सिलीगुड़ी के एक स्कूल में पढ़ने वाले अरुण ने रात में एक सपना देखा. वह काफी चहक रहा था. उसके कुछ दोस्त रंग खेलने पिचकारी लेकर उसके घर आए थे. अरुण काफी खुश था. उसने दोस्तों को रंग लगाने के लिए एक बाल्टी में पानी लेकर रंग घोल दिया और उसमें अपने दोस्तों को सराबोर कर दिया. अरुण के दोस्त भी अरुण को रंग में भिगो रहे थे. अरुण को बड़ा मजा आ रहा था. फिर अरुण और उसके दोस्त एक साथ बैठकर पूआ पूरी खाने लगे. घर में होली का गीत भी बज रहा था. अरुण और उसके दोस्त होली के गीत संगीत पर नाच रहे थे…
अचानक ही किसी की आवाज से अरुण की नींद उचट गई. सुबह के 10:00 बज गए थे.अरुण के पापा उसे जगा रहे थे. अरुण आंख मलते हुए उठा और उठकर बाहर निकल गया. चारों तरफ सन्नाटा पसरा था. यह कुछ ऐसा सन्नाटा था जो अरुण को काफी कचोट रहा था. ख्वाब में तो उसने कुछ और ही देखा था. लेकिन असल में कुछ और ही नजर आ रहा था. उसका मन उदास हो गया. हर साल ऐसा ही होता है. होली से पहले काफी चहल पहल रहती है. लेकिन होली बीतते के साथ ही सन्नाटा पसर जाता है. ऐसा लगता है जैसे त्यौहार ही ना हो.
रंगों का त्यौहार होली का अवसान हो गया. रविवार से शुरू होली का मंगलवार को समापन हो गया. आमतौर पर पिछले कई वर्षों से रंगों का त्यौहार दो दिन मनाया जाता रहा है. सिलीगुड़ी में सोमवार को भी होली मनाई गई और कुछ भागों में लोगों ने मंगलवार को भी होली मनाई. आज ऐसा लग रह रहा है, जैसे सब कुछ सन्नाटे में तब्दील हो गया है. पूरा शहर सन्नाटे में तब्दील नजर आ रहा है. बर्दवान रोड जो कल तक चहल पहल में डूबा था, जलपाई मोड़ से लेकर नौका घाट पर एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाते और भागते लोग अब कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. अगर कुछ बचा है तो सड़कों पर रंगों के दाग धब्बे जो यह संकेत करते हैं कि त्यौहार गुजर गया.
त्यौहार कोई भी हो, आता है तो खुशियां लाता है. लेकिन गुजरने के साथ ही मायूसी और उदासी छा जाती है. आज लगता ही नहीं है कि इस शहर में कल होली मनाई गई थी. एस एफ रोड, विधान मार्केट, महावीर स्थान, सेवक रोड और हिलकार्ट रोड जो हर समय वाहनों तथा लोगों से गुलजार रहता है, आज वहां सन्नाटा व्याप्त है. ऐसा लगता है कि लोगों पर होली की खुमारी उतरी नहीं है. इसलिए पूरा शहर सोया हुआ है. शहर के लगभग सभी भागों में कुछ ऐसा ही आलम है. कोई हलचल नहीं. एक अजीब सी खामोशी.
लेकिन यह प्रकृति का नियम है. त्यौहार आते जाते हैं. हर त्यौहार अपने आप में एक संदेश होता है. हमें प्रकृति के बनाए नियमों के अनुसार ही चलना होता है. एक त्यौहार गुजर गया तो दूसरा त्यौहार आने वाला है. आने वाले त्यौहार का स्वागत करना चाहिए. जो गुजर गया, उसकी मीठी याद आने वाले त्यौहार को ऊर्जा से भर देगी. होली फिर आएगी. होली का संदेश है कि मन को निराश ना करो और प्रकृति के साथ चलते चलो!
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