जीटीए और राज्य सरकार की पहल से दार्जिलिंग के पदमजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क को रेड पांडा कंजर्वेशन के लिए विश्वस्तरीय चिड़ियाघर का दर्जा देने की पूरी तैयारी है. हाल ही में सिक्किम के चिड़ियाघर से यहां कुछ जानवर विनिमय प्रथा के हिसाब से लाए जा रहे हैं. इनमें खास तीतर भी शामिल है. इसके अलावा हिमालयन जूलॉजिकल पार्क को हाल ही में जीटीए की ओर से भी नया स्वरूप दिया गया है. अब पदमा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में आयोजित होने वाले WAZA अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है.
यह अवार्ड विश्व स्तरीय है. इसके लिए काफी समय से प्रयास चल रहा था. वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ जू एंड एक्वेरियम अवार्ड का आयोजन सिडनी में हो रहा है. इसमें अवार्ड के लिए विश्व के तीन शीर्ष चिड़ियाघरों को नामांकित किया गया है. उनमें से दार्जिलिंग का चिड़ियाघर भी शामिल है. 7 नवंबर को सिडनी के टरंगो जू में आयोजित 79 वें वाजा वार्षिक कांफ्रेंस में अवार्ड की घोषणा की जाएगी. इस अवार्ड का पूरा नाम वाजा कंजर्वेशन एंड एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी अवार्ड है.
अगर दार्जिलिंग चिड़ियाघर के पूरे परिदृश्य पर एक नजर डालें तो यहां का रेड पांडा ही वह जीव है जो इसे विश्व स्तरीय बना रहा है. 1986 में केंद्रीय चिड़ियाघर अथॉरिटी से प्राप्त फंड के बदौलत रेड पांडा प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. रेड पांडा कंजर्वेशन ब्रीडिंग और ऑग्मेंटेशन प्रोग्राम के तहत इसका विकास किया गया था. 15 अगस्त 2003 को दार्जिलिंग के सिंगालिया नेशनल पार्क में रेड पांडा की एक जोड़ी तब चर्चा में आई थी. रेड पांडा के नाम स्वीटी और मिली है. दोनों की उम्र 5 साल थी, जब उन्हें यहां लाया गया था.
दोनों पांडा मादा है. भारत में यह एक पहला उदाहरण था, जब किसी चिड़ियाघर में ऐसे जानवर लाए गए थे. इस पर काफी रिसर्च किया गया.डीएनए प्रक्रिया के बाद दोनों मादा पांडा को दूसरे जंगली पांडा से भिन्न पाया गया और यही विशिष्टता उसे विश्व स्तरीय बनाती है. इन रेड पांडा के कारण दार्जिलिंग का चिड़ियाघर आज विश्व स्तरीय बन चुका है.
स्वीटी और मिली की कहानी को एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए चर्चा में लाया गया था. वाइल्डलाइफ फिल्म मेकर्स अजय और विजय बेदी ने इस पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी. इस फिल्म ने 11 इंटरनेशनल अवार्ड और ग्रीन ऑस्कर में भी उपस्थिति दर्ज कराई थी और इस तरह से एक इतिहास रच दिया था. एक फॉरेस्ट अधिकारी के अनुसार 2022 और 2024 के दौरान 9 रेड पांडा सिंगालिया नेशनल पार्क में छोड़े गए थे, जहां उन्होंने पांच cubs को जन्म दिया था.
बहरहाल, दार्जिलिंग के चिड़ियाघर को मिलने जा रहे विश्व स्तरीय अवार्ड से जीटीए काफी खुश है. उम्मीद की जा रही है कि रेड पांडा के चलते दार्जिलिंग का यह चिड़ियाघर विश्व के तीन चिड़ियाघरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल होगा.
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