सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन,जहां कभी नेताजी सुभाष चंद्र बोस, गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर,महात्मा गांधी जैसी महान विभूतियों के पांव पड़ चुके हों, उस स्टेशन को कब का वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर दिया जाना चाहिए! लेकिन वर्ल्ड हेरिटेज तो दूर की रही, ऐतिहासिक टाउन स्टेशन का सूरते हाल ऐसा है कि यहां लंबी दूरी की गाड़ियों का ठहराव भी नहीं होता है!
सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन मात्र एक प्रतीक के रूप में नजर आता है. यह उजाड़ बन चुका है. अपनी बदहाली का आंसू बहा रहा है. यहां ना तो आरपीएफ पोस्ट है और ना ही स्टेशन का परिदृश्य भी नजर आता है. चहल-पहल तो छोड़िए, यहां दिन के समय में इधर-उधर से आकर कुत्तों का जमावड़ा हो जाता है और कुत्तों के बीच नशेड़ियों का हंगामा. जगह-जगह गंदगी का ढेर नजर आता है. ऐसा लगता है कि बाजार के सारे कूड़े कचरे यहीं डाल दिए जाते हैं.
स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम ढलने के साथ ही यहां अंधेरे का साम्राज्य खड़ा हो जाता है. यहां पर्याप्त लाइट भी नहीं है. नजदीक में बाजार लगता है. नशेड़ी नशा करके यहां घूमते रहते हैं. यहां आपराधिक घटनाएं भी होती हैं. स्टेशन की छत ऐसी है कि कब गिर जाए कुछ पता नहीं. जब तक आर पी एफ पोस्ट था, तब तक तो कुछ गनीमत थी. लेकिन जब से आरपीएफ पोस्ट को यहां से हटाया गया है. तभी से अपराधियों की यहां पौ बारह हो गई है. सितंबर 2017 में यहां से आरपीएफ पोस्ट को हटा दिया गया था.
सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन की स्थिति में सुधार और उसे वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने के लिए कोई आज से मांग नहीं की जा रही है. वर्तमान सांसद राजू बिष्ट से लेकर समय-समय पर अनेक जनप्रतिनिधियों ने टाउन स्टेशन को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने के लिए आवाज उठाई थी. लेकिन कुछ नहीं हुआ. यह स्टेशन इतना पुराना है कि उसे अब तक वर्ल्ड हेरिटेज या ऐतिहासिक रूप में मान्यता दे दी जानी चाहिए थी. लेकिन इसके नाम पर सिर्फ यहां राजनीति होती है. कभी सिलीगुड़ी नगर निगम के तत्कालीन मेयर और राज्य के पूर्व नगर विकास मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने स्टेशन की बदहाली को लेकर आवाज उठाई थी.
अशोक भट्टाचार्य 2016 में सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर थे.तब उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को टाउन स्टेशन को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने के लिए पत्र लिखा था. रेल मंत्री के द्वारा केवल आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. रेल मंत्री ने सिर्फ इतना किया कि उन्होंने रेलवे के अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दे दिया था. रेलवे के अधिकारियों ने रेल मंत्रालय को रिपोर्ट पूरी करके दी है और उनकी रिपोर्ट क्या है, यह आज तक पता नहीं चल सका है.
सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन की स्थापना 1878 में की गई थी. एक लंबा युग बीत गया. चीजें कितनी बदल गई !छोटे स्टेशन बड़े हो गए. लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो सिलीगुड़ी का टाउन स्टेशन, जो दिन पर दिन बदहाल होता जा रहा है. आखिर इसका कारण क्या है?एक तरफ रेलवे ने हिमालयन रेलवे को वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल कर लिया है तो दूसरी तरफ इस ऐतिहासिक स्टेशन को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित क्यों नहीं किया जा रहा है? यह सवाल अनेक लोगों को परेशान कर रहा है.लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है.
सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन कटिहार डिवीजन के अंतर्गत आता है. रेलवे मंत्रालय की ओर से दावा किया जाता है कि कटिहार डिवीजन के अंतर्गत आने वाले सभी स्टेशनों का कायाकल्प किया जा रहा है. यह सच है कि बहुत से स्टेशन सुंदर और बड़े हो रहे हैं. ऐसे में टाउन स्टेशन को लेकर विकास कार्य कहीं भी दिखता नहीं है. एनएफ रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा सिर्फ इतना बताते हैं कि रेलवे की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं. ऐतिहासिक महत्व के सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन का संरक्षण किया जाएगा, लेकिन कब किया जाएगा, यह कोई नहीं बताता
जो भी हो, एक बार फिर से सिलीगुड़ी टाउन स्टेशन को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित करने के लिए मांग शुरू हो चुकी है. आवश्यकता इस बात की है कि इस ऐतिहासिक महत्व के टाउन स्टेशन का कायाकल्प होना चाहिए. इसके साथ ही स्टेशन को भव्य तथा आकर्षक बनाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए.इस कार्य में रेलवे के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और नागरिकों का भी सहयोग जरूरी है.