October 26, 2025
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बंगाल के सरकारी अस्पतालों में अब ‘दीदी’ का सख्त पहरा!

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों में लगातार सामने आ रही यौन उत्पीड़न और हमले की शर्मनाक घटनाओं के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा रुख अपनाया है। ‘मरीज़ देवो भव’ (Patient is God) के सिद्धांत को मज़बूती देते हुए, शनिवार को मुख्यमंत्री ने एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुरक्षा को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि अब अस्पतालों में किसी भी अप्रिय घटना की सीधी ज़िम्मेदारी उनकी होगी, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

शर्मनाक घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री का सख्त आदेश
हाल ही में, राज्य के सबसे प्रतिष्ठित एसएसकेएम अस्पताल में एक नाबालिग मरीज़ के साथ कथित छेड़छाड़ और हावड़ा के उलुबेरिया मेडिकल कॉलेज में एक महिला जूनियर डॉक्टर पर हमले की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। इन घटनाओं ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। इस पृष्ठभूमि में, मुख्य सचिव मनोज पंत की अध्यक्षता में नबान्न (राज्य सचिवालय) में एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया।

बैठक में मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग अस्पताल परिसर में कैसे प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर अस्पतालों में कोई भी ‘बुरी’ घटना होती है, तो इसकी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी, यानी “अगर कुछ हुआ तो मैं ज़िम्मेदार हूं”।

सुरक्षा घेरा मज़बूत करने के लिए छह ‘कठोर’ निर्देश
अस्पतालों में मरीज़ों, उनके परिजनों, और चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, मुख्यमंत्री ने तत्काल प्रभाव से कई महत्वपूर्ण और कठोर निर्देश जारी किए हैं। ये निर्देश राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों पर लागू होंगे:

अनिवार्य पुलिस सत्यापन: अब अस्पतालों में कार्यरत सभी आउटसोर्स कर्मचारियों, ठेका श्रमिकों और निजी सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों का पुलिस सत्यापन (Police Verification) अनिवार्य होगा। आपराधिक रिकॉर्ड वाले किसी भी व्यक्ति को परिसर में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सीसीटीवी निगरानी में बढ़ोतरी: अस्पतालों के प्रवेश-निकास द्वार, पार्किंग स्थल, और अन्य रणनीतिक स्थानों पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और उनकी रियल-टाइम निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। ख़राब कैमरों को तुरंत बदलने का निर्देश दिया गया है।

पहचान पत्र ज़रूरी: अस्पताल के सभी कर्मचारियों, चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी/अनुबंध पर, उनके लिए तस्वीर वाला पहचान पत्र (Photo ID Card) हर समय साथ रखना अनिवार्य होगा।

सख्त ड्यूटी रोस्टर: अस्पताल अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे ड्यूटी रोस्टर का उचित रखरखाव करें और शिफ्ट की शुरुआत तथा अंत में रोल कॉल सुनिश्चित करें।

ज़ीरो टॉलरेंस नीति: मरीज़ों या उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले या किसी भी प्रकार का उत्पीड़न करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी।

कर्मचारियों का प्रशिक्षण: स्टाफ के लिए बेहतर व्यवहार और आपातकालीन प्रक्रियाओं पर नियमित प्रशिक्षण और परामर्श सत्र आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

मुख्यमंत्री के इस आक्रामक रुख से स्वास्थ्य प्रशासन और पुलिस विभाग हरकत में आ गया है। अधिकारियों को इन निर्देशों को शीघ्रता से लागू करने और एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। ‘दीदी’ के इन कठोर फैसलों से उम्मीद जगी है कि अब सरकारी अस्पताल केवल इलाज के केंद्र नहीं, बल्कि सुरक्षा और भरोसे के केंद्र भी बनेंगे।

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