क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार में 14 साल का समय लगा दिया. कदाचित आपको यह अविश्वसनीय लगे, परंतु यह पूरी तरह सच है. विडंबना है कि यह बंगाल की घटना है और पुलिस भी बंगाल की ही है, जिसने खुद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए निचली अदालत में आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की अर्जी लगाई थी. कोर्ट ने पुलिस की अर्जी स्वीकार कर ली. लेकिन आरोपी को गिरफ्तार करने में पुलिस को पूरे 14 साल लग गए. है ना यह हैरतअंगेज घटना!
इतना ही नहीं, एक तो 14 साल बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और कोर्ट में हाजिर करके जेल भिजवा दिया. दूसरी तरफ आरोपी ने कोलकाता हाई कोर्ट में जमानत की अर्जी दे दी और कोलकाता हाई कोर्ट ने न केवल आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, बल्कि आरोपी को गिरफ्तार करने वाली पुलिस को ही खरी खोटी सुनाई.अदालत ने पूछा क्या पुलिस को उनके कर्तव्यों की याद दिलाने वाला हमारे देश में कोई कानून नहीं है?
चलिए आपको घटना तफ़सील से बताते हैं. यह घटना 2010 की है, जब मुर्शिदाबाद के जलंगी थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक चार पहिए वाहन से मादक पदार्थ बरामद हुआ था. इस सिलसिले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया था. उन लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि एक तीसरा व्यक्ति काजिम शेख भी है, जो उनका सरगना है. मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस को काजिम शेख को गिरफ्तार करना जरूरी था.
इसके लिए पुलिस ने निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया. जलंगी थाना की पुलिस ने काजिम शेख को गिरफ्तार करने के लिए अदालत में अर्जी लगा दी कि मामले की जांच के लिए काजिम को गिरफ्तार करना जरूरी है. लिहाजा अदालत ने पुलिस अधिकारी की अर्जी स्वीकार कर ली और काजिम शेख के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. यह गिरफ्तारी वारंट 2 सितंबर 2010 को जारी हुआ था.
जलंगी थाना की पुलिस ने काजिम को गिरफ्तार करने में पूरे 14 साल लगा दिए. आश्चर्य की बात तो यह है कि आरोपी स्थानीय था. और वह कहीं भागा नहीं था. फिर भी पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी और जब उसे गिरफ्तार किया तो 14 साल पूरे हो गए थे. 22 मार्च 2024 को काजिम शेख को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस तो यह सोच रही थी कि देर से ही सही, उसने आरोपी सरगना को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन आरोपी भी कानून का जानकार था. उसने अपनी गिरफ्तारी को कोलकाता हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपनी जमानत याचिका भी प्रस्तुत कर दी.
कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अपूर्व सिंह राय की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और काजिम शेख को गिरफ्तार करने वाली पुलिस को ही डांट लगा दी, जब यह पता चला कि उसे गिरफ्तार करने में पुलिस को 14 साल लगे. इस पर न्यायाधीश ने पुलिस से पूछा कि आखिर आरोपी को गिरफ्तार करने में पुलिस को 14 साल क्यों लग गए? इसका तर्कसंगत जवाब पुलिस के पास नहीं था. लिहाजा हाई कोर्ट ने काजिम को जमानत पर रिहा कर दिया.