December 28, 2025
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बंगाल में बदलाव की आहट… विधानसभा चुनाव से पहले हुमायूं कबीर के बयान ने सियासी माहौल गरमा दिया


पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है और सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है। इसी बीच भरतपुर से विधायक और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निलंबित नेता हुमायूं कबीर के बयान ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए दावा किया है कि इस बार बंगाल में “तख्तापलट” होगा और सत्ता के समीकरण बदल सकते हैं।

हुमायूं कबीर ने मुस्लिम समुदाय से अपील करते हुए कहा कि अब किसी की गुलामी स्वीकार न करें और केवल अल्लाह की राह पर चलें। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यकों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि समय आ गया है जब मुसलमान समाज उन्हें करारा जवाब दे। उनका कहना है कि नई राजनीतिक परिस्थितियों में जनता खुद अपने भविष्य का फैसला करेगी और किसी बाहरी दबाव में नहीं आएगी।

कबीर ने अपनी नई पार्टी को लेकर भी बड़ी योजनाओं का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और वे असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और नौशाद सिद्दीकी की आईएसएफ के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस गठबंधन के जरिए मुर्शिदाबाद जिले की 17 विधानसभा सीटों पर निर्णायक जीत हासिल की जा सकती है।

हालांकि, हुमायूं कबीर की सियासी सक्रियता के बीच विवाद भी खड़ा हो गया है। रविवार को उनके शक्तिपुर स्थित आवास पर पुलिस ने छापेमारी की। आरोप है कि छुट्टी को लेकर उनके सुरक्षाकर्मी और हुमायूं कबीर के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद उनके बेटे गुलाम नबी आजाद उर्फ सोहेल ने कांस्टेबल के साथ मारपीट की। पुलिस ने इस मामले में गुलाम नबी को हिरासत में लिया और सबूत के तौर पर सीसीटीवी फुटेज जब्त कर लिया।

हुमायूं कबीर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि सुरक्षाकर्मी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था, और उनके बेटे ने केवल बचाव में कार्रवाई की। इसके बाद उन्होंने प्रशासन को कड़ी चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पत्नी और परिवार के साथ अभद्र व्यवहार किया गया, तो वे बहरमपुर को पूरी तरह ठप कर देंगे और एसपी कार्यालय का घेराव करेंगे।

इस पूरे घटनाक्रम पर तृणमूल कांग्रेस ने सख्त रुख अपनाया है। पार्टी प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और यदि कोई पुलिसकर्मी पर हाथ उठाएगा, तो कानून अपना काम करेगा। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हुमायूं कबीर का बयान और उनका गठबंधन पश्चिम बंगाल की सियासत में नई बहस और रणनीति को जन्म देगा।

दिलचस्प बात यह है कि हुमायूं कबीर भले ही टीएमसी छोड़ चुके हैं, लेकिन उनके बेटे गुलाम नबी अब भी टीएमसी के सक्रिय सदस्य और पंचायत समिति के पद पर हैं। इससे यह मामला न केवल राजनीतिक, बल्कि पारिवारिक जटिलताओं में भी उलझ गया है।

आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि हुमायूं कबीर के बयान और उनके गठबंधन का असर बंगाल के विधानसभा चुनावों पर कितना होगा। क्या उनकी नई पार्टी और गठबंधन विधानसभा में बड़ा बदलाव ला पाएंगे या नहीं, यह अब आने वाले चुनावों पर निर्भर करेगा।

पश्चिम बंगाल की राजनीति में इस समय बदलाव की आहट है और हुमायूं कबीर के बयान ने सियासी माहौल को और गरम कर दिया है।

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