वर्ष 1917 में भारत भूटान के बीच एक समझौता हुआ था. यह समझौता कारोबार को लेकर था. भारत भूटान मित्र देश रहे हैं. जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार भूटान में कारोबार करने के लिए भारतीय क्षेत्र का उपयोग किया जा सकता है. वर्तमान में इस समझौते का नाजायज फायदा बहुत से व्यापारी उठा रहे हैं. यह भी कहा जाता है कि इस समझौते ने कुछ व्यापारियों को टैक्स चोरी की दलदल में धकेल दिया है.
सीजीएसटी की सिलीगुड़ी यूनिट पहले से ही ऐसे व्यापारियों पर नजर गड़ाए हुए है. सीजीएसटी अधिकारियों ने पहले भी टैक्स चोरी के मामले में सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल से कुछ व्यापारियों को गिरफ्तार किया था और उसी समय यह संकेत दिया था कि भविष्य में कुछ और कारोबारी गिरफ्तार किये जा सकते हैं. अब सीजीएसटी के अधिकारियों ने 92.5 करोड रुपए की टैक्स चोरी करने के आरोप में बीरपाड़ा से गोपाल राठी और सुशील अग्रवाल को गिरफ्तार किया है.
सूत्रों ने बताया कि दोनों ही आरोपियों का भूटान में सीमेंट का कारखाना है. जो वीरपाड़ा से सटा हुआ है. गोपाल राठी का ‘राठी सीमेंट’ नामक सीमेंट की फैक्ट्री है. जब कि सुशील अग्रवाल का भी वहीं पर ‘लॅकी सीमेंट’ नाम से कारखाना स्थापित है. दोनों ही व्यापारियों के द्वारा सिलीगुड़ी और पूरे बंगाल में सीमेंट की सप्लाई की जाती थी. यूं तो उनका कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था, परंतु सूत्र बताते हैं कि ज्यादा से ज्यादा कमाई करने के लालच में उन पर टैक्स चोरी करने का भूत सवार हो गया, जिसने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.
सीजीएसटी विभाग के वकील रतन बनिक से मिली जानकारी के अनुसार सीमेंट के ये दोनों कारोबारी व्यापारी सीमेंट की आड़ में भूटान टू भूटान ट्रेड के नाम पर टैक्स की चोरियां किया करते थे. भूटान में सीमेंट का कारखाना लगाना आसान होता है. क्योंकि सीमेंट के लिए कच्चा माल आसानी से मिल जाता है. भूटान में डायनामाइट पहाड़ काटकर कम खर्च पर सीमेंट तैयार किया जाता है. इससे लागत में भी काफी कमी आती है. दोनों व्यापारी सीमेंट को भूटान टू भूटान ट्रेड दिखाकर एथलबाड़ी गोदाम में रखते थे और वहां से सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों पर सीमेंट सप्लाई करते थे.
सीमेंट की तस्करी के लिए दोनों ही आरोपियों के द्वारा अपना और अपने परिवार, रिश्तेदार अथवा जान पहचान के लोगों आदि की कंपनी से संबंधित वाहनों का इस्तेमाल किया जाता था. ना कोई वैध दस्तावेज, ना ही बिल आदि के उनका सीमेंट अलीपुरद्वार के रास्ते सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के कोने-कोने में पहुंचाया जाता था. जब सीजीएसटी अधिकारियों को अपने खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली तब उन्होंने उनकी निगरानी बढ़ा दी. शक बढ़ते ही 21 अप्रैल को दोनों ही कारोबारियों के विभिन्न ठिकानों पर सीजीएसटी के अधिकारियों ने रेड डाला.
इस छापेमारी में सीजीएसटी अधिकारियों को कुछ दस्तावेज हाथ लगे. उनके निरीक्षण के क्रम में अधिकारियों ने भूटान सरकार से भी जवाब मांगा. भूटान सरकार ने अधिकारियों का सहयोग करते हुए उन्हें जो कुछ उपलब्ध कराया, वह सीधे-सीधे तस्करी की ओर इशारा कर रहा था. इसके बाद सीजीएसटी के अधिकारियों ने दोनों ही व्यापारियों के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए और अलीपुरद्वार जिले के वीरपाड़ा स्थित उनके आवास पर जाकर उनसे पूछताछ की. संतोष जनक उत्तर नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
अब तक जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार पिछले 5 वर्षों में राठी सीमेंट प्रबंधन ने 65.24 करोड़, जबकि लॅकी सीमेंट प्रबंधन ने 27. 26 करोड रुपए के राजस्व का चूना लगाया है. दोनों ही व्यापारियों पर आरोप लगाते हुए सीजीएसटी विभाग ने सिलीगुड़ी के एसडीएम कोर्ट में प्रस्तुत किया. कोर्ट ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें 10 जुलाई तक न्यायाधीश हिरासत में रखने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने सीजीएसटी विभाग को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया है. सीजीएसटी की टीम पूरे मामले की तत्परता से जांच में जुट गई है.
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