बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार भारत विरोधी गतिविधियों में लगी हुई है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की मुलाकात के समय भी यह रवैया देखने को मिला था. अब मोहम्मद यूनुस पाकिस्तान और चीन को निर्माण कार्यों के लिए अपनी जमीन दे रहे हैं. चीन भी तैयार है और पाकिस्तान भी. दोनों ही देश मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार हो गये है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोहम्मद यूनुस ने कोलकाता के नजदीक एक बंदरगाह को चीन को सौंप दिया है. जबकि सिलीगुड़ी गलियारा के पास एक एयरबेस निर्माण के लिए चीन से निवेश करने को कहा है. उसका इस्तेमाल पाकिस्तान करने वाला है. मोहम्मद यूनुस, चीन के राष्ट्रपति और पाकिस्तान सरकार के बीच खिचड़ी पक चुकी है. एक सोची समझी साजिश के तहत भारत से वैर निकालने की तैयारी हो रही है.
सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश ने चीन और पाकिस्तान को महत्वपूर्ण स्थानो पर महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं. कोलकाता से 200 किलोमीटर दूर मोगल पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को सौंप दी गई है. जबकि पाकिस्तान के साथ मिलकर सिलीगुड़ी गलियारा के नजदीक लाल मुनीर हार्ट जिले में वायु सैन्य अड्डा बनाया जा रहा है. यह सिलीगुड़ी गलियारा से मात्र 12 किलोमीटर दूर है. बांग्लादेश के पायलटो को पाकिस्तानी जेट उड़ाने की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजा जा रहा है.
यह सभी घटनाक्रम भारत के लिए किसी रणनीतिक चेतावनी से कम नहीं है. पूर्वोत्तर राज्यों को बचाने के लिए यह जरूरी है कि सिलीगुड़ी गलियारा को बचाया जाए. अगर इस गलियारे को काट दिया जाता है तो भारत से पूर्वोत्तर हिस्सा अलग हो जाएगा. यह पूरा क्षेत्र चीन, बांग्लादेश ,म्यांमार और भूटान के साथ सीमाएं शेयर करता है. इसलिए यह बाहरी प्रभाव और सीमा पार घुसपैठ के लिए अत्यंत संवेदनशील बन जाता है.
पूर्वोत्तर भारत को बचाने के लिए केंद्र हमेशा सिलीगुड़ी गलियारा और पूर्वी हिस्से में विकास कार्यों को प्राथमिकता देता आया है. जब तक बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार रही, तब तक भारत और बांग्लादेश के संबंध मधुर बने रहे. लेकिन शेख हसीना सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने भारत के साथ रिश्ते खराब कर दिए हैं.
इस महीने बिम्सटेक की बैठक के दौरान भारत ने दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के एकीकरण के बारे में एक प्रस्ताव रखा है, जिससे बंगाल की खाड़ी इंडो पेसिफिक के उभरते रणनीतिक हिस्से का केंद्र बन गई है. लेकिन मोहम्मद यूनुस की चीन नीति इस रास्ते में खतरा है. मोहम्मद यूनुस चीन और पाकिस्तान को अपनी जमीन देकर बांग्लादेश के भविष्य को तबाह कर रहे हैं. यह बात उन्हें तब समझ में आएगी जब धीरे-धीरे बांग्लादेश चीन की जकड़ में आता जाएगा.
लेकिन भारत को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. अगर चीन बांग्लादेश में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करता है तो असम, त्रिपुरा, मिजोरम जैसे राज्यों की सीमाएं असुरक्षित हो सकती है. बांग्लादेश के जरिए चीन इन पर दबाव बढ़ा सकता है. इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में भी शक्ति संतुलन का संकट उत्पन्न होगा. भारतीय नेवी की आजादी खतरे में आ सकती है. बांग्लादेश में पहले से ही जमात ए इस्लामी और हिफाजत ए इस्लाम जैसे समूह सक्रिय हैं, जो चीन के समर्थन से भारत विरोधी एजेंडा चला सकते हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अगर बांग्लादेश ने चीनी नीति को बढ़ावा देना नहीं बंद किया तो बांग्लादेश के साथ-साथ सिलीगुड़ी गलियारा और पूर्वोत्तर भारत अशांत हो सकता है.
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