सिलीगुड़ी भारत भूटान, भारत नेपाल और भारत बांग्लादेश सीमा से सोने, नशीले द्रव्य और अन्य गैर कानूनी वस्तुओं की तस्करी करने वालों का सुरक्षित गलियारा बन गया है. तीन देशों की सीमा पर स्थित सिलीगुड़ी भारत भूटान से सोने और ड्रग्स की तस्करी करने वालों का सुरक्षित गलियारा तो है ही, अब बांग्लादेश भी इससे जुड़ गया है.
बंगाल में कहीं भी सोने, ड्रग्स और अन्य वस्तुओं की तस्करी होती है, तो कहीं ना कहीं भूटान और बांग्लादेश का नाम आ ही जाता है. सिलीगुड़ी बॉर्डर से लेकर केरल तक फैले तस्कर इन दोनों देशों से सोना, ड्रग्स और करेंसी की तस्करी करते हैं. तस्करी का यह कारोबार काफी विस्तृत है और एक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से संचालित होता है. पिछले दिनों DRI सिलीगुड़ी शाखा द्वारा कुछ सोना तस्करों की गिरफ्तारी से कई बातों का सनसनीखेज खुलासा हुआ है.
पिछले दिनों राजस्व खुफिया निदेशालय सिलीगुड़ी शाखा की टीम ने 5 किलो से अधिक सोने के साथ चार तस्करों को गिरफ्तार किया था. इन सभी को बिहार के किशनगंज से गिरफ्तार कर सिलीगुड़ी लाया गया. उनके पास से सोने के 48 बिस्किट जब्त किए गए. बरामद सोने की बाजार कीमत अनुमानित 6 करोड़, 29 लाख, 32हजार,800 रूपये है. सभी पकड़े गए तस्कर बंगाल और बिहार के हैं. पंकज कुमार, सूरज कुमार व आशीष कुमार बिहार के रहने वाले हैं. जबकि सौविक पान बंगाल का निवासी है.
ये सभी तस्कर भारत बांग्लादेश सीमा के उत्तर दिनाजपुर जिले के गोयल पोखर इलाके से सोना लेकर किशनगंज गए थे. दिल्ली में इसे बेचने की योजना बनाई गई थी. लेकिन उससे पहले ही एक गुप्त सूचना के आधार पर डी आर आई की टीम ने उन्हें किशनगंज से गिरफ्तार कर लिया. उनके खिलाफ कस्टम्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.उधर केरल में कस्टम विभाग ने जिस अंतरराष्ट्रीय तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है, उससे यह भी पता चलता है कि भूटान से सोना और ड्रग्स की भारी मात्रा में भारत में तस्करी होती है.
जांच एजेंसियों ने पाया है कि भारत भूटान सीमा के रास्ते महंगी कारों की तस्करी होती है. यह गैरकानूनी है. क्योंकि भारत में पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध है, जब तक कि उन्हें अधिकृत सीमा शुल्क पोर्ट से 160% ड्यूटी चुकाकर ना लाया जाए. पिछले दिनों ऑपरेशन नुमखोर चलाया गया था. भूटान की जोंगखा भाषा में इसे वाहन कहा जाता है. इस ऑपरेशन को सीमा शुल्क, एटीएस, परिवहन आयुक्तालय और राज्य पुलिस की मदद से अंजाम दिया गया था.
मिल रही जानकारी के अनुसार भूटान से महंगी कारों को भारत में लाने के लिए तस्कर तीन तरीके अपनाते थे. कारों को क्षतिग्रस्त हालत में दिखाना, उनका दूसरा तरीका कंटेनर ट्रक में कारों को छुपा कर लाना होता था और उनका तीसरा तरीका टूरिस्ट व्हीकल बताना होता था. इन तरीकों को अपनाकर वे सीमा शुल्क अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक दिया करते थे.
कस्टम विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस पूरे नेटवर्क को कोयंबटूर से संचालित किया जा रहा था. अब तक की जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार यह तस्कर सिर्फ कारों तक सीमित नहीं थे. इन वाहनों का इस्तेमाल सोने और ड्रग्स की स्मगलिंग के लिए भी किया गया. यह भी पता चला है कि भारतीय और विदेशी मुद्रा को भी बड़े पैमाने पर भूटान भेजा जाता था. इस रैकेट की जड़ें बहुत गहरी थीं. कोयंबटूर का यह नेटवर्क अमीर और प्रभावशाली लोगों से जुड़ा हुआ था. ऐसे लोग अनजाने में तस्कर के शिकार बनते गए. क्योंकि उन्होंने इन अवैध कारों को सस्ता समझ कर खरीद लिया था.
मिल रही जानकारी के अनुसार ऑपरेशन नुमखोर काफी सफल रहा. एक ही दिन में 36 महंगी कारों को जब्त किया गया. इससे तस्करों में खलबली मच गई. इस नेटवर्क का उद्देश्य तस्करी के जरिए मोटा मुनाफा कमाना था. उनके द्वारा महंगे वाहनों को अवैध तरीके से भारत में लाकर बेचा जाता. जबकि इन्हीं गाड़ियों का इस्तेमाल सोने और ड्रग्स को छिपाने के लिए भी किया जाता था. कस्टम अधिकारियों ने बताया है कि एक कार से करोड़ों रुपए का उन्हें मुनाफा होता था.
कस्टम अधिकारियों के अनुसार नेटवर्क में शामिल तस्कर किसी तरह का वित्तीय रिकॉर्ड नहीं रखते थे. उन्होंने कई गाड़ियों को फर्जी रजिस्ट्रेशन और सेना की मुहरों का इस्तेमाल करके पास कराया था. जिस गाड़ी पर सेना की मुहर होती थी, चेक पोस्ट के अधिकारी भी उसे रोक नहीं पाते थे. बहरहाल अब तक कस्टम अधिकारियों तथा ऑपरेशन नुमखोर के द्वारा जो भी जानकारी सामने आई है और जो सबूत हाथ लगे हैं, उनसे पता चलता है कि तस्करों का यह नेटवर्क भूटान से लेकर केरल तक फैला है और सिलीगुड़ी उनका सबसे सुरक्षित गलियारा है.