West सिक्किम के गोएचला हाई-ऑल्टीट्यूड ट्रेक के दौरान एक दुखद हादसा सामने आया है। तेज़ ठंड, अत्यधिक ऊँचाई और बेहद मुश्किल रास्तों के बीच एक ट्रेकर की तबीयत अचानक बिगड़ी और सोमवार देर रात उनकी मृत्यु हो गई।
मृतक की पहचान 38 वर्षीय सुमन देबनाथ के रूप में की गई है, जो पश्चिम बंगाल के CGST & Customs विभाग में सुपरिंटेंडेंट थे। वे वेस्ट बंगाल के महाजीत नगर के निवासी थे। सुमन एक ऑर्गनाइज़्ड ट्रेकिंग ग्रुप के साथ इस चुनौतीपूर्ण ट्रेल पर थे, जब ऊँचाई बढ़ने के साथ उनके शरीर ने धीरे-धीरे जवाब देना शुरू कर दिया।
उन्हें तेज सिरदर्द, उल्टी, सांस में तकलीफ और अत्यधिक थकावट जैसी गंभीर समस्याएँ होने लगीं। साथी ट्रेकर्स ने हर संभव सहायता दी, लेकिन उनकी हालत तेजी से बिगड़ती चली गई। बताया जाता है कि उन्हें नीचे लाने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन Phedang के पास, रात लगभग 9:05 बजे, रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।
इस इलाके की सबसे बड़ी चुनौती है दुर्गम स्थल, ऊँचाई की कठिन परिस्थितियाँ और सीमित संसाधन। इन्हीं कारणों से राहत और रेस्क्यू दल समय पर मौके तक नहीं पहुँच पाए।
विश्वसनीय स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गोएचला ट्रेक के लिए कोई विशेष हेलीकॉप्टर रेस्क्यू सेवा उपलब्ध नहीं है, जबकि इसे भारत के सबसे कठिन और जोखिम भरे ट्रेक्स में गिना जाता है।
लगभग पूरे दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मंगलवार देर रात शव को Geyzing जिला अस्पताल लाया गया, जहाँ पोस्टमार्टम और अन्य कानूनी औपचारिकताएँ पूरी कर ली गईं। फिलहाल UD केस दर्ज कर जांच जारी है।
**यह दुखद घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है —
क्या सिक्किम के हाई-ऑल्टीट्यूड ट्रैक्स के लिए वर्तमान सुरक्षा और रेस्क्यू इंतज़ाम पर्याप्त हैं?**
अधिकारियों ने सभी ट्रेकर्स से अपील की है कि ऊँचाई पर शरीर के किसी भी लक्षण को हल्के में न लें और ट्रेक से पहले मेडिकल फिटनेस को प्राथमिकता दें।
क्या सरकार को गोएचला जैसे हाई-ऑल्टीट्यूड ट्रेक्स पर अनिवार्य हेलीकॉप्टर रेस्क्यू सेवा शुरू करनी चाहिए, ताकि भविष्य में देश–विदेश से सिक्किम के हाई-ऑल्टीट्यूड ट्रेक्स में आने वाले ट्रेकर्स के साथ इस तरह की अनहोनी न घटे?
