October 6, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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सावधान! खांसी में बच्चों को कफ सिरप ना दें!

रात में मुन्ने को बार-बार खांसी आ रही थी. मुन्ने को परेशान देखकर पूरा परिवार परेशान और चिंतित था. मुन्ने की मां श्रीमती रेणुका से अपने बच्चे की हालत देखी नहीं गई, तो उन्होंने तुरंत कफ सिरप का डोज दे दिया, ताकि उनके मुन्ने को थोड़ा आराम मिल सके. कफ सिरप लेते ही मुन्ना सो गया. लेकिन वह फिर उठ नहीं सका.

पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग राज्यों में इस तरह की काफी घटनाएं घटी हैं. कफ सिरप लेने से बच्चों की मौत हो गई. राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और विभिन्न राज्यों में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई है. अब तक दर्जनों बच्चों की कफ सिरप लेने से मौत हो चुकी है.

देश के विभिन्न राज्यों में घटी इन दुखद घटनाओं ने सिलीगुड़ी के माता-पिता को भी चिंतित और परेशान किया है. गनीमत है कि अभी तक सिलीगुड़ी में इस तरह का कोई हादसा नहीं हुआ है. लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों में कफ सिरप लेने के बाद बच्चों की मौत की बढ़ती घटनाओं ने उन्हें भीतर से डरा दिया है. आमतौर पर बच्चे को खांसी जुकाम आदि होने पर डॉक्टर कफ सिरप लेने की सलाह देते हैं.

अब तक कफ सिरप को सुरक्षित माना जा रहा था. कफ सिरप लेने से बच्चों को खांसी में जल्दी आराम मिल जाता है. लेकिन बदली स्थितियों में कफ सिरप हानिकारक सिद्ध हो रहा है. माता-पिता के समक्ष एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि अगर उनका बच्चा ऐसे लक्षणों से जूझ रहा हो तो ऐसे में राहत के लिए उसे कौन सी औषधि दें. सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया है कि औषधि कोई भी हो, लेकिन कफ सिरप तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. 2 साल तक के बच्चों को खांसी होने पर बाहर की दवाई नहीं बल्कि घर पर बनी देसी नुस्खे वाली दवाई दें.

ऐसी दुखद घटनाओं के बाद केंद्र सरकार जगी है और संबंधित विभागों के विशेषज्ञों के साथ बैठक करके कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से जारी एक अधिसूचना में देशभर में राज्यों को सलाह दी गई है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिए जाएं. जबकि 2 वर्ष से 5 वर्ष के बीच के बच्चों को कफ सिरप डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर ही दिए जाएं.

वास्तव में कफ सिरप को लेकर देश भर में जो हाय तौबा मची है, वह इतना जानलेवा है कि कफ सिरप लेते ही बच्चों की किडनी फेल होने की शिकायत आने लगी. जिस कफ सिरप को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया, वह मध्य प्रदेश का कोल्ड्रिफ सिरप था. वर्तमान में कोल्ड्रिफ का निर्माण करने वाली कंपनी पर FIR दर्ज किया गया है. इस कफ सिरप को लेने से अब तक मध्य प्रदेश में 16 बच्चों की मौत हो चुकी है.

वास्तव में कफ सिरप कोई भी हो, उसके निर्माण में एक विशेष रसायन का इस्तेमाल किया जाता है. यह हानिकारक रसायन डाई इथिलीन ग्लाइकोल होती है. अगर इसकी मात्रा पर ध्यान नहीं दिया गया तो सिरप को पीने से किडनी फेल हो सकती है. पुलिस और जांच एजेंसियों ने कफ सिरप को लेकर जांच कार्रवाई तेज कर दी है. और देश भर में मेडिकल स्टोर्स पर कोल्ड्रिफ निर्माता कंपनी के कफ सिरप को जब्त करने का भी आदेश जारी कर दिया गया है.

लैब की रिपोर्ट में सिरप के सैंपल में 46.20% से लेकर 48.06% डीईजी पाई गई है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद उत्तराखंड सरकार ने भी कोल्ड्रिफ और डेक्स्ट्रोमेथोरफेन सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार और अब धीरे-धीरे बंगाल में भी कफ सिरप को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है.

अगर आप अपने बच्चों को लेकर गंभीर है तो भूल कर भी उसे कफ सिरप ना दें. यह जानलेवा हो सकता है. सिलीगुड़ी के जाने-माने चिकित्सकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी माना है कि 2 साल तक के बच्चों को कफ सिरप से दूर रखा जाना चाहिए तथा उन्हें देसी दवाई पर रखा जाना चाहिए .

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