आमतौर पर किसी भी आपराधिक घटना के पीछे जर, जोरू और जायदाद का प्रमुख हाथ होता है. यह घटना जायदाद से जुड़ी हुई है. बंगाल में आपराधिक घटनाओं में जमीन से जुड़े मामले ऊपर होते हैं. इसके लिए लोग किस तरह खून के प्यासे हो जाते हैं और उनकी आंखों पर पर्दा पड़ जाता है, जहां बम और गोली के साथ-साथ एक मासूम की हत्या तक कर देने से भी उनके बदले की आग ठंडी नहीं होती.
हमलावरों ने पहले तो घर पर बम फेके, लेकिन जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो वे घर में घुस गए. सामने एक बच्ची नजर आई. कक्षा 6 में पढ़ने वाली बच्ची कौसेरा खातून काफी डरी हुई थी. बच्ची के पिता को मारने आए हमलावरों ने उससे उसके पिता के बारे में पूछा. लेकिन बच्ची अपने पिता को कैसे मरते देख सकती थी! उसने उनका पता नहीं बताया. बस इसी बात पर हमलावर ने उसके सीने में गोली उतार दी और उसे मौत की गोद में सुला दिया.
यह घटना जितनी हैरतंगेज है, उतना ही ज्यादा खौफनाक भी है. यह घटना इशारा करती है कि अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हो गए हैं. उन्हें ना तो पुलिस का डर है और ना ही कानून का. मजे की बात यह है कि मरने वाला और मार खाने वाला दोनों ही टीएमसी के अलग-अलग गुटों से जुड़े बताए जा रहे हैं. यह घटना सिलीगुड़ी के नजदीक इस्लामपुर की है, जो उत्तर दिनाजपुर जिले में आता है.
मिली जानकारी के अनुसार इस्लामपुर में रहने वाले जाहिद मोहम्मद और हकीमुद्दीन के बीच जमीन को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा था. जाहिद मोहम्मद और हकीमुद्दीन दोनों ही टीएमसी करते थे. लेकिन दोनों अलग-अलग गुट से जुड़े थे. इस्लामपुर में टीएमसी के बीच पहले से ही गुटीय संघर्ष देखा जाता रहा है. बताया जा रहा है कि जाहिद मोहम्मद और हकीमुद्दीन गुट के बीच आए दिन संघर्ष होता रहता था.
लगभग 4 महीने पहले जमीन के एक मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. हालांकि मौके पर पुलिस ने पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया था. लेकिन उनके बीच विवाद का समाधान नहीं हो सका. उस दिन जाहिद मोहम्मद अपने घर पर ही थे. तभी हथियारों से लैस होकर हकीमुद्दीन अपने कुछ साथियों के साथ वहां पहुंच गए और उन्होंने जाहिद मोहम्मद को आतंकित करने के लिए पहले तो उसके घर पर बम फेंका और फिर फायरिंग करते हुए उनके घर में घुस गए. प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार हकीमुद्दीन तथा उनके लोगों ने पांच राउंड गोलियां चलाई थी. इस बीच जाहिद मोहम्मद घर के पिछवाड़े से फरार हो गये.
उधर जाहिद मोहम्मद के घर से बाहर नहीं आने के बाद हकीमुद्दीन के लोगों ने हथियारों के साथ घर में प्रवेश किया तो सामने जाहिद मोहम्मद की बेटी कौशेरा खातून सो रही थी. आरोप है कि हमलावरों ने उसे जगाया फिर उसके पिता के बारे में पूछा. लेकिन उसकी बेटी कौशेरा खातून ने अपने पिता का पता नहीं बताया. बस इसी बात पर हमलावरों ने बेरहमी से उसे गोली मार दी और उसे मौत के घाट उतार दिया. इस घटना के बाद मौके पर पहुंची इस्लामपुर पुलिस ने बच्ची को आनन फानन में इस्लामपुर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई थी.
बाद में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कलीमुद्दीन और फराजुद्दीन नामक दो लोगों को घेर कर गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन दो और लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. सभी चारों को न्यायालय में प्रस्तुत करके रिमांड पर लिया गया है, जहां उनसे विस्तृत पूछताछ की जा रही है. पुलिस फरार आरोपियों की धर पकड़ में जुट गई है.
मिल रही जानकारी के अनुसार जाहिद मोहम्मद का विवादित जमीन पर मालिकाना हक था. लेकिन इसी जमीन पर हकीमुद्दीन भी दावा रखते थे. कई बार दोनों के बीच विवाद हुए. पंचायत हुई. उसमें जाहिद मोहम्मद ने जमीन के मालिकाना हक के पेपर भी दिखाए. लेकिन बात नहीं बनी. हकीमुद्दीन ने उसे मानने से इनकार कर दिया. इस घटना के बाद से दोनों पक्षों के बीच तनातनी लगातार चली आ रही थी.
जाहिद का आरोप है कि टीएमसी के नेता नूर आलम हमलावरों का समर्थन करते थे. उनका यह भी कहना है कि वह टीएमसी नेता रफीक आलम के गुट से जुड़े हुए हैं, जिसकी नूर आलम से पुरानी दुश्मनी बताई जा रही है. हालांकि टीएमसी के जिला अध्यक्ष कन्हैयालाल अग्रवाल ने घटना को किसी भी तरह से राजनीतिक रंग देने से इनकार किया है. उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह जमीन विवाद से जुड़ा मामला है और इसमें किसी भी तरह की पार्टी पॉलिटिक्स नहीं है.
