सिलीगुड़ी: हाल ही में ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा के कथित पाकिस्तान लिंक सामने आने के बाद, सिलीगुड़ी के ट्रैवल ब्लॉगर्स पर निगरानी रखने की आवाजें उठने लगी हैं।
सिलीगुड़ी, जो कि एक बेहद संवेदनशील इलाका माना जाता है, तीन देशों – नेपाल, भूटान और बांग्लादेश – की सीमाओं के करीब स्थित है। इस क्षेत्र को भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, जिसके कारण इसकी सामरिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
ज्योति मल्होत्रा, जो अपने ट्रैवल व्लॉग्स के लिए जानी जाती हैं, पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संबंध रखने का आरोप लगा है।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि मल्होत्रा ने पाकिस्तान के पक्ष में नैरेटिव गढ़ने में मदद की और संवेदनशील जानकारी साझा की। इस घटना के बाद, सुरक्षा एजेंसियां अब उन ट्रैवल ब्लॉगर्स पर भी ध्यान केंद्रित कर सकती हैं जो इस संवेदनशील क्षेत्र में सक्रिय हैं।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भू-रणनीतिक क्षेत्र है। यह एक संकीर्ण पट्टी है जो मुख्य भूमि भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ती है। इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए, यहां किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखना आवश्यक है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रैवल ब्लॉगर्स अनजाने में या जानबूझकर ऐसे क्षेत्रों की जानकारी साझा कर सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है। ऐसे में, यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सिलीगुड़ी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के ट्रैवल ब्लॉगर्स की गतिविधियों पर कुछ हद तक निगरानी रखनी चाहिए? एक महत्वपूर्ण विषय भी है जिस पर भी ध्यान की आवश्यकता है । ब्लॉगर्स ड्रोन कैमरे का उपयोग भी करते है, ड्रोन से वीडियो बनाने के क्रम में भी कई बार सवेदनशील इलाकों की तस्वीरे भी साझा हो जाती है, इस विषय पर तो कुछ दिनों पहले ही पुलिस द्वारा कड़ी कारवाई की बात की गई है।
हालांकि, निगरानी की आवश्यकता पर अलग-अलग राय हो सकती हैं। एक तरफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी है। वहीं दूसरी तरफ, अत्यधिक निगरानी से व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी का हनन हो सकता है।
फिलहाल, ज्योति मल्होत्रा मामले की जांच जारी है और इससे कई और खुलासे होने की संभावना है। लेकिन इस घटना ने निश्चित रूप से सिलीगुड़ी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय ट्रैवल ब्लॉगर्स की भूमिका और उनकी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। अब यह देखना होगा कि सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में क्या रुख अपनाती हैं और भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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