पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डा.सी वी आनंद बोस ने इशारों इशारों में बता दिया है कि वह बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकते हैं. उनके ताजा बयान ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में जलजला ला दिया है. सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता तक एक ही चर्चा है कि क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगने जा रहा है?
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से राज्यपाल मुख्यमंत्री से काफी नाराज हैं. उन्होंने पहले भी अपने बयान में कहा था कि पश्चिम बंगाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति अत्यंत दयनीय है. पुलिस राज्य सरकार के इशारे पर काम करती है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार राज्यपाल ने नागराकाटा में हुए भाजपा के दो बड़े नेताओं पर जानलेवा हमले के बाद पुलिस प्रशासन को हमलावरों को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार करने का अल्टीमेटम दिया था. लेकिन पुलिस ने निर्धारित समय अवधि के भीतर हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किया था.
समझा जाता है कि उसी समय से राज्यपाल राज्य सरकार से खफा है और इसके बाद राज्य में एक पर एक लड़कियों के साथ दरिंदगी की घटनाओं ने राज्यपाल को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगना ही कानून एवं व्यवस्था को सुधारने का अंतिम विकल्प होगा. आज दुर्गापुर गैंगरेप पीड़िता से मिलने के बाद राज्यपाल ने मीडिया से बात करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावना व्यक्त की है. इसके बाद ही राज्य की सियासत गरमा गई है. राज्यपाल ने अपने बयान में राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की है.
आपको बता दें कि दुर्गापुर गैंगरेप के बाद उत्तर 24 परगना जिले में राज्य के एक मशहूर यूट्यूबर पिता और पुत्र के द्वारा एक लड़की के साथ दरिंदगी की घटना सुर्खियों में आई थी. दुर्गापुर गैंगरेप में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनमें से एक तृणमूल कांग्रेस नेता का बेटा भी है. हालांकि राज्यपाल ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है. लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा है कि बंगाल की जनता राष्ट्रपति शासन चाहती है. राजनीतिक विश्लेषक राज्यपाल के बयान को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश के रूप में देख रहे हैं.
राज्यपाल के ताजा बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं, तो दूसरी तरफ भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को आइना दिखाना शुरू कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती के बयान से लगता है कि वे राज्यपाल के बयान को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा है कि राज्यपाल अनुभवी और वरिष्ठ व्यक्ति हैं. मुझे लगता है कि बंगाल की जनता राष्ट्रपति शासन लागू नहीं होने देगी और भाजपा के पास संसद में दो तिहाई बहुमत भी नहीं है.
राज्यपाल के बयान के बाद सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष ने कहा है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख ने अपना बयान दे दिया है. इस पर केवल वही लोग चर्चा करेंगे, जिनकी इसमें रुचि है. यह संकेत है कि बंगाल में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और प्रशासनिक स्थिति ने बंगाल की जनता के सामने वर्तमान सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी अपने बयान में कहा है कि यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में शासक ही शोषक है. ऐसे में कानून और न्याय के लिए कोई जगह नहीं होती.
मालूम हो कि पीड़िता का दुर्गापुर के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. राज्यपाल पीड़िता को देखने आए थे. पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार के संकेत मिल चुके हैं. डॉक्टर ने बताया है कि गुप्तांग पर निशान है.गुप्तांग के अंदर की त्वचा फट गई है. इससे भारी रक्तस्राव भी हुआ है.इस मामले में पुलिस ने पहले ही घटना में गिरफ्तार एक आरोपी की पहचान कर ली थी. उसके बाद पुलिस ने बाकी चार आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया. सभी आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है.
बहरहाल देखना होगा कि राज्यपाल के ताजा बयान के बाद और क्या अहम बातें निकल कर सामने आती हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस समय दार्जिलिंग में है. राज्यपाल के बयान के संदर्भ में अभी तक उनका ताजा बयान सामने नहीं आया है.