भूख से टूटी मां ने बच्चे को फेंका तीस्ता में”
एक माँ … जिसने नौ महीने तक अपने बच्चे को कोख में पाला…हर धड़कन में उसके लिए दुआ की…मगर वही माँ , जब हालात से टूटी… तो अपनी गोद का उजाला, तीस्ता की अंधी लहरों में फेंक आई…
घटना सिलीगुड़ी के पास की है।एक गरीब मजदूर महिला… पिछले कई दिनों से भूख से जूझ रही थी। बच्चा भूख से बिलख रहा था, मदद की हर उम्मीद दरवाज़ा बंद कर चुकी थी, और फिर… उस माँ ने वो फैसला लिया, जो सुनने में भी रूह कांप उठे।
महिला ने अपने मासूम बेटे को उठाया…और सीधे तीस्ता नदी में फेंक दिया…जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी प्रखड की ये पूरी घटना है
जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी प्रखंड में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आयी है. पति के बेरोजगार होने और घर में खाने के लाले पड़े होने से परेशान एक मां ने अपने डेढ़ साल के बच्चे को भूख से रोते देख तीस्ता नदी में फेंक दिया. हालांकि, वहां मौजूद ग्रामीणों ने बच्चे को बचा लिया. यह घटना मयनागुड़ी के मोरीचबाड़ी इलाके में हुई. जानकारी के अनुसार, बिपुल बावली पेशे से बढ़ई है, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से उसे कोई काम नहीं मिल रहा था. घर में खाने-पीने की दिक्कत थी और उनकी पत्नी सीमा बावली के लिए दो बच्चों (तीन साल की बेटी और डेढ़ साल का बेटा) का पेट भरना मुश्किल हो रहा था. सोमवार की सुबह जब बिपुल काम की तलाश में घर से निकला, तो सीमा घर पर बच्चों के साथ अकेली थी. डेढ़ साल का बच्चा सुबह से भूख से रो रहा था. बच्चे की हालत और अपनी बेबसी देख सीमा ने उसे तीस्ता नदी में फेंकने का भयावह कदम उठाया. गनीमत रही कि घटना के समय कुछ ग्रामीण नदी किनारे मौजूद थे, जिन्होंने तुरंत बच्चे को बचाया. ग्रामीणों ने सीमा को पकड़कर उससे पूछताछ की. सीमा ने बताया कि बिपुल को दो-तीन हफ्ते से काम नहीं मिल रहा था, जिससे घर में खाने की भारी कमी थी।
इस पूरी घटना से इलाके में हड़कंप मच गया। खबर पाकर मयनागुड़ी थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंची और स्थिति को सामान्य किया।
ये पूरी घटना महज एक खबर नहीं है…ये उस व्यवस्था की असफलता है, जहाँ गरीबी आज भी मौत से ज़्यादा दर्द देती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर बंगाल के कई इलाकों में भूख से बेहाल परिवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। और सरकार की तमाम योजनाएं – ज़मीनी हकीकत से कोसों दूर हैं।
सवाल ये है –
क्या ममता अब भूख के आगे हार मान चुकी है? क्या हम इतने असंवेदनशील हो गए हैं, कि भूख की वजह से एक मां के हाथ से उसका बच्चा छिन जाए… और हमें फर्क ना पड़े?
अगर आप आसपास किसी भूखे, मजबूर या बेसहारा को देखें —
मदद करें।
क्योंकि शायद आपकी एक कोशिश, एक और मासूम की जान बचा सकती है।
“गरीबी अपराध नहीं… मगर लाचारी को अपराध बनने से रोकना, हम सबकी जिम्मेदारी है…”
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)