यूं तो हर साल सिलीगुड़ी विशेष संशोधनागार में दुर्गा पूजा होती है. परंतु इस साल यहां दुर्गा पूजा का एक विशेष उल्लास कैदियों में देखा जा रहा है. यहां हर साल जेल के कैदी दुर्गा पूजा का सामूहिक आयोजन करते हैं और पूरे विधि विधान के साथ मां दुर्गा की अर्चना करते हैं. इस दौरान धर्म, जाति, वर्ग सब कुछ गौण हो जाते हैं.
लेकिन इस साल की दुर्गा पूजा विशेष है. नवरात्रि के छठे दिन से यहां पूजा शुरू हो रही है. जेल में रहने वाले कैदियों के द्वारा ही पूजा आयोजन कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी के द्वारा पूजन सामग्री, प्रतिमा, प्रसाद, व्यंजन और तमाम सामानों की सूची जेल प्रबंधन को सौंप दी गई है. जेल प्रबंधन के द्वारा इन सभी सामानों को बाजार से खरीदा जाएगा और जेल के अंदर कमिटी के हवाले किया जाएगा. पूजा आयोजन कमेटी के कैदी इस बार खुद ही प्रसाद और भोग तैयार करेंगे. चार दिनों का प्रसाद और भोग तैयार किया जाएगा. यह सब कुछ कैदी स्वयं करेंगे.
इतना ही नहीं पूजा के दौरान ढाक भी बजाया जाएगा. इसके लिए कैदी का चुनाव कर लिया गया है. इसके अलावा बंगाल की पारंपरिक धनुची नृत्य प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया है. पूजा आयोजन कमेटी ने सभी कैदी सदस्यों को काम बांट दिया है. उसी के अनुसार कैदी अपना अपना काम करेंगे. जिस तरह से जेल के अंदर दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है, उससे लगता ही नहीं है कि कैदी जेल के अंदर हैं. उन्हें उस तरह की अनुभूति हो रही है, जैसे वे खुली हवा में सांस ले रहे हो.
जिस तरह से दुर्गा पूजा कमेटी बनाकर चंदा वसूला जाता है, मूर्तिकारों के यहां से प्रतिमा मंगाई जाती है, कैदियों से चंदा वसूला जाता है, भांति-भांति के पकवान और प्रसाद तैयार किए जाते हैं, जिस तरह से दुर्गा पूजा के दौरान कैदी व्रत रखते हैं और मिल जुल कर उत्सव मनाते हैं, इससे ऐसा आभास होता है कि एक कैदी जेल में न रहकर बाहर खुली हवा में सांस ले रहा हो. पूजा तक उनका उत्साह देखते बनता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेल में पूजा की तैयारी 2 महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. जेल के कैदी मिलकर दुर्गा पूजा कमेटी का गठन करते हैं और इस कमेटी में कुछ सदस्यों को शामिल किया जाता है. इसके बाद कमेटी के द्वारा कैदियों से चंदा वसूला जाता है. किसी भी धर्म या जाति का कैदी क्यों ना हो, वह पूजा के लिए चंदा जरूर देता है. जेल के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सभी चंदा देते हैं. इसी चंदा की रकम से पूजा, प्रसाद, भोजन और व्यंजनों की व्यवस्था की जाती है.
इस बार भी कुछ ऐसा ही है नजारा है यहां. सिलीगुड़ी विशेष संशोधनागार कोई बड़ा नहीं है. इस जेल की क्षमता केवल 250 कैदियों की है. परंतु वर्तमान में जेल में 650 से अधिक कैदी रह रहे हैं. इन कैदियों में 45 महिलाएं और 5 बच्चे शामिल हैं.सूत्रों ने बताया कि इस बार सिलीगुड़ी जेल में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है. कुमार टोली से प्रतिमा मंगाई गई है. बाजार से पूजन सामग्री लाई गई है. जबकि पुरोहित भी बाहर से जेल में आ रहे हैं, जो पूजा करेंगे इसके अलावा सारी व्यवस्था जेल के कैदी ही देख रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि यहां मुख्य पूजा सप्तमी से शुरू होगी. कमेटी के द्वारा माता का भोग, प्रसाद ,सब तैयार किया जा रहा है. सभी कैदियों को नए वस्त्र कमेटी के द्वारा वितरण किए जाएंगे. इस बार जेल के अंदर कैदियों के खाने-पीने का विशेष ख्याल रखा गया है. और उन्हें पूजा के दौरान भांति भांति के पकवान और स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलेंगे.
सूत्रों ने बताया कि षष्ठी के दिन से यहां पूजा विधिवत रूप से शुरू हो जाएगी. सभी कैदी जाति और धर्म से ऊपर उठकर माता की अर्चना करेंगे. सूत्र बता रहे हैं कि राज्य कारागार विभाग के द्वारा इसकी सहमति प्रदान कर दी गई है. जरूरत पड़ने पर उन्हें वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा सकती है. कैदियों के लिए जो भोजन तालिका बनाई गई है, उसके अनुसार माता के भोग में मिठाई, खीर, खिचड़ी, सुबह के समय पूरी सब्जी बुंदिया, दोपहर और रात में खिचड़ी, सब्जी, मिठाई, चटनी और बीच-बीच में मछली, मांस, दही, चटनी, भात, पुलाव, आदि का भी स्वाद उन्हें मिलता रहेगा. तो है ना सिलीगुड़ी जेल के कैदियों की यह अनोखी दुर्गा पूजा!