‘मेरे से अब SIR का काम नहीं होगा. मैं लगातार कई दिनों से मानसिक थकान और शारीरिक पीड़ा से जूझ रहा हूं. तुम अपना और बेटे का ख्याल रखना. मुझे माफ कर देना. लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है. मैं तुम दोनों को काफी चाहता हूं. मगर क्या करूं… मैं बहुत मजबूर हूं. भगवान तुम्हारी रक्षा करेगा…’
पश्चिम बंगाल समेत देश के 12 राज्यों में SIR का काम हो रहा है. एस आई आर का काम करने वाले बूथ लेवल अधिकारी केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी भारी दबाव झेल रहे हैं और आत्महत्या तक कदम उठा रहे हैं. गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के कोडीनार तालुका के छारा गांव में एस आई आर का काम कर रहे एक BLO शिक्षक अरविंद वाढेर ने कथित तौर पर SIR काम के दबाव से परेशान होकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पूर्व उन्होंने अपनी पत्नी को यह मार्मिक नोट लिखकर छोड़ा था.
बंगाल से उठा एस आई आर का विरोध स्वर अब गुजरात में भी बुलंद होने लगा है. गुजरात जो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है, वहां से भी SIR का विरोध स्वर बुलंद होने लगा है. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ गुजरात प्रांत ने SIR के तहत शिक्षकों द्वारा की जा रही ऑनलाइन प्रक्रिया का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है.
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी SIR का विरोध कर रही है. उन्होंने SIR प्रक्रिया रोकने की चुनाव आयोग से गुहार लगाई है. मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि SIR से पूरे राज्य में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है. जो काम 3 साल में होता था, उसे 3 महीने में पूरा करने की चेष्टा की जा रही है. उन्होंने कहा कि बिना किसी योजना के SIR की जा रही है. यह अराजक व खतरनाक है.
SIR के कारण बंगाल में कथित तौर पर 20 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री ने तो 28 लोगों की मौत का दावा किया है. हाल ही में उत्तर 24 परगना जिले में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने चलती ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या करने की कोशिश की. उसकी हालत काफी गंभीर है. यह घटना कोलकाता के पास बेलघरिया पुल के पास हुई, जब अशोक सरदार नामक बुजुर्ग व्यक्ति रेलवे ट्रैक पर कूद गया. इससे पहले जलपाईगुड़ी जिले में एक महिला BLO ने आत्महत्या कर ली. उक्त महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थी. BLO SIR के कारण भारी दबाव में थी.
राजस्थान में SIR से जुड़े दो मामले सामने आए हैं. सवाई माधोपुर में एक बीएलओ की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गई. जबकि जयपुर में एक सरकारी स्कूल शिक्षक ने आत्महत्या कर ली. शिक्षक के पारिवारिक जनों का आरोप है कि वे मतदाता सूची से जुड़े भारी दबाव में थे.
तमिलनाडु के कुंभकोणम में एक वरिष्ठ नागरिक आंगनबाड़ी बीएलओ ने कथित तौर पर काम के बोझ से परेशान होकर 44 गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था. बताया जा रहा है कि महिला बीएलओ मानसिक रूप से काफी परेशान थी. अंततः उसने खुद को मिटा डालने का फैसला किया.
जबकि केरल की कन्नूर में भी एक बीएलओ ने SIR के कारण अपना जीवन समाप्त कर लिया. बताया जा रहा है कि बीएलओ SIR के काम से भारी तनाव झेल रहा था. पश्चिम बंगाल में तो कथित तौर पर बीएलओ के साथ-साथ साधारण नागरिकों की भी मौत हो चुकी है. पूर्व बर्दवान में 9 नवंबर को एक बीएलओ की ब्रेन स्ट्रोक से मौत हो गई थी. उनके परिजनों ने इसे मानसिक तनाव से जोड़कर देखा था.
मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया में लगे बीएलओ की कार्य स्थितियों और भारी दबाव पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है. बंगाल से लेकर गुजरात, केरल ,तमिलनाडु, राजस्थान आदि प्रदेशों में बीएलओ की लगातार मौतों ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है. जिनमें से अधिकांश मामलों में उनके घर वालों ने बीएलओ पर अत्यधिक कार्यभार और एस आई आर से जुड़े दबाव को जिम्मेदार बताया है.
धीरे-धीरे एस आई आर को लेकर विभिन्न राज्यों में विरोध स्वर भी बुलंद होने लगे हैं. ऐसे में एक और सवाल है कि इन परिस्थितियों में क्या चुनाव आयोग SIR को फिलहाल निलंबित रखने पर विचार करेगा या फिर SIR प्रक्रिया की अवधि बढ़ा सकता है? अधिकांश राज्यों ने इसकी मांग भी की है.
