राहुल गांधी का उनके आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं को परोसा गया डिनर और उस डिनर कार्यक्रम में राहुल गांधी और अभिषेक बनर्जी की लंबी बैठक से राजनीतिक विश्लेषक मायने निकालने लगे हैं. अभिषेक बनर्जी टीएमसी सांसदों के नेता है. उनका राहुल गांधी के घर जाना, एक साथ डिनर कार्यक्रम में शामिल होना और देर तक बैठक करना, कोई सामान्य घटना समझता है तो समझे. लेकिन यह कहीं ना कहीं बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 की चुनावी रणनीति का एक अहम हिस्सा है.
राहुल गांधी ने अपने आवास पर पिछली शाम इंडिया ब्लॉक के नेताओं के लिए डिनर का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में विभिन्न दलों के प्रतिनिधि नेता उपस्थित हुए तो वहीं तृणमूल कांग्रेस की ओर से अभिषेक बनर्जी कार्यक्रम में गए. अभिषेक बनर्जी और राहुल गांधी दोनों ही साथ-साथ नजर आए. सूत्र बता रहे हैं कि अभिषेक बनर्जी राहुल गांधी के आवास से निकलने वाले आखिरी नेताओं में से एक थे. इसका मतलब यह है कि राहुल गांधी और अभिषेक बनर्जी के बीच लंबी बातचीत हुई है. हालांकि यह बातचीत क्या हुई है, इसका खुलासा तो नहीं हो सका है. पर इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी और कांग्रेस की नजदीकियां गुल खिला सकती हैं.
बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 की तैयारी में जुटी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा समेत विभिन्न दलों के नेता अपनी अपनी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा पूरे दमखम के साथ उतरने वाली है. ममता बनर्जी नहीं चाहेगी कि वोटो के बंटवारे का लाभ बीजेपी उठा सके. इसलिए कहीं ना कहीं वोटो का बंटवारा रोकने के लिए टीएमसी ऐसे दलों के साथ गठबंधन कर सकती है, जिन्हें मुसलमानों का भी वोट मिलता रहा है. इसमें कांग्रेस टीएमसी के बाद दूसरे नंबर पर है.
टीएमसी और कांग्रेस के बीच इन दिनों नजदीकियां बढ़ गई है. ममता बनर्जी को खुश करने के लिए कांग्रेस ने पिछले साल ही अधीर रंजन चौधरी के पर काट दिए थे और उनकी जगह शुभंकर सरकार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था. अधीर रंजन चौधरी के व्यवहार से खफा होकर ममता बनर्जी ने एकला चलो रे की रणनीति बनाई और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं किया. इसके बावजूद टीएमसी को पिछली बार से ज्यादा सीटें मिली थीं.
बहरहाल शुभंकर सरकार ने पद भार संभालने के बाद से ममता बनर्जी पर कोई भी व्यक्तिगत हमला नहीं किया है. समझा जाता है कि इससे ममता बनर्जी की कांग्रेस के प्रति नाराजगी दूर हुई है. अधीर रंजन चौधरी बहरामपुर लोकसभा सीट पर यूसुफ पठान से हार चुके हैं और इस तरह से अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस की राजनीति के हाशिए पर चले गए हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार टीएमसी और कांग्रेस के रिश्ते पहले सोनिया गांधी और ममता बनर्जी की व्यक्तिगत नजदीकी पर आधारित थे. लेकिन अब समीकरण बदल चुका है. अभिषेक बनर्जी टीएमसी के युवा नेता हैं और ममता बनर्जी के बाद टीएमसी के वे दूसरे नेता हैं. जबकि कांग्रेस में राहुल गांधी की ही चलती है. इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि दोनों नेता अगले विधानसभा चुनाव में वोटो का बिखराव रोकने के लिए साथ आ सकते हैं. हालांकि इसमें कांग्रेस को क्या फायदा होगा, कुछ कहना मुश्किल है. ना ही अभी से यह दावा किया जा सकता है कि टीएमस कांग्रेस के साथ हाथ मिला सकती है. हालांकि जल्द ही तस्वीर साफ होने वाली है.