पिछले तीन दिनों से उत्तर बंगाल में त्राहि त्राहि मची है. भारी वर्षा, भूस्खलन और नदियों के उफान ने भयानक तबाही मचाई है. जान माल का भारी नुकसान हुआ है. इस प्राकृतिक आपदा में 25 से अधिक लोगों की मौत हुई है. अनेक घर तबाह हो गए. पुल और बांध टूटने से संचार संपर्क भी भंग हो गया है. आज भी बारिश जारी रही.
इस बीच आपदा पीड़ितों के करीब से करीब जाने और उनकी सहायता के लिए राजनीतिक दलों के नेताओं में जैसे होड़ सी लग गई है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल के दौरे पर आई है.उन्होंने आपदा में मारे गए लोगों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने तथा परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है. भाजपा की ओर से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य, दार्जिलिंग सांसद राजू विष्ट, सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष तथा दूसरे विधायक और भाजपा सांसद पीड़ितों का दुख बांटने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
पिछले दिनों की मूसलाधार बारिश और बाढ़ में सिलीगुड़ी के नजदीक स्थित नागराकाटा भयानक प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ है. यहां बस्ती की बस्ती उजड़ गई. लोग बेहाल हैं. उनकी मदद के लिए केवल स्वयंसेवी और समाजसेवी संस्थाएं ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के नेता भी सामने आ रहे हैं. ऐसे ही आपदा पीड़ितों का हाल मालूम करने तथा उनकी सहायता के लिए सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष और मालदा के भाजपा सांसद खगेन मुर्मू नागराकाटा जा रहे थे.
अभी उनकी गाड़ी रास्ते में ही थी कि कुछ लोगों ने उनकी गाड़ी के आगे जानबूझकर भीड़ खड़ी कर दी. इसके बाद भीड़ में से ही अचानक ही उनकी कार के शीशे पर पत्थर फेके जाने लगे. पत्थर बायी तरफ से कार की खिड़की की ओर फेके जा रहे थे. यह सब कुछ एकदम से अचानक हुआ, जिसकी कल्पना ना तो स्वयं शंकर घोष ने की थी और ना ही सांसद खगन मुर्मू ने.
इससे पहले कि दोनों भाजपा नेता स्वयं का बचाव कर पाते, भीड़ की ओर से उछाल गए पत्थर कार की खिड़की की कांच को तोड़ते हुए विधायक शंकर घोष और सांसद खगेन मुर्मू को लहूलुहान करते चले गए. खगेन मुर्मू को सबसे ज्यादा चोटे लगी. जबकि उनकी बायी तरफ बैठे शंकर घोष को ज्यादा चोट नहीं आई. हालांकि इस घटना में शंकर घोष के गले,आंख और हाथ में तेज चोट आई है. जबकि सांसद खगेन मुर्मू की हालत गंभीर बताई जा रही है.
घटना में घायल होने के बाद दोनों भाजपा नेताओं को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनकी चिकित्सा की गई. भाजपा नेताओं ने इस हमले के लिए टीएमसी की साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा है कि टीएमसी नेताओं के इशारे पर उन पर जानलेवा हमला किया गया. जबकि टीएमसी की ओर से इस बात से इनकार किया गया है. घटना के बाद इलाके में तनाव देखा जा रहा है. दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप चल रहा है.
पुलिस घटना की जांच कर रही है. लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पुलिस हमलावरों की पहचान के लिए सीसीटीवी तथा अन्य डिजिटल सूत्रों की तलाश कर रही है. सवाल यह है कि आखिर पुलिस ने दोनों नेताओं की सुरक्षा का ध्यान क्यों नहीं रखा? क्या हमलावरों ने अचानक ही उन पर हमले किए या फिर इसके पीछे कोई साजिश थी?
यह कहा जा रहा है कि राहत कार्य में कमी या देरी के कारण स्थानीय लोग उग्र हो गए और इसीलिए उन्होंने नेताओं का घेराव करते हुए प्रदर्शन किया. तो फिर पत्थर बाजी क्यों हुई? अगर लोगों की नाराजगी सरकार से थी तो विधायक शंकर घोष और सांसद खगेन मुर्मू पर हमले क्यों किए गए? बहर हाल पुलिस विभिन्न पहलुओं से घटना की जांच में जुटी है. बता दें कि हाल ही में शंकर घोष ने कहा था कि ममता बनर्जी कोलकाता में कार्निवल में व्यस्त हैं. जबकि उत्तर बंगाल आपदा से त्रस्त है.