November 19, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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उत्तर बंगाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय और पहाड़ में सैनिक स्कूल खोले जाने की तैयारी!

चुनाव आते हैं और चले जाते हैं. राजनीतिक दलों के द्वारा वायदे किए जाते हैं. चुनाव जीतने के बाद सरकार कुछ वायदे तो पूरे कर देती है. जबकि बहुत से वायदे कल तक टाल दिए जाते हैं. उत्तर बंगाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय और सैनिक स्कूल खोले जाने की आवाज हर चुनाव से पहले शुरू हो जाती है. लेकिन जैसे ही चुनाव संपन्न हो जाता है, ये बातें भी गौण हो जाती हैं. उत्तर बंगाल के कुछ शैक्षिक संगठनों और महत्वपूर्ण शिक्षाविदों ने समय-समय पर केंद्र सरकार पर इसका दबाव भी बढ़ाया है. लेकिन आज तक उत्तर बंगाल को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष अवसर नहीं मिला है.

पर अब लगता है कि उत्तर बंगाल को ये दोनों ही चीजें मिलने जा रही हैं. हालांकि अभी प्रारंभिक तैयारी है. परंतु एक उम्मीद जरूर बंधी है. अगर ऐसा होता है तो इसका श्रेय सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष को दिया जाना चाहिए. उत्तर बंगाल में एक केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय और पहाड़ में सैनिक स्कूल की स्थापना को लेकर काफी समय से शंकर घोष संघर्ष कर रहे हैं.

सिलीगुड़ी और आसपास के विभिन्न छात्र संगठनों के द्वारा भी इसकी मांग की जाती रही है. यहां के छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं. वहीं दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल खोले जाने को लेकर पहले भी क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधि केंद्र पर दबाव बनाते रहे हैं. पिछले चुनाव के समय भी यह आवाज उठाई गई थी. लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

उत्तर बंगाल में उचित शैक्षणिक संस्थानों के अभाव में यहां के छात्रों की प्रतिभा कुंठित हो रही है. साधन संपन्न परिवार के छात्र तो सिलीगुड़ी से बाहर जाकर अपनी शिक्षा यात्रा पूरी कर लेते हैं. मगर गरीब और होनहार छात्रों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. महंगी शिक्षा और बाहर के खर्च को नहीं उठा सकने के कारण वे निराश होकर बैठ जाते हैं. अगर उत्तर बंगाल में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो तो यहां के छात्रों खासकर पिछड़े व गरीब वर्ग के छात्रों को अध्ययन में सुविधा होगी और उन्हें समग्र व विशिष्ट शिक्षा के लिए बाहर जाना नहीं होगा.

जानकार भी मानते हैं कि उत्तर बंगाल में केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना से यहां के छात्रों को शिक्षा और प्रशिक्षण के नए अवसर प्राप्त होंगे. उत्तर बंगाल में उच्च शिक्षा, शोध व रोजगार के क्षेत्र में विशिष्ट अवसर प्राप्त होंगे और गरीब तथा होनहार छात्रों के सपने पूरे होंगे. इसी तरह से दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल खोले जाने से यहां के छात्रों को रक्षा सेवाओं में प्रवेश का मार्ग अधिक सुगम हो सकेगा.

पहाड़ में सैनिक स्कूल नहीं होने से यहां के छात्रों की प्रतिभा कुंठित हो रही है. यहां के छात्रों को सेना अकेडमी में कुछ करने के लिए बाहर जाना पड़ता है. काफी समय से शंकर घोष इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं और उन्होंने बार-बार दिल्ली जाकर केंद्र सरकार को बताया भी कि उत्तर बंगाल में यह दोनों चीजें क्यों जरूरी है. शंकर घोष के लिए कदाचित आज बड़ा दिन है. उन्हें अपने परिश्रम का फल मिलता प्रतीत हो रहा है.

उत्तर बंगाल में एक केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय और दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल खोले जाने को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के दफ्तरों के चक्कर लगाए थे और हाल ही में उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मुलाकात करके ज्ञापन भी दिया था. अब संबंधित मंत्रालय की ओर से उन्हें पत्र भेज कर सूचित किया गया है कि उनकी इन दोनों मांगों की फाइल को संबंधित विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है और इस पर काम शुरू करने के लिए कहा गया है.

सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक शंकर घोष ने खबर समय को बताया कि जयंत चौधरी की ओर से उन्हें पत्र भेजा गया है. पत्र सकारात्मक है. केंद्रीय शिक्षा विभाग की ओर से संबंधित विभागों के अधिकारियों को औपचारिक पत्र भेज कर उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार उत्तर बंगाल में जल्द ही केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय और दार्जिलिंग में सैनिक स्कूल की स्थापना की दिशा में पहल करेगी. उन्होंने कहा कि मुझे केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा है. राज्य सरकार से निराश उत्तर बंगाल के लोग अब केंद्र से उम्मीद लगाए बैठे हैं.

शंकर घोष ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय और सैनिक स्कूल के अलावा रेल, स्वास्थ्य, पर्यावरण, रोजगार,शिल्प आदि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में भी धीरे-धीरे हम केंद्र सरकार की मदद से लक्ष्य हासिल कर सकेंगे. बहरहाल यह उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार उत्तर बंगाल में शैक्षणिक विकास के साथ ही पहाड़ में सैनिक स्कूल खोलने और उत्तर बंगाल के लोगों की अन्य मांगों पर विचार करेगी.

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