सभी राज्यों के सीईओ के साथ बैठक में चुनाव आयोग ने SIR के संदर्भ में मत स्पष्ट कर दिया है कि अक्टूबर महीने से देश भर में एस आई आर का काम शुरू हो जाएगा. इस बैठक में देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शामिल थे. बैठक में यह सहमति बनी है.
भारतीय चुनाव आयोग ने देश के सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि वे 30 सितंबर तक कागजी कार्रवाई पूरी करें. इस पर अधिकांश निर्वाचन अधिकारियों ने सहमति जताई है. और चुनाव आयोग को भरोसा दिया है कि सितंबर के आखिर तक जरूरी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी.
जानकार और विश्लेषक मानते हैं कि चुनाव आयोग संभवतः अक्टूबर में सर की विधिवत घोषणा कर सकता है.सूत्रों ने बताया कि जब सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अपनी प्रगति रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपेंगे, उसके बाद राष्ट्रीय चुनाव आयोग के द्वारा SIR की विधिवत घोषणा की जा सकती है.
सर के लिए क्या-क्या दस्तावेज हो सकते हैं, यह सब अलग-अलग राज्यों में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर ही होगा. आपको बताते चलें कि चुनाव आयोग ने 25 जून से एस आई आर प्रक्रिया शुरू की थी. इसके तहत मतदाता सूची को अपडेट करने का कार्य किया गया. पहले चरण में 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई. इसमें 7.24 करोड़ नाम दर्ज थे, जो पहले की तुलना में 65 लाख कम थे. इसके बाद 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू हुई. इसके अंतर्गत 16 लाख,56हजार 886 लोगों ने नए नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया.
बिहार में एस आई आर प्रक्रिया शुरू होने को लेकर भारी बवाल हुआ. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने भाजपा पर वोट चोरी और चुनाव आयोग को भाजपा की B टीम बताया था. अब देखना होगा कि जब चुनाव आयोग देशव्यापी स्तर पर एस आई आर की घोषणा करता है, तो बंगाल में सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया सामने आती है. वैसे भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि यहां सर नहीं होगा. हालांकि ताजा बयान में वह यह भी कह रही है कि इसमें कई साल लग जाएंगे.
इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि बिहार की तरह पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी मृत लोगों के नाम बड़े पैमाने पर दर्ज हैं. 2004 की सूची में राज्य में 4.74 करोड़ मतदाता थे. 20 साल बाद प्राकृतिक मृत्यु दर और उम्र के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि इनमें से लगभग 1 करोड लोग अब जीवित नहीं है. इसके बावजूद उनके नाम मतदाता सूची से हटाए नहीं गए हैं.
एक अध्ययन के अनुसार 1986 से लेकर 2006 के बीच जन्मे और 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने और प्रवासन को घटाने के बाद 2024 में बंगाल में वैध मतदाताओं की संख्या लगभग 6.57 करोड़ होनी चाहिए. लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों में यह संख्या 7.61 करोड़ दर्ज है. इसलिए संभावना व्यक्त की जा रही है कि जब चुनाव आयोग राष्ट्रीय स्तर पर एस आई आर की घोषणा करेगा, तो बिहार की तरह बंगाल में भी बवाल हो सकता है.
चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन मतदाताओं को नोटिस जारी किया गया है, उनका पक्ष सुने बिना उनकी मतदान पात्रता पर ई आर ओ कोई अंतिम फैसला नहीं लेंगे. चुनाव आयोग की ओर से मतदाताओं को भरोसा दिया गया है कि किसी भी वैध मतदाता का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा और बिना नोटिस के किसी का भी नाम नहीं काटा जाएगा.