2026 के विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल की राजनीति में तापमान तेजी से चढ़ रहा है। इसी माहौल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को नवान्न से ऐसा रिपोर्ट कार्ड जारी किया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। ‘उन्नयनेर पांचाली’ नाम से जारी इस रिपोर्ट में राज्य के साढ़े 14 वर्षों का पूरा “हिसाब–किताब” सामने रखा गया है और दावा इतना बड़ा कि विपक्ष भी हिल गया है: 2 करोड़ से अधिक नौकरियाँ।
ममता बनर्जी ने दावा किया कि 2011 से 2025 के बीच उनकी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक विकास, महिला सशक्तिकरण और रोजगार के क्षेत्र में ऐतिहासिक काम किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य का जीएसडीपी 4.41 गुना, कर राजस्व 5.33 गुना और सामाजिक क्षेत्र का खर्च 14.46 गुना बढ़ा है। उन्होंने कहा कि “बंगाल अब पूरे देश के लिए एक मॉडल बन चुका है—भले ही केंद्र सरकार ने धन रोका हो, हमने विकास नहीं रोका।”
मुख्यमंत्री ने महिलाओं और लड़कियों के लिए चल रही योजनाओं का ब्योरा देते हुए कहा कि 2.21 करोड़ महिलाएँ लक्ष्मी भंडार योजना से हर महीने सहायता प्राप्त कर रही हैं, जबकि 22.02 लाख लड़कियाँ रूपश्री योजना का लाभ ले चुकी हैं। इसके अलावा 1 करोड़ से अधिक कन्याएँ कन्याश्री योजना से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, “जो काम केंद्र ने नहीं किया, वह हमने बंगाल की महिलाओं के लिए कर दिखाया।”
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि वर्ष 2013–2023 के बीच 1.72 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे। विभिन्न सामाजिक योजनाओं—जैसे स्वास्थ्य साथी, दुआरे राशन, कर्मश्री (100 दिन का कार्य), आवास योजना और जल कनेक्शन—को “बदलाव के स्तंभ” बताया गया है, जिनसे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थायी सुधार देखने को मिला। इस दौरान ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि मनरेगा, ग्रामीण सड़क निर्माण और आवास योजनाओं की धनराशि रोक दी गई, “फिर भी बंगाल चार बार लगातार देश में टॉप पर रहा।” उन्होंने यह दावा भी किया कि राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा पर 1 लाख करोड़ रुपये और ‘दुआरे राशन’ पर 1,717 करोड़ रुपये खर्च किए।
रोजगार को लेकर उन्होंने सबसे बड़ा दावा करते हुए कहा कि पिछले 14 वर्षों में 2 करोड़ से अधिक नौकरियाँ सृजित की गईं और बेरोजगारी में 40 लाख की कमी दर्ज की गई। कोच निर्माण, मेट्रो कोच, जहाज निर्माण, भारी मशीनरी, स्टील और सीमेंट उद्योग के विस्तार को भी रोजगार वृद्धि का मुख्य आधार बताया गया। देउचा-पाचामी परियोजना में 1 लाख नई नौकरियों का लक्ष्य भी रिपोर्ट में शामिल है।
ममता बनर्जी ने एसआईआर ड्यूटी के दौरान मरने वाले 39 कर्मियों के परिवारों के लिए 2-2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता और 13 बीमार पड़े कर्मियों को 1-1 लाख रुपये देने का ऐलान भी किया। उन्होंने इसे “सिर्फ मदद नहीं, जिम्मेदारी” बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि रिपोर्ट कार्ड में अभी कुछ और आँकड़े जोड़े जाएंगे और इसे अंतिम रूप देने के बाद मीडिया को सौंपा जाएगा।
यह रिपोर्ट कार्ड सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि चुनाव से पहले ममता बनर्जी का सबसे बड़ा और सबसे ख़तरनाक राजनीतिक दांव माना जा रहा है—जो बंगाल की राजनीति की दिशा बदल सकता है।
