शराबी शराब पीकर उधम मचाते हैं. यह तो देखा जाता है, पर यही शराब एक पशु पी ले, तो वह भी पागल हो जाता है. जब शराब हद से ज्यादा गुजर जाए तो इंसान को पागल कर देती है. यही बात पशुओं के साथ भी लागू होती है. एक हाथी ने देसी शराब पी ली और नशे में इस कदर पागल हो गया कि उसने वॉच टावर को ही उखाड़ फेंकना चाहा. काफी देर तक हाथी नशे में उधम मचाता रहा. पर हाथी पर काबू पाने के लिए लोगों ने जो तरीका निकाला, वह और भी खतरनाक था. सवाल यह है कि इसमें हाथी का क्या दोष था? दोष शराब का था, जिसने हाथी को पागल कर दिया.
घटना माल बाजार इलाके की है. जंगल से निकलकर एक हाथी भोजन की तलाश में मैचपाड़ा में घुस आया. जब वह बस्ती में घरों के पास से गुजरा, तो खाने को तो कुछ नहीं मिला, पर ड्रमों में रखी शराब जरूर उसे नजर आई. पानी समझकर वह पी गया. लेकिन जब शराब ने उस पर असर करना शुरू किया तो हाथी का रौद्र रूप सामने आया. हाथी ने तोड़फोड़ मचाना शुरू कर दिया.
नशे में धुत होकर हाथी बेचैनी में इधर-उधर घूमता रहा. उसके सामने जो भी चीज नजर आती, वह उसे ही टक्कर मार देता. हाथी की बेचैनी देखकर कई लोग इधर-उधर जान बचाकर भागते नजर आए. कई लोग वॉच टावर पर चढ़ गए. जब हाथी ने वॉच टावर को धक्का दिया तो लोग वॉच टावर से ही कूद गए. इसके बाद लोगों ने पहले से ही नशे में धुत और आक्रामक हाथी को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. कोई हाथी की पूंछ पकड़कर खींचता रहा, तो कोई हाथी पर डंडे बरसाता रहा. कुछ लोगों ने पत्थर से ही हाथी को मारना शुरू कर दिया.
हाथी कभी खेत में तो कभी चाय बागान में भागने लगता. लेकिन हाथी जहां भी जाता, उस पर उत्पीड़न और हमला ज्यादा बढ़ जाता. चाय बागान में लगाई गई बाड़ और तारों से घायल होता रहा हाथी को वहां शरण नहीं मिली, तो वह फिर वापस खेत की तरफ भागता. जैसे-जैसे नशा बढ़ता गया, वह और ज्यादा आक्रामक होता चला गया. लोग भी उतना ही ज्यादा हमलावर होते चले गए. कुछ लोगों ने हाथी के सिर पर ही वार कर दिया. मजे की बात यह है कि हाथी की इस स्थिति को जिम्मेदार लोग जैसे माल स्क्वायड, खूनिया स्क्वायड, बिनागुड़ी स्क्वायड, गोरूमारा उत्तर और दक्षिण रेंज, बेलाकोवा और अपालचांद रेंज के वनकर्मी तमाशबीन होकर देखते रहे.
इतना ही नहीं माल पुलिस स्टेशन की टीम भी मौके पर मौजूद रही. लेकिन हाथी पर नियंत्रण पाने का किसी ने भी कोई प्रयास नहीं किया. बताया जाता है कि हाथी ने चौलाई शराब पी ली थी, जो चाय बागान के अधिकतर श्रमिक पीते हैं. इस घटना को लेकर पर्यावरण और पशु प्रेमी संगठनों ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इस घटना के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ वन कर्मियों को भी जिम्मेवार ठहराया है. इस घटना पर कोई भी वन विभाग का अधिकारी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है. जो भी हो, इस घटना ने साबित कर दिया कि शराब पीकर इंसान ही क्या, पशु भी पागल हो जाते हैं और अंजाम हमेशा बुरा ही होता है.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)