November 17, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लोकसभा चुनाव सिलीगुड़ी

बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन से सिलीगुड़ी से लेकर कोलकाता तक शोक की लहर!

बुद्धदेव भट्टाचार्य अब नहीं रहे. उनके निधन पर एक दिन का बंगाल बंद रखा गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर तृणमूल कांग्रेस, वाममोर्चा और भाजपा के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. ममता बनर्जी के साथ तो उनके काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं. ममता बनर्जी ने अपने शोक संदेश में कहा है कि उनके निधन से मैं स्तब्ध और काफी दुखी हूं. उन्होंने कहा भी है कि राजनीति अलग चीज होती है. मानवता अलग होती है. कुछ इसी तरह की मिसाल सिलीगुड़ी में भी विभिन्न दलों के नेताओं ने पेश की है.

सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव ने बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनके जीवन चरित्र और उनके कार्यों की चर्चा की और दुख की वेला पर उनके परिवार को हार्दिक संवेदना भेजी है. गौतम देव ने कहा कि बुद्धदेव बाबू एक आदर्श चेहरा रहे हैं. उन्होंने हमेशा सिद्धांतों और आदर्शों की राजनीति की है. गौतम देव ने बुद्धदेव भट्टाचार्य को याद करते हुए कहा कि बंगाली संस्कृति को जीवंत करने में बुद्धदेव बाबू ने अपना पूरा जीवन लगा दिया.

सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक और राज्य विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने अपने शोक संदेश में कहा है कि बुद्धदेव बाबू एक प्रेरणा है. उन्होंने हमेशा राजनीति में स्वच्छता को तरजीह दी. उन्होंने अपने व्यक्तिगत संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि बुद्धदेव बाबू कहते थे कि मैं कोलकाता में रहकर राजनीति करूं. उन्होंने हमेशा मूल्यों की राजनीति की है. छात्र जीवन में राजनीति करते हुए मैंने बुद्धदेव बाबू से काफी कुछ सीख ली है. वह एक उज्जवल व्यक्तित्व के मालिक थे. बुद्धदेव बाबू ने जो प्रदेश के लिए सपना देखा था, वह तो पूरा नहीं हो सका. लेकिन विश्वास है कि एक दिन उनका सपना जरूर पूरा होगा.

सिलीगुड़ी नगर निगम के पूर्व मेयर अशोक भट्टाचार्य ने अपने शोक संदेश में कहा है कि बुद्धदेव भट्टाचार्य हम सबके लिए एक प्रेरणा रहे हैं. उन्होंने अपने पारिवारिक संबंधों की चर्चा की. किस तरह से बुद्धदेव बाबू का उनके घर आना जाना और उनके परिवार के सदस्यों से संबंध रहा था. अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि बुद्धदेव बाबू के नहीं रहने से राजनीति में एक शून्यता आ गई है. उन्होंने कहा कि उनके निधन से उनकी पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है.

अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि बुद्धदेव भट्टाचार्य का दार्जिलिंग जिला और यहां की राजनीति से विशेष लगाव रहा है. उन्होंने सिलीगुड़ी में अनिल विश्वास भवन की नींव रखी थी. उन्होंने कहा कि चाहे नक्सल आंदोलन हो अथवा कामतापुरी आंदोलन या दार्जिलिंग का आंदोलन बुद्धदेव भट्टाचार्य ने हमेशा स्वच्छ राजनीति करते हुए सिद्धांत और आदर्श की बानगी प्रस्तुत की.

वाम मोर्चा के कद्दावर नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने आज आखिरी सांस ली. वेदाग छवि और भद्र लोक कहे जाने वाले बुद्धदेव भट्टाचार्य प्रदेश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए एक आदर्श चेहरा रहे हैं. उन्हें 2011 में राज्य में 34 साल के वामपंथी शासन के पतन के लिए भी याद किया जाएगा. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने एक ऐसे युग का अंत देखा जिसमें उनकी पार्टी ने सबसे लंबे समय तक सत्ता संभाली थी. पहले ज्योति बसु और फिर बुद्धदेव भट्टाचार्य.

बुद्धदेव भट्टाचार्य 80 साल के थे. उन्होंने अपने पीछे पत्नी और एक बेटी को छोड़ा है. घर पर ही उनका देहांत हुआ. पिछले कई दिनों से बुद्धदेव भट्टाचार्य वृद्धावस्था के विभिन्न रोगों से पीड़ित थे. अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं. ममता बनर्जी ने कहा भी था कि राजनीति अपनी जगह पर है. मानवता और इंसानियत अपनी जगह है.

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपनी पार्टी की उद्योग विरोधी छवि मिटाने तथा बंगाल की मृतप्राय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के उद्देश्य से औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया. प्रदेश के युवाओं के लिए उन्होंने रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने की दिशा में काम किया. उन्होंने अपने शासनकाल में निवेशकों और पूंजीपतियों को आमंत्रित किया. यह बुद्धदेव भट्टाचार्य ही थे जिन्होंने अपनी पार्टी की लीक से हटकर ब॔द की राजनीति की आलोचना की थी. हालांकि पार्टी में भी उनकी आलोचना और प्रशंसा दोनों होती रही.

बुद्धदेव भट्टाचार्य को सादगी पूर्ण जीवन जीने के लिए भी जाना जाता है. वह मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अत्यंत साधारण जीवन जीते थे. वह दो कमरों के सरकारी फ्लैट में ही रहते थे. उन्होंने कोलकाता प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक उत्तीर्ण किया था. राजनीति में आने से पहले वह एक शिक्षक थे. 1960 में उन्होंने माकपा में योगदान दिया. 1977 में पहली बार कोसीपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए .33 साल की उम्र में ज्योति बसु के नेतृत्व वाली मोर्चा सरकार में बुद्धदेव भट्टाचार्य सूचना और संस्कृति मंत्री बने.

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बंगाली संस्कृति, साहित्य, रंगमंच आदि को बढ़ावा दिया. उन्होंने कोलकाता में फिल्म एवं सांस्कृतिक केंद्र नंदन की स्थापना में सहयोग किया. 1982 में वह चुनाव हार गए. इसके बाद 1987 में राज्य मंत्रिमंडल में लौटे. 1993 में अचानक उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली. बहर हाल बुद्धदेव भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल में विकास और कला संस्कृति के उन्नयन के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *