September 15, 2025
Sevoke Road, Siliguri
WEST BENGAL dooars mamata banerjee siliguri tea garden westbengal

मुख्यमंत्री के कोलकाता लौटते ही Dooars के 3 चाय बागान बंद!

As soon as the Chief Minister returned to Kolkata, 3 tea gardens in Dooars were closed!

चामूर्ची चाय बागान में काम करने वाले श्रमिक देव ने अपनी पत्नी और बच्चों को समझाया कि एक-दो दिन में बोनस मिल जाता है तो वह उनके लिए नए कपड़े और दूसरे ज़रूरी सामान खरीद देगा. पत्नी और बच्चों की आंखों में नींद नहीं थी. वे बोनस का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. उन्हें पक्का विश्वास था कि इस बार पूजा से पहले उन्हें पूरा बोनस मिलेगा. क्योंकि कुछ ही दिनों पहले दीदी के निर्देश पर श्रम विभाग और चाय बागान प्रबंधकों के बीच श्रमिकों को 20% बोनस देने का फैसला हो चुका था. ना चाहते हुए भी बागान प्रबंधक तैयार हो गए थे.

इसी तरह से रेड बैंक चाय बागान में काम करने वाले मोहन थापा की पत्नी और बच्चे रोज रात को बोनस के सपने देखा करते थे. उन्होंने सामानों की एक सूची तैयार कर ली थी कि बाजार से उन्हें क्या-क्या लेना है. बस और दो दिन की बात थी. उन्हें बोनस मिलने जा रहा था. इस खुशी में उनके कदम धरती पर नहीं पड़ रहे थे. लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि रेड बैंक ही नहीं, दो अन्य चाय बागान चामूर्ची और सुरेंद्रनगर चाय बागानों में ताला लटका दिया गया है, तो एक ही पल में वे अर्श से फर्श पर आ गए.

यह कोई पहला मौका तो है नहीं कि चाय बागान बंद हो गए या प्रबंधक बागान छोड़कर फरार हो गये. ऐसा हर बार होता आया है. खासकर पूजा के दौरान यह देखा जाता है. समस्या पूजा बोनस को लेकर होती है. बागान प्रबंधक और यूनियन के बीच समझौता नहीं हो पाता है तो सरकार चाय बागान प्रबंधकों का जबरन मुंह बंद कर देती है और एक तरफा फैसला सुना देती है. उन्हें हर हाल में बढ़ा हुआ पूजा बोनस देना होगा. बागान प्रबंधक सरकार को अपनी समस्या सुनाना चाहते हैं. लेकिन सरकार सिर्फ मजदूरों की बात सुनती है और एक तरफा फैसला सुना देती है.

यह कहना अनावश्यक नहीं होगा कि सरकार हमेशा इस मुद्दे पर राजनीति करती रही है. कोई भी पार्टी या सरकार उत्तर बंगाल के हजारों बागान श्रमिकों को नाराज नहीं कर सकती है. यह वोट बैंक का मामला होता है. बड़ी-बड़ी बातें की जाती है और किसी तरह से मजदूरों को गलतफहमी में रखा जाता है. मजदूर और उनके बच्चे सपने देखने लगते हैं. लेकिन जब उनके सपने टूटते हैं तो उनके आंसू पोछने वाला भी कोई नहीं होता. हर बार पूजा के दौरान यही सब देखा जाता है. ड्वॉरस के तीन चाय बागान चामूर्ची, रेड बैंक और सुरेंद्रनगर बंद होने से कम से कम 5000 श्रमिक परिवार रास्ते पर आ गए हैं.

वे सभी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है कि मैनेजरों को बुलाया जाएगा. चाय बागान खोले जाएंगे और मजदूरों को उनका हक यानी बोनस दिलाया जाएगा. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी से लेकर यूनियन लीडर भी यही बात कर रहे हैं. श्रम विभाग के अधिकारी भी मजदूरों को झूठा दिलासा दे रहे हैं. लेकिन मजदूरों को अब किसी पर भी भरोसा नहीं है. वे अपनी लड़ाई आप लड़ रहे हैं. उनका बोनस तो बोनस, उनकी रोजी-रोटी भी छिन गई है. घर परिवार कैसे चलेगा, यह सबसे बड़ी चिंता है. वे राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर रहे हैं. पुलिस और शासकीय अधिकारी आते हैं. धरना दे रहे मजदूरों को अपनी तरफ से समझा देते हैं और फिर राजमार्ग को खोल दिया जाता है. यही सब चल रहा है Dooars में.

एक ही रात में तीनों चाय बागानों के अचानक बंद होने को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल दौरे के ठीक बाद ऐसा क्यों हुआ? ठीक यही सवाल सिलीगुड़ी के भाजपा विधायक और विधानसभा में मुख्य सचेतक शंकर घोष उठा रहे हैं. आज उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उत्तर बंगाल के विकास के नाम पर सरकार और सरकारी तंत्र ने खुली छूट को बढ़ावा दे रखा है. शंकर घोष ने कहा कि सीएम के उत्तर बंगाल दौरा समाप्त होने के बाद कोलकाता लौटते ही तीन चाय बागान बंद हो गए. इसकी जांच होनी चाहिए.

जबकि दूसरी ओर मजदूर संगठनों का दावा है कि यह मालिकों का एक सुनियोजित मजदूर विरोधी फैसला था. प्रशासन की नाकामी सामने आ रही है. अब एक बार फिर से मजदूरों को लॉलीपॉप दिया जा रहा है. जलपाईगुड़ी जिला परिषद की सहायक अध्यक्ष सीमा चौधरी श्रमिकों को आश्वासन देती है कि जिला मजिस्ट्रेट से बात हो गई है और दो दिनों के भीतर बागान मालिकों को बुलाकर बागान खोलने की व्यवस्था कर दी जाएगी. पूजा से पहले मजदूरों को बोनस का भुगतान कर दिया जाएगा.

अधिकारियों के आश्वासन के सहारे जिंदगी काटने के अलावा मजदूरों के समक्ष अन्य कोई चारा नहीं है. लेकिन अब उनकी आंखों की रोशनी में कोई चमक नहीं है. चेहरा बुझा हुआ, आंखों में चिंता और भविष्य की अनिश्चितता साफ दिख रही है. अब तो उन्होंने इसे अपनी नियति मान ली है. किस्मत के आगे वे हार मान चुके हैं.

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