देश में सीसीटीएनएस के तहत शत प्रतिशत थानों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा है. इसके अंतर्गत 14 करोड़ 19 लाख FIR और उससे जुड़े दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध है. 22000 अदालतें ई कोर्ट से जुड़ चुकी है. 2 करोड़ 19 लाख डाटा ई प्रिजन का, 39 लाख केसों का ई प्रोसेकयूशन का डाटा और 39 लाख फोरेंसिक साक्ष्य ई फॉरेंसिक पर ऑनलाइन उपलब्ध है. वहां पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी नहीं होनी चाहिए. परंतु सच है कि एक छोटे से मामले का फैसला आने में बरसों लग जाते हैं.
आखिर इसका कारण क्या है? भारत की आबादी लगभग एक अरब 40 करोड़ है और 2025 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की माने तो भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर सिर्फ 15 जज हैं, जबकि सिफारिश 50 की थी. इस तरह से देखा जाए तो अदालतों में लंबित केसों की संख्या अत्यधिक है, जबकि नियुक्तियों की भारी कमी है. इस तरह से पूरे भारत में कुल जजों की संख्या सिर्फ 21285 है. ऐसे में अदालतों से जल्द न्याय की कैसे उम्मीद की जा सकती है!
2025 इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट में 33% पद खाली हैं. जबकि कुल मिलाकर 21% पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई है. इसका यह अर्थ है कि जो जज कार्यरत हैं, उन पर भारी दबाव बना हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार देशभर की जिला अदालतों में एक जज के पास औसतन 2200 मुकदमे हैं. इस बात को सरकार भी समझती है. यही कारण है कि अब ए आई से अपराध रोकने और फोरेंसिक विज्ञान के इस्तेमाल से न्याय दिलाने में तेजी लाने का प्रयास शुरू हो गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीड़ितों को न्याय मिलने में हो रही देरी पर चिंता जताई है और कहा है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए तो अपराध पर रोक लगाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही पीड़ितों को न्याय मिलने में भी तेजी आएगी. उन्होंने भरोसा जताया है कि जो तीन नए आपराधिक कानून लागू किए गए हैं, उनसे अपराधियों को सजा मिलेगी और देश में कानून का शासन लागू होगा.
वर्तमान में देश में सजा की दर 54% है. सरकार की कोशिश सजा की दर में और 40% की बढ़ोतरी करना है. यह केवल फोरेंसिक विज्ञान की मदद से ही संभव हो पाएगा. अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानून में 7 साल से अधिक सजा के मामलों की जांच के लिए लगभग 30000 फोरेंसिक विशेषज्ञों की जरूरत हो सकती है. भारत सरकार इस दिशा में तेजी से जुट गई है. लेकिन सवाल सबसे बड़ा यह है कि जब तक अपराध रोकने की सटीक रणनीति नहीं होगी, तब तक कोई भी तकनीक कारगर नहीं हो सकती.