आमतौर पर लोग ऐसे मेडिकल स्टोर्स की तलाश करते हैं, जहां दवाइयों पर अधिक छूट मिलती है. वे वहीं से दवाइयां लेते हैं जहां दवाइयों पर उन्हें ज्यादा डिस्काउंट मिलता है. वर्तमान में सिलीगुड़ी में नए पुराने लगभग सभी तरह के मेडिकल स्टोर्स पर कम या ज्यादा दवाइयों पर छूट मिल रही है. लेकिन कुछ मेडिकल स्टोर्स ऐसे हैं जो दवाइयों पर भारी छूट देते हैं. इनमें से कुछ मेडिकल स्टोर्स 20 से लेकर 25% तक डिस्काउंट दे रहे हैं. नए मेडिकल स्टोर तो 30% तक डिस्काउंट देते हैं.
आजकल सिलीगुड़ी में दवाइयों के बाजार में स्पर्धा देखी जा रही है. जो जितनी ज्यादा छूट देता है, ऐसी दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी जा सकती है. ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या ज्यादा छूट वाली दवाइयां गुणवत्ता की कसौटी पर खरी भी उतर रही हैं? एक ही दवाई के अलग-अलग मूल्य मरीज से क्यों लिए जा रहे हैं? यह सवाल काफी महत्वपूर्ण है और आशंका भी उत्पन्न करती है कि क्या बाजार में नकली दवाइयां बेची जा रही है, जिन पर ग्राहक को ज्यादा छूट दी जाती है?
बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ऐसोसिएशन उत्तर बंगाल के संयुक्त कन्वेनर पी साहा ने भी आशंका जाहिर की है कि ज्यादा छूट वाली दवाइयां नकली भी हो सकती हैं. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी में मेडिकल स्टोर्स के द्वारा ग्राहकों को दवाइयों में अधिक से अधिक डिस्काउंट देने की होड़ मच गई है. लेकिन ग्राहकों को सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि सिलीगुड़ी में दूसरे राज्यों से ज्यादा छूट वाली दवाइयां प्रवेश कर गई है. यह दवाइयां असली है या नकली, यह जांच का विषय है. लेकिन ज्यादा छूट वाली दवाइयां लेते समय ग्राहकों को सावधान रहने की जरूरत है.
सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी में कुछ मेडिकल स्टोर्स दूसरे राज्यों से नकली दवाइयां मंगा कर ग्राहकों को उन पर भारी छूट दे रहे हैं. दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक आदि विभिन्न राज्यों से नकली दवाइयां सिलीगुड़ी में मंगाई जा रही हैं, जिन पर कुछ मेडिकल स्टोर्स वाले ज्यादा छूट देते हैं. ग्राहक को पता नहीं होता कि वह जो दवाई खरीद रहा है, वह असली है या नकली. उसे तो इस बात का संतोष रहता है कि उसने दवा खरीदी है. भले ही दवा का कोई असर ना हो या ऐसी दवाएं मरीज को नुकसान पहुंचाए.
सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी में कुछ मेडिकल स्टोर्स पर बिक रही नकली दवाइयों के बारे में राज्य सरकार एवं ड्रग्स कंट्रोलर को शिकायत की गई है. पी साहा ने बताया कि अगर किसी भी दवाई पर एक निश्चित दर से अधिक कोई छूट देता है तो समझना चाहिए कि दाल में कुछ काला है. पश्चिम बंगाल सरकार पहले ही राज्य में नकली दवाइयों के खिलाफ अभियान चला रही है और ग्राहकों को जागरुक कर रही है.
सिलीगुड़ी में बिक रही असली और नकली दवाइयों के बीच ज्यादा फर्क नहीं होता और एक आम उपभोक्ता के लिए समझना आसान भी नहीं होता. ऐसे में प्रशासन और बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन को ही कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि ग्राहक नकली दवाइयों से दूर रहे. उदाहरण के लिए प्रत्येक दवाई पर क्यूआर कोड लगाया जाना चाहिए. आज इस बात की ज्यादा आवश्यकता है कि सिलीगुड़ी के ग्राहकों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए.
पी साहा ने बताया कि सिलीगुड़ी के उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए इस बार प्रत्येक पूजा पंडाल में नकली दवाइयों के खिलाफ बैनर लगाए जाएंगे. पर समस्या यह है कि आखिर ग्राहक कैसे पहचान करें कि दवा असली है या नकली. इसके लिए प्रशासन को ही ठोस व्यवस्था करनी होगी. बेहतर होता कि दवाइयों की जांच के लिए एक टेस्टिंग लैबोरेट्री सिलीगुड़ी में स्थापित होता. पी साहा ने बताया कि इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है और जल्द ही सिलीगुड़ी में टेस्टिंग लैबोरेट्री की स्थापना हो जाएगी.
बहरहाल यह देखना होगा कि आने वाले समय में बंगाल केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन नकली दवाइयों के खिलाफ ग्राहकों को किस तरह जागरूक करता है और सिलीगुड़ी में नकली दवाइयों की आपूर्ति को रोकने के लिए क्या पहल करता है.