सिलीगुड़ी के युवक ने बनाया सेवक ब्रिज टूटने का फर्जी वीडियो, सोशल मीडिया पर मचा हड़कंप!
“सेवक ब्रिज टूट गया!” — इस एक लाइन ने पूरे उत्तरबंगाल में हलचल मचा दी। लोग स्तब्ध, डरे और बेचैन हो उठे। लेकिन कुछ ही देर में सामने आया सच्चाई का चेहरा — यह सब था एक झूठ, एक फर्जी वीडियो… जिसे बनाया गया था AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की मदद से। और इसका उद्देश्य था – सिर्फ और सिर्फ अफवाह फैलाकर सोशल मीडिया पर ‘वायरल’ होना।
इस भ्रामक वीडियो को फेसबुक पर पोस्ट किया था पंचम ओरांव उर्फ राहुल कुजुर नामक एक युवक ने। उसने अपनी रील में दिखाया कि सिलीगुड़ी के समीप स्थित ऐतिहासिक सेवक कोरोनेशन ब्रिज ढह चुका है। वीडियो में पुल के टूटने की ग्राफिक इमेज और झूठे दृश्य दिखाए गए। वीडियो ने देखते ही देखते आग की तरह पूरे सोशल मीडिया पर फैलना शुरू कर दिया।
उत्तरबंगाल के लिए सेवक ब्रिज न केवल एक पुल है, बल्कि जीवन रेखा है — पहाड़ और तराई को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण संपर्क माध्यम। ऐसे में इस पुल के टूटने की खबर ने जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और अलीपुरद्वार जैसे जिलों में अचानक डर और अफरातफरी फैला दी। कई लोगों ने यात्रा टाल दी, कुछ ने परिवार वालों को फोन कर खबर की पुष्टि करनी चाही, और कुछ तो खुद ब्रिज तक पहुंचने निकल पड़े।
हालांकि कई जागरूक नागरिकों ने वीडियो की सच्चाई पर सवाल उठाए और तुरंत फर्जी खबर कहकर रिपोर्ट भी किया। लेकिन तब तक हजारों लोगों तक यह झूठी जानकारी पहुँच चुकी थी।
इस पूरे मामले को सबसे पहले गंभीरता से उठाया “डूअर्स फोरम फॉर सोशल रिफॉर्म्स” के सचिव चंदन रॉय ने। उन्होंने पुलिस और साइबर सेल को इस फर्जी वीडियो की जानकारी दी। चंदन बाबू का कहना था, “यह वीडियो पूरी तरह से AI से बनाया गया है, और यह न केवल झूठा है बल्कि जनता को गुमराह करने वाला और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरनाक है।”
सूत्रों के अनुसार, पंचम ओरांव उर्फ राहुल कुजुर को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और नागराकाटा थाना में उसके खिलाफ ईमेल के माध्यम से आधिकारिक शिकायत दर्ज की गई है। शिकायत की एक कॉपी साइबर क्राइम सेल, जिला प्रशासन और राज्य स्तर के संबंधित विभागों को भी भेजी गई है।
शिकायत में साफ लिखा है कि आरोपी युवक ने AI तकनीक का दुरुपयोग कर सोशल मीडिया पर “सेवक ब्रिज टूटने” की भ्रामक रील और नकली ग्राफिक इमेज साझा की, जिससे आम जनता में अकारण डर और सामाजिक अस्थिरता फैलाने की कोशिश की गई।
गौरतलब है कि सेवक कोरोनेशन ब्रिज, जिसे आम बोलचाल में “बाघपुल” भी कहा जाता है, उत्तरबंगाल का ऐतिहासिक और रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण सेतु है। यह केवल दो जिलों को ही नहीं, बल्कि पर्वतीय और मैदानी इलाकों को आपस में जोड़ता है। ऐसे में इसके बारे में कोई भी अफवाह पूरे क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को बाधित कर सकती है।
प्रशासन ने सख्त चेतावनी दी है कि कोई भी व्यक्ति अगर AI या किसी अन्य तकनीक का इस्तेमाल कर भ्रामक सामग्री फैलाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया आज सूचना का सबसे तेज माध्यम है, लेकिन अफवाहें भी उतनी ही तेज़ी से फैलती हैं — ज़रूरत है सतर्क और जागरूक रहने की।
अब सवाल यह है — क्या हम AI को इस्तेमाल करेंगे सच्चाई के लिए, या फिर डर फैलाने के लिए?