December 22, 2024
Sevoke Road, Siliguri
दार्जिलिंग लाइफस्टाइल

फ्रांस से दार्जिलिंग तक साइकिल से यात्रा!

फ्रांस से साइकिल पर चढ़कर दार्जिलिंग तक पहुंचने वाला कोई साधारण इंसान तो हो नहीं सकता. यह कल्पना तक नहीं की जा सकती है कि कोई भी शख्स सात समुंदर पार के देश से साइकिल चलाता हुआ दार्जिलिंग तक पहुंच सकेगा. परंतु इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है. सात अजूबे के बाद आठवां अजूबा भी तैयार है. यह अद्भुत कारनामा कर दिखाया है विंसेट हिरोन ने.

युवक फ्रांस का रहने वाला है और वह फ्रांस से साइकिल चलाता हुआ दार्जिलिंग पहुंचा था. दार्जिलिंग में तेनजिंग नोर्गे शेरपा और एडम॔ड हिलेरी की एवरेस्ट विजय की स्मृति में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहल पर 1954 में एच एम आई संस्थान की स्थापना की गई थी. इस संस्थान से लगभग 50000 भारतीय और 24000 से ज्यादा विदेशियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है. फ्रांस का यह युवक भी हिमालय पर्वतारोहण संस्थान पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए साइकिल से यहां आया था.

विंसेट हिरोन ने अपनी यात्रा के क्रम में काफी रोमांच और चुनौतियों का सामना किया है. उसने 24 देशों का भ्रमण किया है. वह रूस भी गया, जहां एक जासूस के संदेह में उसे रूस की जेल में बंद कर दिया गया था. वह चीन और पाकिस्तान भी गया. सब जगह उसने साइकिल से अपनी यात्रा जारी रखी थी. फ्रांसीसी युवक ने बताया कि ताजिकिस्तान में पामीर राजमार्ग पर दो सप्ताह तक साइकिल चलाना एक कठिन चुनौती थी. उसने कहा कि तुर्की में जब वह साइकिल चला रहा था तो सड़क के कुत्तों ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया था. यह अपने आप में एक कठिन रोमांचक अनुभव है.

विंसेट 26 साल का है और वह फ्रांस का सिविल इंजीनियर भी है. बचपन से ही उसे साइकिल चलाने का शौक है. दार्जिलिंग तक पहुंचने के लिए उसने हवाई जहाज की उड़ान नहीं भरी थी. बल्कि वह कुछ अनोखा करना चाहता था साइकिल से ही लक्ष्य तक पहुंचने का इरादा कर लिया.

फ्रांसीसी युवक के अनुसार उसने विमान से यात्रा इसलिए नहीं की कि वह एक रोमांच का अनुभव करना चाहता था. उसे साइकिल चलाने में विशेष आनंद आता था. इसके साथ ही वह विभिन्न देशों की यात्रा करते हुए वहां की संस्कृतियों से प्रत्यक्ष रूबरू होना चाहता था. कठिन चुनौतियों के बीच 24 देश और 14000 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करते हुए वह दार्जिलिंग पहुंच गया. इसमें 6 महीने लग गए हैं.

फ्रांसीसी युवक बिंसेट हीरोन ने दार्जिलिंग पहुंचकर हिमालय पर्वतारोहण संस्थान में दाखिला लिया. यह पाठ्यक्रम 20 सितंबर से शुरू हुआ और 17 अक्टूबर को खत्म हुआ. इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत पर्वतारोहियों को बर्फ पर चढ़ना, मानचित्र पढ़ना और रैपलिंग के साथ-साथ पर्वतारोहण के बारे में बुनियादी शिक्षा और दीक्षा दी जाती है. युवक ने फरवरी में अपनी यात्रा शुरू की थी और 6 महीने की यात्रा पूरी कर वह दार्जिलिंग पहुंचा था.

युवक ने अपने संघर्ष के बारे में बताया कि मैं दो दिनों के लिए रूस की जेल में डाल दिया गया था. दरअसल खुफिया अधिकारियों को संदेह हुआ कि मैं एक जासूस हूं. इसी संदेह के आधार पर उन्होंने मुझे जेल में डाल दिया. उसने कहा कि जब वह उज्बेकिस्तान पहुंचा तो उसे फूड प्वाइजनिंग का सामना करना पड़ा. लेकिन जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. उसने बताया कि दार्जिलिंग एक आध्यात्मिक शहर है. और यहां के लोग बड़े ही अद्भुत हैं. उसने पाठ्यक्रम को भी अद्भुत बताया है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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