September 11, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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Teesta पर बंगाल सरकार का सिक्किम और केंद्र को अल्टीमेटम: “बाढ़ से पहले जागो, वरना आंदोलन के लिए रहो तैयार”

तीस्ता नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए, बंगाल सरकार ने अब अपनी नींद तोड़ी है और हरकत में आने का निर्णय लिया है, विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं की तीस्ता नदी का बदलता मिज़ाज अब केवल एक पर्यावरणीय चुनौती नहीं, बल्कि उत्तर बंगाल और सिक्किम के लिए आपदा का अलार्म बन चुका है। लेकिन फिर भी केवल सिक्किम राज्य ही लगातार अपने हिमनद झीलों का सर्वेक्षण करती हुई नज़र आ रही है लेकिन ज़मीन पर अब भी कुछ ठोस कदम उठते हुए नहीं दिखे हैं। The Telegraph में एक रिपोर्ट छपी है, इसके अनुसार अब बंगाल सरकार के सिंचाई विभाग ने तीस्ता नदी और उसपर बने बांधों का आकारिकी अध्ययन करने की योजना तैयार की है, जिसमें नदी के बदलते व्यवहार और उसके मार्ग तथा किनारों पर जलविद्युत परियोजनाओं के प्रभाव को लेकर जांच की जाएगी, यानी की नदी अक्टूबर 2023 में आई विनाशकारी प्रलय के बाद कितना बदला है इसपर और नदी पर जितने भी बाँध बने हैं उनका नदी पर क्या असर पड़ा है और पड़ रहा है इसका अध्ययन बंगाल सरकार करना चाहती है और इसमें वह सिक्किम सरकार का सहयोग माँग रही है।

अक्टूबर 2023 के GLOF के बाद नदी का तल 14 मीटर तक ऊपर उठ चुका है, ये नदी,तटवर्ती ज़मीन निगल रही है और NH-10 के किनारे का इलाक़ा भी खिसक रहा है, इसकी पूरी जानकारी अप्रैल 2025 को छपी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट में बताया गया है। ऐसे में पश्चिम बंगाल सरकार ने तीस्ता और इसके बांधों पर गहन वैज्ञानिक अध्ययन की योजना तैयार की है और साफ कह दिया है कि अब केंद्र और सिक्किम सरकारें जागें, वरना विरोध ही अंतिम रास्ता बचेगा। पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री मानस भुनिया ने Telegraph को दो-टूक बाते कहीं है और सीधे सीधे ही बात ना सुनने पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है , वह कहते हैं की “बाढ़ नियंत्रण और तटीय आबादी की सुरक्षा के लिए यह अध्ययन बेहद ज़रूरी है। हमने केंद्र को कई बार सतर्क किया, पर चुप्पी जारी रही। हम सिक्किम को भी संयुक्त अध्ययन के लिए कह चुके हैं, पर अब तक ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। अनिश्चितकाल तक प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। अगर केंद्र सरकार इस दिशा में चुप रही तो विरोध ही एकमात्र रास्ता बचेगा।”

GLOF के बाद से तीस्ता लगातार पत्थर, गाद और रेत ला रही है। सिक्किम के मल्ली में नदी का तल 14 मीटर तक और तीस्ता बाज़ार में 6–7 मीटर तक ऊपर उठ चुका है। इसके चलते बाढ़ का ख़तरा कई गुना बढ़ गया है। जलपाईगुड़ी के क्रांति, मैनागुड़ी और राजगंज में नदी पहले ही खेत और बस्तियां निगल चुकी है। पश्चिम बंगाल के सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूजा सीज़न के बाद सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। ये स्थिति इतनी गंभीर और चिंताजनक है कि NH-10 के कई हिस्सों पर नदी का कटाव गंभीर हो गया है और सेवोक के पास दाहिने किनारे की ज़मीन को नदी काट रही है। जंगल के गांवों को शिफ्ट करने तक की नौबत आ गई है। मंत्री भुनिया का कहना है कि यह सिर्फ बंगाल का नहीं, सिक्किम का भी मुद्दा है। वह कहते हैं कि “केंद्र और सिक्किम दोनों को अब इस मामले को गंभीरता से लेना होगा। अगर यह ख़ामोशी जारी रही तो तीस्ता का बदलता मिज़ाज आने वाले समय में उत्तर बंगाल और सिक्किम दोनों के लिए विनाशकारी साबित होगा। हम किसी कीमत पर जनता की सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे” , उन्होंने चेतावनी दी है। 2023 की बाढ़ के बाद कई अध्ययन सिक्किम की तरफ़ से हुए हैं, और वैज्ञानिकों की हर रिपोर्ट साफ कहती है की GLOF के बाद नदी के तल में उठाव और सिल्टिंग ने उसकी जलधारण क्षमता को घटा दिया है। इस स्थिति में समय पर ठोस कदम न उठाए गए तो यह संकट बेकाबू हो सकता है।
अब बंगाल सरकार का संदेश साफ है, संदेश नहीं एक तरह से अल्टीमेटम है की तीस्ता का संकट अब चेतावनी मात्र नहीं, सर पर लटकती तलवार जैसा हो गया है जो कभी भी गिर सकती है और विनाश कर सकती है । बंगाल सरकार की खुली चेतावनी है, केंद्र और सिक्किम सरकार से की सहयोग करो या विरोध के लिए तैयार रहो।

अब सिक्किम के लिए, इस पर हामी भरना आसान नहीं होगा । बंगाल सरकार नदी पर बने सभी बाँधों से पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करना चाहती है, अब ऐसे में सिक्किम के कई बांधों की मौजूदगी और विश्वसनीयता पर पहले ही कई सवाल उठ रहे हैं, तीस्ता 3 डैम फिर बन रहा है, सिक्किम में भाजपा भी उसका विरोध करती हुई दिखी है, कई समुदाय इसका विरोध कर रहे हैं, विजिलेंस की रेड पड़ रही है ऐसे में क्या सिक्किम , पश्चिम बंगाल को अपनी किताब खोलकर दिखाएगा? ऐसा होना थोड़ा मुश्किल ज़रूर लगता है, लेकिन संभव है कि कोई बीच का रास्ता दोनों निकाल सकते हैं। लेकिन यहाँ सुई केंद्र पर भी टिकी हुई है, बंगाल में चुनाव है ऐसे में क्या केंद्र बंगाल के इस काम का सहयोग देगी, इसमें थोड़ा संशय ज़रूर है। अब अगर सभी मौजूदा स्थितियों का मूल्यांकन किया जाए तो लगता तो यही है कि बंगाल सरकार, उत्तर बंगाल के लोगों का दिल जीतना चाहती है, ऐसे में वह विरोध करने से भी नहीं चूकेंगे। अब तीस्ता का ये मुद्दा कितना आगे बढ़ता है इसपर हमारी नज़र बनी रहेगी।

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