आज वह हो गया, जिसकी उम्मीद खुद सरकार ने भी नहीं की थी. भारत की दोस्ती भरने के अमेरिकी दिखावे का चोला उतर गया. अमेरिका ने आज भारतीय उत्पादों पर 50% निर्यात शुल्क लागू कर दिया है. आज से अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे. ऐसे में अमेरिका ऐसे देश की तलाश करेगा जो भारतीय उत्पाद से सस्ते बेचेंगे. यानी भारत के निर्यात बाजार में गिरावट साफ दिख रही है. इसका व्यापक असर पड़ने वाला है. ना केवल भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका विपरीत असर होगा, बल्कि रोजी रोजगार भी प्रभावित होने वाला है.
अमेरिका ने यह कदम इसलिए उठाया है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है. अमेरिका चाहता था कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दे. परंतु भारत को यह मंजूर नहीं था. क्योंकि सभी जानते हैं कि भारत और रूस के बीच वर्षों से दोस्ती चल रही है. जब भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आया, तब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को कुचलने के लिए यह रणनीति अपनाई है.
अमेरिका के इस मनमाने कदम से भारत की मुश्किलें जरूर बढ़ गई है. अब भारत अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने के लिए उद्योग संगठनों तथा कारोबारियों से राय ले रहा है. नतीजा क्या सामने आएगा, अभी तो पता नहीं है. लेकिन जो खबर सामने आ रही है, वह है कि रूस के राष्ट्रपति जल्द ही भारत आने वाले हैं. ऐसी जानकारी है कि रूस के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री मिलकर अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने की रणनीति तैयार करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत के साथ शत्रुता पूर्ण व्यवहार अमेरिका पर भी भारी पड़ने वाला है. भारत में कई अमेरिकी उत्पाद बिक रहे हैं. अब समय आ गया है कि उनका बहिष्कार किया जाए, ताकि अमेरिका को भी पता चले कि वार एकतरफा नहीं होता है. अगर अमेरिका मनमाना व्यवहार कर सकता है तो भारत पलट कर भी जवाब दे सकता है. हालांकि भारत सरकार अभी खामोश मुद्रा में है. पर सूत्र बताते हैं कि भारत भीतरी ही भीतर इसकी काट ढूंढ रहा है. अमेरिका को सबक सिखाना जरूरी है.
भारत अभी तक अमेरिका का बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रहा है. कपड़े जूते से लेकर ज्वेलरी, डायमंड, मशीनरी समेत तमाम तरह के सामान भारत भारी मात्रा में अमेरिका को निर्यात करता है. टेक्सटाइल और गारमेंट मार्केट की अगर बात करें तो भारत से हर साल लगभग 5.9 अरब डॉलर का कपड़ा अमेरिका भेजा जाता है. इसके अलावा ज्वेलरी और डायमंड का निर्यात लगभग 10.22 अरब डॉलर होता है. इलेक्ट्रॉनिक 7.5 अरब डॉलर, फार्मा 13 अरब डॉलर और मशीनरी 2.6 अरब डॉलर सालाना निर्यात किया जाता है. अब यह सभी सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और अमेरिका उनके लिए भारत से सस्ते बाजारों का विकल्प चुनेगा.
आज अमेरिका ने यह हमला किया है. कल कोई और देश भारत पर पर टैरिफ लाद सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर हो और लोकल से वोकल की ओर चले. अब समय आ गया है कि हिंदुस्तान के लोग भारतीय उत्पादों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें. आजादी से पहले महात्मा गांधी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने का आंदोलन शुरू किया था. आज समय आ गया है कि महात्मा गांधी की तरह ही विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आंदोलन शुरू किया जाए.
हमें नहीं चाहिए कोकोकोला, पेप्सी, डोमिनो पिज़्ज़ा,फैंटा इत्यादि उत्पाद. भारतीय व्यंजन दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ हैं. हम क्यों नहीं अपने ही उत्पाद का इस्तेमाल करें और अपनी आदत में शुमार करें. सोशल मीडिया पर विभिन्न भारतीय सामाजिक, व्यापारिक और आर्थिक संगठनों के द्वारा विदेशी खाद्य वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की जा रही है. सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि आज समय आ गया है कि हमें लोकल से वोकल की ओर चलना होगा और अपने देश के उत्पाद को बढ़ावा देना होगा. यही वक्त का तकाजा भी है. क्योंकि क्या पता कि आज का भारत का मित्र देश भी भविष्य में ना पलट जाए!