नॉर्थ ईस्ट को लेकर बांग्लादेश पहले ही धमकी दे चुका था और पूर्वोत्तर राज्यों में उथल-पुथल मचाने के लिए अपने आतंकी संगठनों को भी गुप चुप रूप से यहां सक्रिय कर रखा था. अगर कुछ और विलंब हो जाता तो बड़ी गड़बड़ हो सकती थी.
यह तो अच्छा हुआ कि सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी से मिले इनपुट के आधार पर बांग्लादेश के आतंकी नेटवर्क का न केवल खुलासा कर दिया, बल्कि इन राज्यों में आतंक फैलाने के काम में जुटे 11 जिहादियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. इन जिहादियों के नाम क्रमशः नसीम उर्फ तमीम, जनाब अली, अफराहिम हुसैन, मिजानुर रहमान, सुल्तान महमूद, मोहम्मद सिद्दीक अली, रशीदुल आलम, महिबुल खान ,शाहरुख हुसैन और मोहम्मद दिलबर रजाक है.
स्पेशल टास्क फोर्स ने इन 11 जिहादियों की गिरफ्तारी असम और त्रिपुरा के विभिन्न भागों से की है. केंद्रीय खुफिया एजेंसी से मिले इंनपुटों के आधार पर स्पेशल टास्क फोर्स ने असम के बरपेटा, चिरांग, बक्सा और दारांग जिलों के साथ-साथ त्रिपुरा में भी जबरदस्त सर्च अभियान चलाया था और 11 जिहादियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. आरंभिक पूछताछ में पता चला है कि यह सभी जिहादी बांग्लादेश में सक्रिय कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों के इशारे पर काम कर रहे थे.
मजे की बात तो यह है कि जो जिहादी पकड़े गए हैं, उनमें से 10 असम के रहने वाले हैं और एक त्रिपुरा का रहने वाला है. यह सभी लोग इमाम महमूद काफिला यानी आईएम के सदस्य हैं, जिसका सीधा लक्ष्य पूर्वोत्तर राज्यों में गड़बड़ी और अस्थिरता फैलाना था.ये जिहादी असम, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में आतंक फैलाना चाहते थे. यह सभी गजवतुल हिंद की विचारधारा को एक समुदाय के लोगों में फैला रहे थे. पुलिस ने उनकी जामा तलाशी से कई संदिग्ध वस्तुओं को बरामद किया है. हालांकि उनके कब्जे से कोई भी हथियार या गोला बारूद बरामद नहीं हुआ है.
विभिन्न स्रोतों से यह प्रमाणित हो चुका है कि 2024 में बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद आतंकी संगठन तेजी से सक्रिय हुए हैं. इन आतंकी संगठनों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम और अलकायदा जैसे खतरनाक संगठन भारत विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं. इन संगठनों ने पूर्वोत्तर राज्यों में उथल-पुथल मचाने के लिए अपने एजेंट सक्रिय कर रखे हैं. यह सभी एजेंट स्थानीय युवाओं को निशाना बना रहे हैं.
बांग्लादेश में जब शेख हसीना सरकार का पतन हुआ तो आई एमके जैसे आतंकी संगठन के आमिर को जेल से रिहा कर दिया गया. उसके बाद ही भारत विरोधी गतिविधियां और साजिशें शुरू हो गई. आतंकवादी एजेंट और संगठनों के बीच जुड़ाव का एक माध्यम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी रहा है. आतंकी संगठनों का एक ग्रुप पूर्वोत्तर भारत में नए लोगों को अपने संगठन में भर्ती करता था. यह सभी लोग फंड जुटाने का काम करते थे. इसके साथ ही असम और त्रिपुरा के नौजवानों को बरगला भी रहे थे.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश के रहने वाले उमर और खालिद को असम सेल के साथ तालमेल बिठाना था. उनका नेतृत्व बरपेटा का तमीम कर रहा था. उनके साथ और भी कई लोग जुड़े हुए थे. इन जिहादियों से कड़ी पूछताछ के बाद कुछ और महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं. लेकिन इन 11 जिहादियों की गिरफ्तारी ने पूर्वोत्तर राज्यों के शासको के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी चिंता में डाल दिया है. यही कारण है कि नॉर्थ ईस्ट इलाकों में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पूरे अलर्ट मोड पर रखा गया है.

