दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच की दूरी कम करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने जो योजना बनाई है, उसके पहले चरण को केंद्र सरकार के द्वारा डीपीआर के लिए स्वीकृत किया जा चुका है. अपनी योजना के दूसरे चरण के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखा है और आशा व्यक्त की है कि सरकार के द्वारा जल्द ही इसका डीपीआर के लिए अनुमोदन कर दिया जाएगा.
भाजपा सांसद ने इससे पहले केंद्रीय मंत्री को अपनी परियोजना रिपोर्ट भेजी थी. जिसे उन्होंने डीपीआर के लिए स्वीकृत कर लिया है. यह योजना है लेबोंग, दवाईपाणि और तीस्ता होकर दार्जिलिंग के लिए एक वैकल्पिक राज मार्ग. मंजूरी मिलने और डीपीआर शुरू करने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है. अब वह चाहते हैं कि सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग को जोड़ने वाला एक और वैकल्पिक मार्ग पर विचार किया जाए. प्रस्तावित मार्ग सिलीगुड़ी से ओरालि,दूधिया, बालासन, धोत्रे, घूम होते हुए दार्जिलिंग तक जाएगा.
जिस तरह की योजना बनाई गई है, उसके अनुसार यह प्रस्तावित मार्ग कर्सियांग, मिरिक, सोनादा, रंगबुल,धोत्रे ,सुखिया पोखरी, पोखरेबोंग घाटी आदि निचले इलाकों को भी जोड़ेगा. राजू बिष्ट ने कहा है कि प्रस्तावित सड़क मार्ग यहां के लोगों की आशा और आकांक्षा का प्रतीक भी है. कई गैर राजनीतिक संगठनों ने भी इसका समर्थन किया है. वे चाहते हैं कि एनएचआईडीसीएल मार्ग के लिए व्यावहारिक और संरेखन का एक बार अध्ययन जरूर करे.
राजू बिष्ट की महत्वाकांक्षी योजना में घूम और दार्जिलिंग के बीच एक Rope way के विकास का प्रस्ताव भी है. यह रोपवे बन जाने से दार्जिलिंग पर यातायात का दबाव कम होगा. इसके साथ ही स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भी भीड़भाड़ से मुक्ति मिलेगी. इसके अलावा रोपवे दार्जिलिंग और घूम के बीच एक बेहतर कनेक्टिविटी के रूप में भी सामने आएगा. पर्यटन के स्तर पर पहाड़ का काफी विकास होगा.
सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग जाने के लिए ब्रिटिश समय का बना वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग 110 तो है, लेकिन यह अत्यधिक ट्रैफिक का शिकार रहता है. पहले इस मार्ग को NH 55 से संबोधित किया जाता था. इस मार्ग पर अत्यधिक ट्रैफिक के कारण पर्यटकों को भी गंतव्य स्थल पर पहुंचने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा कारोबारी और सामान्य लोगों को भी अपना काम करने में काफी कठिनाई होती है. बरसात के दिनों में भूस्खलन के चलते यह मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी काफी हानि होती है.
अगर केंद्र सरकार प्रस्तावित नए मार्ग की परियोजना को स्वीकार कर लेती है तो इससे न केवल सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग के बीच की दूरी घटेगी बल्कि पहाड़ में कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी. क्योंकि प्रस्तावित मार्ग पहाड़ के सभी क्षेत्रों को कवर करने में सफल हो सकता है. राजू बिष्ट ने उम्मीद जताई है कि केंद्रीय सड़क परिवहन विभाग और भारत सरकार की उनकी परियोजना पर शीघ्र ही मुहर लगेगी और यह मूर्त रूप ले सकेगी.
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