राजनीतिक शून्य में जा चुके बांग्लादेश अब वही कर रहा है, जो पाकिस्तान करता रहा है. इतिहास गवाह है, आतंकवाद और कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाले देश खुद तो बर्बाद होते ही हैं, अपने पड़ोसी देशों को भी रसातल में पहुंचाने की ताक में रहते हैं. बांग्लादेश की हालत ना तो पहले कभी बदली थी और ना अब. जब से शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट हुआ, तभी से बांग्लादेश की बर्बादी शुरू हो गई.
बांग्लादेश में कहने के लिए तो मोहम्मद यूनुस की सरकार है. परंतु वहां मोहम्मद यूनुस की कौन सुनता है! आतंकवाद और कट्टरवाद को बढावा देने वाले मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान और चीन से नजदीकियां बढ़ा कर अपने लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. वहां कट्टरपंथी इस्लामी समूह और जमात इस्लामी जैसे संगठनों की ही चलती है. पाकिस्तान और चीन के इशारे पर मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बांग्लादेश में चुनाव के असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भारत विरोधी गतिविधियों को हवा दे रही है.
12 फरवरी को बांग्लादेश में चुनाव होना है. लेकिन उससे पहले मोहम्मद यूनुस चाहते हैं कि किसी तरह से चुनाव टल जाए. पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश हिंसा की आग में जल रहा है. शेख हसीना विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत से हालात बेकाबू हो गए हैं. उस्मान हादी की मौत के बाद एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को भी मार दिया गया है.
दीपू चंद्र दास एक कपड़े की फैक्ट्री में काम करता था. वह दुबलिया इलाके में किराए पर रहता था. पुलिस के अनुसार स्थानीय लोगों के समूह ने उस पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया और रात में 9:00 बजे उस पर हमला कर दिया. प्रदर्शनकारियों के निशाने पर शेख हसीना समर्थक और भारतीय संस्थान हैं.
वहां कई शहरों में भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. ढाका और चटगांव में भारतीय हाई कमीशन पर हमले की कोशिश की गई. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं. बांग्लादेश के बदलते राजनीतिक हालात को देखते हुए भारत ने खुलना और राजशाही में वीजा आवेदन केंद्र बंद कर दिए हैं.
विदेश मामलों की संसदीय स्थाई समिति ने माना है कि बांग्लादेश की बदलती राजनीतिक स्थिति ने भारत के लिए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद सबसे गंभीर रणनीतिक चुनौती पैदा कर दी है. हिंसा बांग्लादेश में हो रही है. लेकिन शांत भारत को अशांत करने की चीन और पाकिस्तान की परोक्ष मदद से बांग्लादेश ने बंगाल की खाड़ी से कोशिश शुरू कर दी है.
जमीन पर तो बांग्लादेश भारत विरोधी गतिविधियों में लगा ही है. अब समुद्र में भी भारत को उकसाना शुरू कर दिया है. बंगाल की खाड़ी में लगातार बड़ी संख्या में बांग्लादेश की नौकाएं भारतीय जल सीमा में प्रवेश कर रही हैं. 15 दिसंबर को बांग्लादेश नौसेना की एक गश्ती पोत ने 16 मछुआरों को ले जा रहे एक भारतीय ट्रॉलर को टक्कर मार दी, जिससे वह पलट गया.
इस पूरे घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास मछली पकड़ने वाले भारतीय मछुआरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न कर दी है. इस घटना में सभी मछुआरे समुद्र में जा गिरे. 11 मछुआरों को बचाया जा सका. पांच मछुआरे अभी भी लापता बताए जा रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि सभी मछुआरों को मारने की साजिश रची गई थी.
पिछले कुछ महीनो में भारत कम से कम 8 बांग्लादेशी नौकाओं तथा लगभग 170 मछुआरों को पकड़ चुका है. भारत विरोधी भावनाओं के साथ-साथ इन घटनाओं का बार-बार होना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है. नवंबर में पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख ने बांग्लादेश का दौरा किया था. 1971 के बाद पहली बार किसी पाकिस्तानी नौसेना का कोई अधिकारी बांग्लादेश के दौरे पर आया था.
आज बांग्लादेश में एक बार फिर भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए है. बांग्लादेशी अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. और वहां हिंसा का नंगा नाच देखने को मिल रहा है. जिस तरह के हालात बन गए हैं, उसके बाद भविष्य में बांग्लादेश का स्वरूप क्या होगा, सहज ही समझ में आ जाता है. राजनीतिक विश्लेषक और जानकार मानते हैं कि चीन और पाकिस्तान के हाथों खेल रहा बांग्लादेश किसी दिन अपनी मौत आप ही मर जाएगा!
