ममता बनर्जी के बारे में कहा जाता है कि वह काफी आक्रामक हैं और उतनी ही ज्यादा जिद्दी भी हैं. प्रेम से वह सब कर सकती हैं. लेकिन कोई भी उनके स्वाभिमान को ललकारे तो वह घायल शेरनी की तरह प्रतिक्रिया देने लगती हैं.पूर्व के अनुभव भी कुछ ऐसा ही बताते हैं. ममता बनर्जी एक बार फिर भाजपा और केंद्र सरकार पर घायल शेरनी की तरह दहाड़ रही हैं. वह केंद्र पर पलटकर वार करने की बात कह रही हैं.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारियों का जाएजा लेने केंद्रीय चुनाव आयोग की विशेष टीम के दौरे के बीच तृणमूल कांग्रेस में हड़कंप मच गया है. राजनीतिक गलियारे में कयासों और आशंकाओं के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा, केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है. अमित शाह का नाम लिए बिना उन्होंने उन्हें मिर्जाफर कहा है.
ममता बनर्जी ने स्पष्ट कह दिया है कि बंगाल में एस आई आर को लागू होने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने केंद्र सरकार को चुनौती दी है. उन्होंने कहा है कि बंगाल बिहार नहीं है. बंगाल में अलग-अलग समुदाय के लोग रहते हैं. यहां हिंदू, मुसलमान ,सिख ,इसाई, अनुसूचित जाति, जनजाति और सभी समुदाय हैं.यहां वोटर लिस्ट से किसी का भी नाम हटाने नहीं दिया जाएगा. अगर असली मतदाताओं के नाम काटे गए तो बंगाल के लोग ऐसा जवाब देंगे, जैसा कोई और राज्य नहीं दे सकता.
उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग पर एक बड़ा आरोप भी लगाया है और इस बात का दावा किया है कि चुनाव आयोग के अधिकारी विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक करके उन्हें धमका रहे हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जो कुछ भी कर रहा है, वह मिर्जाफर के इशारे पर कर रहा है. लेकिन उनकी सरकार चुनाव आयुक्त की मनमानियों को बर्दाश्त नहीं करेगी.
एस आई आर के अंतिम चरण की तैयारियों का जायजा लेने बंगाल के दौरे पर आए चुनाव आयोग के प्रतिनिधि दल ने पूर्व मेदिनीपुर, बांकुड़ा तथा झाड़ग्राम जिलों के जिला चुनाव अधिकारियों, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों तथा लगभग 500 बीएलओ के साथ बैठक में इस बात के संकेत दे दिए हैं कि 15 अक्टूबर तक हर हाल में एस आई आर की तैयारी पूरी कर ली जाए.
इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि दीपावली के बाद बंगाल में एस आई आर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और इसे 3 महीने के अंदर पूरा कर लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बात को लेकर खासा नाराज हैं. उनका तर्क है कि राज्य में बाढ़ और भूस्खलन की आपदा में लोगों के घर, संपत्ति और दस्तावेज बह गए. उन दस्तावेजों को वे कहां से लाएंगे. उन्होंने यह भी कहा है कि बहुत से लोग त्योहारों में घर से बाहर गए हैं. इसलिए ऐसे समय में एस आई आर की प्रक्रिया शुरू करना उचित नहीं है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो शुरू से ही SIR का विरोध कर रही है. उनका मानना है कि इसके जरिए चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष रखने के नाम पर भाजपा राजनीतिक दखल की कोशिश कर रही है. एस आई आर को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. मुख्यमंत्री ने भाजपा और केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि वह SIR के नाम पर आग से ना खेलें. उन्होंने यहां तक कहा कि SIR के नाम पर बंगाल में एनआरसी लागू करने की साजिश है, जिसे वह कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.
ममता बनर्जी केंद्रीय सरकार और चुनाव आयोग पर घायल शेरनी की तरह बिफर रही हैं और इस बात का एहसास करा रही हैं कि उन्हें एक कमजोर मुख्यमंत्री के रूप में ना देखा जाए. वह एक रॉयल बंगाल टाइगर है. अगर उन्हें घायल करने की कोशिश की गई तो घायल शेर ज्यादा खतरनाक होता है. उन्होंने केंद्र को धमकी देते हुए कहा कि अगर रॉयल बंगाल टाइगर जख्मी हुआ तो वह पलट कर वार कर सकता है.
ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को ललकारते हुए कहा कि अगर आपमें दम है तो एजेंसियों का इस्तेमाल करके दिखाएं. बंगाल के खिलाफ केंद्र जो भी एक्शन दिखाएगा, हर एक्शन का रिएक्शन होगा. दूसरी तरफ चुनाव आयोग हर हाल में बंगाल समेत पूरे देश में SIR लागू करना चाहता है. राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनौती दी है कि केंद्र सरकार राज्य में SIR लागू करके दिखाए! अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि दोनों तरफ से तलवारें खींच चुकी है. अंजाम क्या होगा, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है!