सिलीगुड़ी के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन आर्डर करके कैचअप मंगवाया था. ब्रांडेड कंपनी का कैचअप था. लेकिन जब व्यक्ति ने इसका इस्तेमाल किया तो कैचअप का स्वाद अजीब सा लगा. धीरे-धीरे उन्हें यह लगने लगा कि कैचअप नकली है और उन्होंने कैचअप को कूड़े में डाल दिया. इसी तरह से रविंद्र ने अपने बच्चों के लिए बाजार से ब्रांडेड कंपनी का चिप्स खरीदा. लेकिन जब पैकेट खोल कर बच्चों ने चिप्स का स्वाद लिया, तो उनका मुंह अजीब सा बन गया. बाद में स्वयं रविंद्र ने चिप्स का स्वाद लिया तो पता चला कि यह तो नकली चिप्स है.
जी हां, बाजार में बच्चों और बड़ों के खाने-पीने के नकली सामान भारी मात्रा में आ गए हैं. क्योंकि ये सामान पैकेट में होते हैं, इसलिए पैकेट के भीतर सामान नकली है या असली, पता ही नहीं चलता. जब इसका इस्तेमाल होता है तो तभी पता चलता है कि समान शुद्ध है या खराब. असली है या नकली. दुकानों में आप जाइए. बेबी फूड, चॉकलेट, बिस्किट, कैचअप, चिप्स, वेफर, केक, पाव रोटी, कोल्ड ड्रिंक यानी तरह तरह के खाने पीने के आइटम मिल जाएंगे. क्या ये सभी असली होते हैं?
जरा रुक जाइए. क्योंकि जो खबर सामने आ रही है, उसे जानकर आप बाजार से बच्चों एवं बड़ों के खाने-पीने के पैकेट वाले सामान मंगाना भूल जाएंगे. किचन के रोजमर्रा का भी पैकेट वाला सामान मंगाना भूल जाएंगे. आप ई-कॉमर्स सेवाओं के जरिए भी ऑनलाइन सामान मंगाना भूल जाएंगे. अनेक लोग ब्रांडेड कंपनियों के लेबल देखकर सामान की शुद्धता का भरोसा कर लेते हैं और पड़ोसियों से सीना ठोककर कहते हैं कि वे केवल ब्रांडेड सामान ही इस्तेमाल करते हैं.
आजकल ऑनलाइन डिलीवरी सेवा भी काफी चुस्त हो गई है. तरह-तरह के आइटम और कीमत कम देखकर हर कोई ई-कॉमर्स कंपनियों से सामान मंगा रहा है. सवाल यह है कि आपके खाने पीने से लेकर किचन का हर एक आइटम क्या शुद्ध और सुरक्षित है? शायद नहीं. क्योंकि हाल ही में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बहुत बड़े गोरख धंधे का पर्दाफाश किया है. इसके अनुसार कुछ शातिर किस्म के लोग और मुनाफाखोर विदेशों से खराब हो रहे या एक्सपायरड सामान को सस्ते दाम पर आयात करके उसकी री पैकेजिंग करवा कर बाजार में उतार रहे हैं और इस तरह से बच्चों से लेकर बड़ों तक के स्वास्थ्य और जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.
पिछले दिनों दिल्ली पुलिस को खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली कि सदर बाजार में नकली तथा एक्सपायर चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक की री पैकेजिंग करके उसे बाजार में बेचने की तैयारी हो रही है. इस खबर के बाद क्राइम ब्रांच की पुलिस ने कारखाने पर रेड डाला. उस समय कारखाने में काम कर रहे कुछ लोग नकली तथा एक्सपायर हो चुके कोल्ड ड्रिंक की दोबारा से नयी पैकेजिंग कर रहे थे. उनमें नए बारकोड लगाए जा रहे थे. डेट, रेट सब कुछ नया लेबल लगाया जा रहा था. बिल्कुल असली जैसा कोल्ड ड्रिंक दिख रहा था. इन कोल्ड ड्रिंकों को बाजार में बेचने की तैयारी थी. लेकिन उससे पहले ही क्राइम ब्रांच की पुलिस ने छापा मार कर उनका खेल बिगाड़ दिया.
पुलिस ने मौके से सात लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनसे पूछताछ की जा रही है. अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार फैक्ट्री का मालिक मुंबई में रहता है. वह विदेश से खराब हो रहे सामानों को मंगवाता है जो अत्यंत सस्ता मिल जाता है. ऐसे खराब और नकली सामान की दिल्ली में गुमनाम फैक्ट्रियों में री पैकेजिंग करवाई जाती है. इस कार्य के लिए आधुनिक मशीनें होती हैं. नए बारकोड लगाए जाते हैं. नई डेट और रेट का लेबल भी लगाया जाता है यानी सब कुछ एकदम से नया कर दिया जाता है.
उसके बाद यह पता लगाना किसी के लिए भी संभव नहीं होगा कि पैकेट में सामान असली है या नकली. यह पता तो तभी चलेगा, जब सामान का इस्तेमाल किया जाता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली, कोलकाता, सिलीगुड़ी, मुंबई और बड़े महानगरों में एक विशाल नेटवर्क काम कर रहा है, जो नकली व एक्सपायरी खाने पीने के समान की री पैकेजिंग करवा कर बाजार में बेच रहा है. जिसे खाकर बच्चों से लेकर बड़े तक बीमार हो रहे हैं.
यह सीधे-सीधे लोगों की जान और सेहत से खिलवाड़ ही है. अब ऐसे पैकेट वाले सामान अगर सिलीगुड़ी के बाजार में कुछ इलाकों में बिक रहे हो तो इसमें आश्चर्य ही क्या है! इसके लिए व्यापारी भी दोषी हैं. क्योंकि इसमें उन्हें भारी कमीशन मिलता है. ऐसे धंधेबाज बच्चों और बड़ों की जान से खेल रहे हैं.यह पता लगाया जाना चाहिए कि सिलीगुड़ी के बाजार में कहीं इस तरह के आइटम तो नहीं भरे पड़े हैं?
