पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को यह दावा किया कि भूटान से बहकर आने वाले पानी के कारण उत्तर बंगाल में बाढ़ आई। उन्होंने कहा कि इस पानी के कारण भारी नुकसान हुआ है, और उन्होंने भूटान से मुआवजा देने की मांग की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों जलपाईगुड़ी जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रही थीं। उन्होंने जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि भूटान से बहकर आने वाले वर्षा जल ने विभिन्न नदियों के रास्ते उत्तर बंगाल में बाढ़ ला दी, जिससे बड़ी क्षति हुई है।
ममता बनर्जी ने भूटान से इस नुकसान का मुआवजा देने की अपील करते हुए कहा, “भूटान से पानी आकर हमारे क्षेत्र में बाढ़ का कारण बना। हम चाहते हैं कि भूटान हमें मुआवजा दे।” इसके साथ ही उन्होंने भारत-भूटान संयुक्त नदी आयोग के गठन की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोग इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटने के लिए महत्वपूर्ण होगा। ममता बनर्जी ने यह भी बताया कि भारत-भूटान संयुक्त नदी आयोग की बैठक इस महीने की 16 तारीख को होने वाली है, जिसमें पश्चिम बंगाल के अधिकारी भी शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य को आपदाओं से निपटने के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता से वंचित किया गया है। ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार से जो मदद मिलनी चाहिए थी, वह राज्य को नहीं मिली।
पिछले कुछ दिनों में उत्तर बंगाल में बाढ़ और भूस्खलन के कारण काफी नुकसान हुआ है। खासकर जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा और बामनडांगा क्षेत्र में बाढ़ का अधिक असर पड़ा। यहां की कई नदियों में पानी का स्तर बढ़ने से भारी तबाही हुई। ममता बनर्जी ने राहत शिविरों का दौरा किया और वहां रहने वाले लोगों से बातचीत की। उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद उन घरों का सर्वेक्षण किया जाएगा जो बह गए थे, और उन्हें फिर से बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
बता दें कि उत्तर बंगाल में 4 अक्टूबर को भारी बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ ने इलाके में व्यापक तबाही मचाई। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक कम से कम 32 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं। ममता बनर्जी इस आपदा के बाद राहत कार्यों की समीक्षा करने के लिए लगातार उत्तर बंगाल के दौरे पर हैं।
इस मुद्दे पर ममता बनर्जी की मांग और सरकार की सक्रियता से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा के असर को कम करने और प्रभावितों को राहत देने के लिए पूरी तरह से जुटी हुई है।