माटीगाड़ा से गाड़ीधुरा होते हुए मिरिक जाने के लिए जो सड़क है, उसे विकसित करने और एक अदद पहचान देने की आवश्यकता है. ऐसा लगता है कि बरसों से यह सड़क अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रही है. इस सड़क का महत्व ऐसा है कि न केवल पर्यटन, बल्कि व्यापार, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और बहुत से क्षेत्रों में समतल और पहाड़ को गति दे सकती है. यह नेपाल के आर्थिक और वाणिज्यिक विकास के लिए भी मददगार हो सकती है.
यह सड़क काफी महत्वपूर्ण है. नेपाल सीमा से सटी यह सड़क दार्जिलिंग की पहाड़ियों का प्रवेश द्वार भी है. जानकार मानते हैं कि अगर इस मार्ग का विकास किया जाए तो इस सड़क से नेपाल से व्यापार तो विकसित होगा ही, इसके अलावा मिरिक और पहाड़ के पर्यटन को भी नई गति मिलेगी. यही कारण है कि मौजूदा समय में इस मार्ग के महत्व को देखते हुए उसे राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा देने की मांग दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से की है.
राजू बिष्ट को इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खासी उपलब्धि हासिल है. उन्होंने हमेशा पहाड़ और समतल में सड़क विकास के साथ ही पहाड़ और समतल की दूरी को कम करने की दिशा में काम किया है. बालासन से लेकर सेवक छावनी तक जो सड़क बन रही है, उसमें भी राजू बिष्ट का पूरा योगदान रहा है. दार्जिलिंग के वैकल्पिक मार्ग को लेकर भी राजू बिष्ट के दृष्टिकोण की केंद्रीय राजमार्ग मंत्री ने तारीफ की थी. अब उन्होंने मिरिक जाने वाले मार्ग के कायाकल्प तथा उसे एक उचित पहचान देने के लिए केंद्र का दरवाजा खटखटाया है.
नितिन गडकरी को भेजे गए प्रस्ताव में इस तरह के महत्व के बारे में बताया गया है और यह भी कि उसे राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा देना क्यों आवश्यक है. इसमें कोई शक नहीं है कि मिरिक वाला यह मार्ग क्षेत्रीय संपर्क, आर्थिक विकास और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसके अलावा इस मार्ग के विकास से मिरिक के पर्यटन को एक नई गति मिलेगी. इससे पहाड़ और मिरिक का आर्थिक विकास होगा. पहाड़ और समतल के बीच आवागमन बढ़ेगा. क्षेत्रीय संपर्क बढ़ने से रोजी रोजगार के क्षेत्र में भी एक नई क्रांति आएगी.
वर्तमान में यह मार्ग पश्चिम बंगाल राजमार्ग का हिस्सा है और यह राजमार्ग 12 से संबोधित किया जाता है. यह गाड़ीधुरा होते हुए मिरिक को सिलीगुड़ी से जोड़ता है. अगर इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल जाता है तो इससे पहाड़ को एक नया वैकल्पिक मार्ग तो मिलेगा ही, साथ ही समतल और पहाड़ के बीच की दूरी भी घट जाएगी. इसका ट्रैफिक और व्यापार, रोजगार के अन्य क्षेत्रों पर भी असर पड़ेगा.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा क्यों मिलना चाहिए. यह मार्ग न केवल दार्जिलिंग को एक नई राह दिखाएगा, बल्कि समतल से लेकर पहाड़ तक निर्माण और रखरखाव के क्षेत्र में भी रोजगार उपलब्ध कराएगा. इस सड़क मार्ग से जुड़े गांवों और बस्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बाजार विकसित होंगे. इससे समावेशी विकास होगा.
केंद्रीय मंत्री को मार्ग के महत्व के बारे में प्रकाश डालते हुए यह कहा गया है कि अगर इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल जाता है तो यह भारत और नेपाल सीमा के पार व्यापार और पर्यटन को भी तेज गति देगा. क्योंकि यह मार्ग भारत नेपाल सीमा के समानांतर चलता है. ऐसे में सुरक्षा से लेकर कारोबार तक दोनों देशों के बीच मजबूती आएगी. भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे और रणनीतिक आधार को भी मजबूती मिलेगी.
अब देखना है कि केंद्रीय मंत्रालय इस पत्र पर क्या विचार करता है और यह भी कि राजू बिष्ट और केंद्रीय मंत्रियों के बीच दोस्ताने संबंध का लाभ मिलता है या नहीं. वैसे जानकार मानते हैं कि भारत और नेपाल के बीच दोस्ती के संबंधों को और प्रगाढ करने के लिए नितिन गडकरी इस पर सकारात्मक रुख अपना सकते हैं.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)