सिलीगुड़ी, तराई, Dooars और पहाड़ में बहुत सी प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं. खासकर बरसात के मौसम में. इन आपदाओं में चक्रवात, वर्षा, बवंडर, बादल फटना, बिजली गिरना, झील का फटना इत्यादि शामिल है. प्राकृतिक आपदाओं के चलते पहाड़ से लेकर समतल तक जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. बाढ और बवंडर समतल इलाकों में जबकि पहाड़ी इलाकों में ओलावृष्टि, बादल फटना, भूस्खलन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं. हर साल प्राकृतिक आपदाओं में इन क्षेत्रों में करोड़ों की संपत्ति स्वाहा हो जाती है. इसी तरह से जान माल का भारी नुकसान होता है.
हालांकि प्राकृतिक आपदाओं को टालना संभव तो नहीं है, परंतु आपदा से पूर्व आपदाओं की ठीक-ठाक जानकारी मिल जाए तो लोगों को संभलने का मौका मिल जाता है. जान और माल की तबाही से बहुत हद तक निजात पाई जा सकती है.अगर किसी को आपदा से पूर्व तीन-चार घंटे पूर्व जानकारी हो जाए तो इस समय का उपयोग व्यक्ति खुद की जान और संपत्ति की सुरक्षा में लगा देता है. और बहुत हद तक तबाही से बचा भी लेता है. अब तक सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान बताने वाले शक्तिशाली रडारों का अभाव था. जिस वजह से यहां जान माल की भारी क्षति होती रही है.
परंतु अब भविष्य में शायद इतना जान माल का नुकसान ना हो. क्योंकि मिली जानकारी के अनुसार मौसम विभाग उत्तर बंगाल में दो शक्तिशाली रडार लगाने की तैयारी में है. मौसम विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मालदा और जलपाईगुड़ी में 150 से 300 किलोमीटर कवरेज वाले 2 रडार लगने जा रहे है. इसी तरह से सिक्किम में जान जान माल की सुरक्षा के लिए मौसम विभाग के द्वारा शक्तिशाली रडार लगाए जा रहे हैं. इन रडारों की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि तीन-चार घंटे पहले ही बादल फटने, चक्रवात, आंधी तूफान जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगाकर आम जनता को उसकी जानकारी देंगे.
सिलीगुड़ी, समतल और पहाड़ी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन ने मानव पर असर डालना शुरू कर दिया है. पहाड़ का मौसम लगातार बदल रहा है. दार्जिलिंग, कालिमपोंग और उत्तर बंगाल के मैदानी इलाकों में प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है. सिक्किम में जिस तरह से भारी बारिश हो रही है, उससे तीस्ता और अन्य नदियों में बाढ़ आ रही है. जिससे तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के जानमाल का नुकसान बढ़ गया है. पहाड़ और सिक्किम में बादल फटने, झील टूटने जैसी घटनाएं हाल ही में हमने देखी भी है. जलपाईगुड़ी, मयनागुडी इलाके में बिजली गिरने, बवंडर जैसी प्राकृतिक आपदाओं में लोगों की मौत की घटनाएं बढ़ रही हैं.
उत्तर बंगाल के मैदानी इलाकों में अक्सर चक्रवात और तूफान आते रहते हैं.जबकि पूर्वोत्तर में बादल फटने जैसी घटनाएं भी देखी जा रही है. इन सभी घटनाओं को देखते हुए भारतीय मौसम विभाग ने प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और उनसे निबटने की योजना बनाई है. भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय महापात्र ने बताया है कि बहुत जल्द इन क्षेत्रों में हम रडार लगाने जा रहे हैं.यह रडार काफी शक्तिशाली होंगे और प्राकृतिक आपदाओं के बारे में दो-तीन घंटे पहले ही हमें सूचना दे देंगे. इससे जान माल के भारी नुकसान से बचा जा सकेगा.
भारतीय मौसम विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर, मालदा, दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार आदि जिलों में अक्सर बिजली गिरने और लोगों के मारे जाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. मौसम विभाग को विश्वास है कि इन रडार उपकरणों के जरिए बिजली गिरने की भविष्यवाणियां करके लोगों को सतर्क और सुरक्षित किया जा सकता है.
हिमालय के इन क्षेत्रों में इसकी काफी समय पहले से ही आवश्यकता महसूस की जा रही थी. बहर हाल भारतीय मौसम विभाग ने देर से ही सही, लेकिन उचित कदम उठाया है.अब सभी को उस दिन का इंतजार है, जब यहां शक्तिशाली रडार लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.