मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उल्टा रथ और मोहर्रम को लेकर पुलिस प्रशासन को सख्त हिदायत दे दी है, उन्होंने कहा है कि, किसी भी प्रकार की अशांति या सांप्रदायिक तनाव ना हो और पुलिस हर मामले में अपनी नजर बनाए रखें साथ ही सतर्क रहें |
राज्य की मुख्यमंत्री ने नबान्न में करीब 30 मिनट तक बैठक की, जिसमें मंत्री अरूप विश्वास, मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, मुख्य सचिव डॉ मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती, डीजीपी राजीव कुमार सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित हुए |
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उल्टा रथ यात्रा और मोहर्रम को लेकर चर्चा की, साथ ही आने वाले श्रावणी मेला और विभिन्न त्यौहारों को लेकर भी मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर राज्य प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों को सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चौकना रहने का निर्देश दिया है | बता दे कि, पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर में पहली बार रथयात्रा उत्सव का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया था |
मुख्यमंत्री ने अब उल्टा रथ यात्रा को लेकर निर्देश दिया है कि, जिस भव्य तरीके से रथ यात्रा का आयोजन किया गया था और उस दौरान सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम किए गए थे और अब ठीक उसी प्रकार उल्टा रथ यात्रा का भी आयोजन किया जाएगा | उल्टा रथ के दूसरे दिन मोहर्रम होने के कारण सांप्रदायिक तनाव को लेकर भी भय बना हुआ है |
मुख्यमंत्री ने विशेष कर राज्य में किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक तनाव अहिंसा को लेकर पुलिस को अलर्ट रहने का आदेश दिया है | देखा जाए तो उल्टा रथ यात्रा और मोहर्रम इन दोनों त्यौहारों का एक अलग-अलग ही महत्व है |
रथ यात्रा यह एक ऐसा त्यौहार है, जो भगवान अपने मंदिर से निकाल कर लोगों के समीप पहुंचते हैं और शहर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर पहुंचते है और फिर नौ दिन बाद, वे वापस अपने मुख्य मंदिर (जगन्नाथ मंदिर) लौटने के लिए यात्रा शुरू करते हैं। वापसी की यात्रा को ‘बहुदा यात्रा’ या ‘उल्टा रथ यात्रा’ कहा जाता है | और रथ यात्रा की तरह की उल्टा रथ में भी भक्त सड़कों में उतर आते है नाचने, गाने और झूमने लगते है, भजन कीर्तन व प्रभु के जयकारे लगाएं जाते है |
वहीं मोहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जिसे शिया मुसलमानों द्वारा इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है।
इस दिन अल्पसंख्यक साथियों की शहादत की याद में भव्य झांकियों के माध्यम से रैली का आयोजन करते हैं | बता दे कि, 10 जुलाई से होने वाले सावन मेला को लेकर भी इस बैठक में कई प्रकार की चर्चाएं की गई | देखा जाए तो श्रावणी मेला से ही त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है और एक के बाद एक त्यौहार दस्तक देने लगते हैं |
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