जीएसटी की नई दर का केंद्र सरकार ने पूरे ताम झाम के साथ देश भर में ऐलान किया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया और कहा कि जीएसटी की नई दर लागू होने से पूरे देश को काफी फायदा होगा. बाजार में खरीददारी बढ़ेगी. व्यवसायी और ग्राहक दोनों ही फायदे में रहेंगे. लेकिन सरकार ने इस बात को इस तरह से प्रचारित किया, जैसे देश पाकिस्तान से एक और नई जंग लड़ने जा रहा हो. यह कुछ इस तरह से हुआ, जैसे नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया था.
जिस तरह से जीएसटी की नई दर लागू होने और जनता को रातों-रात लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने देश की 140 करोड़ जनता को डंके की चोट पर उसके लाभ गिनाने की कोशिश की, कम से कम वर्तमान में उसकी हवा निकल रही है. क्योंकि बाजार में खाने-पीने और दूसरे अधिकतर सामान अभी भी पुरानी दर पर ही मिल रहे हैं. जबकि सरकार ने कहा था कि देश की जनता को 22 सितंबर से ही जीएसटी की नई दर का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.
देशभर के विभिन्न अखबारों और न्यूज़ चैनल्स के जरिए जो जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार इंश्योरेंस और गाड़ियों, भारी भरकम मशीनरी की बात छोड़ दे तो खाने-पीने और दूसरे किचन के सामानों पर नई जीएसटी दर का लाभ सभी ग्राहकों को मिल रहा हो, यह स्पष्ट नहीं हो रहा है. कम से कम सिलीगुड़ी में तो यही देखा जा रहा है. एक आम आदमी खाने पीने और किचन के सामान में सहूलियत पाना चाहता है.
आज भी सिलीगुड़ी में 22 सितंबर से पहले पैकेट आदि के जो अंकित मूल्य थे, उसी मूल्य पर दुकानदार सामान बेच रहे हैं. यानी 22 सितंबर से पहले महंगाई की जो स्थिति थी, अब भी वैसी ही है. लोगों को नयी जीएसटी दर का कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जलपाई मोड पर पनीर खरीदने गए एक जागरूक ग्राहक का दुकानदार से इसलिए झगड़ा हो गया क्योंकि दुकानदार पुरानी दर पर ही ग्राहक को पनीर बेच रहा था. अमूल का पनीर पैकेट पुरानी दर 95 रुपए में बिक रहा था. ग्राहक का तर्क था कि 22 सितंबर से नई जीएसटी दर लागू हो गई है. ऐसे में पनीर को नई जीएसटी दर पर ही बेचा जाना चाहिए. ग्राहक
दुकानदार का कहना था कि जब कंपनी की ओर से नई जीएसटी दर पर मूल्य अंकित होंगे, तब वह भी ग्राहक को नई जीएसटी दर का लाभ दे सकता है. उसका कहना था कि उसके पास जो माल है, वह पहले का है और दुकानदार ने पुरानी जीएसटी दर पर ही कंपनी से लिया है. ऐसे में वह ग्राहक को घाटा लगाकर सामान नहीं बेच सकता है. उसने कहा कि जब पैकेट पर नए अंकित मूल्य छपेंगे तो ग्राहक को अपने आप लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. ऐसे में सवाल यह है कि यह क्यों कहा जा रहा है कि देशभर में वस्तुओं की आपूर्ति नई जीएसटी दर पर उपलब्ध हो रही है?
सूत्र बता रहे हैं कि खाने-पीने के आइटम और दूसरे पैकिंग सामानों पर नई जीएसटी का लाभ ग्राहकों को मिलने में अभी वक्त लगेगा. जब तक दुकानदार नया माल नहीं मंगा लेते, तब तक लोग पुरानी दर पर ही सामान खरीदने के लिए मजबूर रहेंगे. कोई भी दुकानदार नया माल तभी मंगाता है, जब उसका गोदाम खाली हो जाता है. कुछ दुकानदारों ने बताया कि कुछ आइटम्स ऐसे हैं, जिनका लाभ ग्राहकों को तभी मिलेगा जब तक कंपनी अथवा एजेंसी डीलरों से नया स्टॉक नहीं आ जाता है. फिलहाल सिलीगुड़ी में कार, बाइक, बीमा और कुछ खास मशीनरींयों पर नई जीएसटी दर का उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है. इस तरह का लाभ उठाने वाले कुछ गिने चुने लोग ही होते हैं.
बाजारों का मुआयना करने निकले भाजपा के दो सांसदों राजू बिष्ट और डॉक्टर जयंत राय को अब तक एहसास हो गया होगा कि सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग की जनता को नई जीएसटी दर का कम से कम खाने-पीने और किचन के पैकिंग सामानों पर तो नहीं मिल रहा है. बता दें कि नयी जीएसटी दर लागू होने के बाद पिछले दिनों दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के सांसद राजू बिष्ट व्यवसाईयों के बीच जाकर उनसे नए अनुभव के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे थे.
जबकि जलपाईगुड़ी लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉक्टर जयंत राय पिछले दिनों एनजेपी तथा गेट बाजार इलाके में गए और दुकानदारों से मुलाकात की. दोनों सांसद यह पता लगा रहे थे कि 22 सितंबर से लागू नई जीएसटी दर का लाभ ग्राहकों को मिल रहा है या नहीं. इस तरह से कहा जा सकता है कि कुछ वस्तुओं को छोड़कर अधिकांश दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर नई जीएसटी दर का लाभ सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में 25 सितंबर तक तक नहीं मिल रहा था.