विधानसभा चुनाव 2026 से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी के संगठनात्मक स्तर पर कई बदलाव कर रही है. एक कुशल रणनीतिकार के तहत समाज के विभिन्न वर्गों, भाषा भाषी और अंतिम पायदान के लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. कुछ ही समय पहले पार्टी के संगठनात्मक फेरबदल के जरिए कई नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी दी है, तो कुछ पुराने चेहरों को आराम करने के लिए या फिर सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया है.
उत्तर बंगाल में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश और हिंदी भाषियों को भाजपा से अलग करके पार्टी से जोड़ने की रणनीति के तहत ममता बनर्जी ने यहां संगठन से लेकर पार्टी स्तर तक कई बदलाव किए हैं. कुछ समय पहले उन्होंने जिस SJDA सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण को निष्क्रिय कर दिया था और उसके अधिकारियों की छुट्टी कर रखी थी, उसे दोबारा पुनर्जीवित किया है.
हिंदी भाषा से आने वाले और पार्टी के युवा चेहरे के रूप में चर्चित पूर्व एसजेडीए उपाध्यक्ष दिलीप दुगड़ को मुख्यमंत्री ने एक बड़ी जिम्मेवारी दी है. उन्हें SJDA का चेयरमैन बनाया गया है. इससे पहले दिलीप दुगड़ सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन थे. सौरभ चक्रवर्ती तब चेयरमैन थे.
उनके कार्यकाल में सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के तहत वित्तीय लेखा जोखा में गड़बड़ी पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण को निष्क्रिय कर दिया था और उसके पदाधिकारियों की छुट्टी कर दी थी. उनमें सौरभ चक्रवर्ती के साथ-साथ दिलीप दुगड़ भी शामिल थे.
जानकार मानते हैं कि हाल ही में मुख्यमंत्री की उत्तर बंगाल यात्रा के दौरान आयोजित व्यवसाईयों के कार्यक्रम में दिलीप दुग्गड़ ने मुख्यमंत्री की भूरी भूरी प्रशंसा की थी. समझा जाता है कि ममता बनर्जी ने इसी का उन्हें यह सिला दिया है और उनका कद ऊंचा कर दिया है. मुख्यमंत्री ने सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन के रूप में प्रतुल चक्रवर्ती को य जिम्मेदारी दी है. प्रतुल चक्रवर्ती वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम के चेयरमैन है.
अब देखना होगा कि सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में दिलीप दुगड़ मुख्यमंत्री की कसौटी और उनके विश्वास पर कितना खरा उतरते हैं. यह भी कि यह बड़ी जिम्मेदारी वे किस तरह से निभाते हैं. क्योंकि एक बार फिर से पुनर्जीवित सिलीगुड़ी जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण की विभिन्न चुनौतियों से उन्हें निबटना भी होगा. उनके कार्यकाल में वित्तीय लेखा-जोखा की गड़बड़ी की जांच और 2026 के विधानसभा चुनाव में उत्तर बंगाल में पार्टी को जीत दिलाने में उनकी मेहनत और रणनीति की भी परीक्षा होगी.
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