जय गांव में पुलिस द्वारा एक डेंटल क्लिनिक पर छापा मार कर भारी मात्रा में अवैध नशीली दवाइयों के जखीरे को बरामद करने के साथ ही कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. इस घटना ने कानून के रखवालों के होश उड़ा दिए हैं, तो दूसरी तरफ इस घटना को केंद्र कर सिलीगुड़ी में कुकुरमुते की तरह यत्र तत्र चल रहे कुछ क्लिनिक भी संदेह के दायरे में आ गए हैं. सवाल है कि क्या वे सभी स्वास्थ्य क्लिनिक ही हैं?
वर्तमान में सिलीगुड़ी से लेकर पूरे उत्तर बंगाल में नशीली दवाइयों का कारोबार तेजी से चल रहा है. शहर में आए दिन नशीली दवाइयां पकड़ी जा रही है. इस अवैध कारोबार में जुटे लोग पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए नई-नई तरकीबें अपनाते रहते हैं. परंतु एक क्लीनिक की आड में डॉक्टर के द्वारा इस तरह का धंधा किया जाता हो, तो काफी आश्चर्य होता है.
सिलीगुड़ी में नशीली दवाइयों का काला कारोबार धड़ल्ले से होता है. इसकी बानगी पुलिस की लगभग रोज दिन की छापेमारी में ही देखी जा सकती है. लेकिन क्या कारण है कि अधिकांश मामलों में पुलिस को सफलता नहीं मिलती. जय गांव की घटना को देखकर पता चलता है कि कारोबारी पुलिस और कानून से बचने के लिए क्लीनिक की भी आड़ ले सकते हैं. जहां पुलिस जल्दी हाथ नहीं डालती. जब तक पक्का सबूत ना हो, तब तक पुलिस ऐसे मामलों में दखल नहीं देती है.
सिलीगुड़ी में से नो टू ड्रग्स अभियान वर्षों से चल रहा है. लेकिन इस अभियान को जो सफलता मिलनी चाहिए, वह अब तक नहीं मिली है. हालांकि पुलिस बार-बार दावे करती है कि सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में नशीली दवाइयों के कारोबार में कमी आई है. परंतु सच कुछ और ही होता है. जय गांव की घटना पुलिस की आंख खोल देने वाली है. तो क्या यह माना जाए कि सिलीगुड़ी शहर में जहां-तहां चल रहे कुछ क्लिनिक भी ऐसे धंधे में लिप्त हैं?
जय गांव में पुलिस ने एक डेंटल क्लिनिक पर छापा मार कर अवैध नशीली दवाइयां के जखीरे को पकड़ा था. गुप्त सूचना के आधार पर जय गांव पुलिस ने डेरा गांव स्थित डॉक्टर विश्वास डेंटल क्लीनिक में छापेमारी की थी. छापे के दौरान जय गांव पुलिस को क्लीनिक के बाथरूम में बने एक गुप्त चैंबर से 325 बोतल प्रतिबंधित नशीली कफ सिरप हाथ लगी थी. वहां से पुलिस ने क्लीनिक संचालक डॉक्टर विधान विश्वास और उनकी पत्नी ममता विश्वास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. उन्होंने पुलिस को नशीली दवाइयों का कोई बिल नहीं दिखाया था. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
जय गांव की घटना हैरान कर देने वाली है. जिस तरह से पुलिस की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है कि आरोपी डॉक्टर विधान विश्वास वास्तव में कोई मान्यता प्राप्त डॉक्टर ही नहीं है. तो क्या यह समझा जाए कि विधान विश्वास की तरह बहुत से तथाकथित डॉक्टर सिलीगुड़ी में भी डॉक्टरी की आड़ में इस धंधे में लिप्त हैं? सिलीगुड़ी में देखा भी गया है कि बहुत से फर्जी डॉक्टर क्लीनिक शुरू करते हैं और बाद में क्लीनिक की आड़ में वे गलत धंधा करने लग जाते हैं. उनका असली मकसद पैसे कमाना होता है. क्या ऐसा नहीं है कि सिलीगुड़ी में नशे के बहुत ऐसे संदिग्ध कारोबारी है, जो धंधा कुछ और करते हैं और साइन बोर्ड कुछ और रखते हैं.
अब तक तो यही सुना गया था कि एक डॉक्टरी पेशे को छोड़कर सभी तरह के पेशों के लोग नशे के अवैध धंधे में हाथ डाल चुके हैं. परंतु डॉक्टर भी ऐसा करेंगे, यह गले से नहीं उतरने वाली बातें हैं. हालांकि पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि कथित डॉक्टर विधान विश्वास के पास कोई डिग्री ही नहीं थी और उसका मकसद डेंटल क्लिनिक की आड़ में नशीली दवाइयां का धंधा चलाना था.
जिस तरह से सिलीगुड़ी में नशे का काला कारोबार हो रहा है, ऐसे में सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस को इस धंधे पर पूरा नियंत्रण पाने के लिए शहर में चल रहे संदिग्ध क्लिनिको का पता लगाना चाहिए. इसके लिए सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस को SOG और DD की मदद लेनी चाहिए. अगर इस तरह का कोई मामला सामने आता है तो पुलिस को जिम्मेवार लोगों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट का उचित इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि जनता और पुलिस की आंखों में धूल झोकने वाले कथित डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके.
सिलीगुड़ी में इस तरह के फर्जी डॉक्टर्स की पोल खोलने की जरूरत है. यह न केवल अपने पेशे और कानून के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि लोगों के भरोसे को भी तोड़ रहे हैं, जहां लोग डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हैं. अगर कोई जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा कार्य करता है उसे सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए. अब समय आ गया है कि सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस अपने अभियान को सफल बनाने के लिए शहर और आसपास के इलाकों में चल रहे संदिग्ध क्लिनिको की जांच करे. तभी नशे के खिलाफ पुलिस के अभियान को जनता का पूर्ण समर्थन मिलेगा.