कोई फर्क नहीं पड़ता. यह लोग सभी को बेवकूफ बना लेते हैं.
वर्तमान में साइबर ठगी का कोई ना कोई मामला समाचार पत्रों और मीडिया चैनल में रहता ही है. सिलीगुड़ी में साइबर थाने में जाने कितने ऐसे मामले पंजीकृत है, जहां पुलिस अभी भी हाथ पांव मार रही है. स्थिति ऐसी है कि 6 माह से 6 वर्ष तक हो गए, पीड़ित को अभी तक लूटी गई रकम नहीं मिली है. कभी लालच, तो कभी कारोबार, तो कभी उत्सुकता या भूल के कारण पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी साइबर जालसाज की गिरफ्त में आते जा रहे हैं.
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भारत के लोगों ने वर्ष 2024 में 22812 करोड रुपए साइबर ठगी में गंवा दिए हैं. ये वे आंकड़े हैं जो देश के विभिन्न साइबर थानों में पंजीकृत मामलों से जुड़े हैं. देशभर में 19.18 लाख शिकायतें साइबर थानों को प्राप्त हुई. भारत के लोग किस तेजी से साइबर जाल साजों के जाल में गिरफ्तार होते जा रहे हैं, यह इसी बात से पता चल जाता है कि वर्ष 2023 में एनसीआरपी पर जितनी शिकायतें दर्ज की गई थी, उसकी लगभग तीन गुनी शिकायत 2024 में दर्ज की गई है.
वर्ष 2023 में साइबर अपराधों की संख्या 15.56 लाख दर्ज की गई थीं. वर्ष 2023 में ही सिलीगुड़ी समेत पूरे भारत में लोगों ने 7496 करोड़ साइबर ठगी में गंवा दिए. उससे 1 साल पहले 2022 में 2306 करोड रुपए साइबर ठगी में उड़ा लिए गए. इस तरह से भारत में हर साल साइबर अपराध का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. भारत दुनिया के सबसे ज्यादा साइबर अपराध का शिकार होने वाले देशों में शामिल हो गया है. पिछले 4 सालों में भारत के लोगों ने लगभग 33,165 करोड रुपए साइबर ठगी में गंवा दिए हैं.
साइबर की दुनिया में कोई भी व्यक्ति धोखे का शिकार हो सकता है. ऑनलाइन हो चुकी दुनिया में हर कदम पर साइबर ठगों ने जाल बिछा रखा है. ऐसे में आपकी जागरूकता ही आपको इस दुनिया में सुरक्षित रख सकती है. जैसे अनजान लिंक पर क्लिक नहीं करना, ओटीपी ट्रांसफर नहीं करना, बैंक डिटेल्स की जानकारी नहीं देना, अनजान व्यक्ति से चैट करते हुए सावधानी रखना, ज्यादा लाभ के लिए अनजाने एप्स को डाउनलोड ना करना, डिजिटल अरेस्ट अथवा पुलिस के नाम पर नहीं डरना इत्यादि.
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