सिलीगुड़ी में धुआं विवाद चल ही रहा है. हवा की गुणवत्ता में निरंतर ह्रास हुआ है. प्रशासनिक स्तर पर भी यह बात स्वीकार कर ली गई है.ऐसे में बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं. आखिर सिलीगुड़ी के पर्यावरण में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जाएं. यह इसलिए भी जरूरी है कि सिलीगुड़ी पूरे भारत में पर्यटकों का एक आकर्षक स्थल रहा है. लोगों को कहीं भी जाना होता है, जैसे पूर्वोत्तर राज्य, पहाड़, Dooars अथवा पड़ोसी देशों में तो उन्हें सिलीगुड़ी आना ही होता है. ऐसे में यह जरूरी है कि सिलीगुड़ी की आबोहवा को और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए तथा यहां स्वच्छता के लिए भी काम किया जाए.
सिलीगुड़ी में वाहनों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है. इससे प्रदूषण फैल रहा है. अब जरूरत वाहनों में स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल की है. डीजल चालित वाहनों से सिलीगुड़ी और आसपास के वातावरण में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इसलिए स्वच्छ ईंधन और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक वाहनों पर ध्यान देना जरूरी है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन एक अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर यहां लोग काफी संख्या में इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल करने लग जाए तो इससे निश्चित रूप से हवा में प्रदूषण के स्तर में कमी देखी जा सकती है. पर स्थिति यह है कि लोग इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल करना ही नहीं चाहते.
इसके बहुत से कारण भी हैं. सबसे बड़ा कारण चार्जिंग का है. सिलीगुड़ी और आसपास के इलाकों में चार्जिंग स्टेशन की काफी कमी है. राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर तो दिया है परंतु चार्जिंग स्टेशन की कमी के चलते लोग इलेक्ट्रिक वाहन लेना पसंद नहीं कर रहे हैं. अगर सिलीगुड़ी से मालदा तक की बात करें तो इस पूरे सफर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक या दो ही चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध है. ऐसे में लोग भी सोचते हैं कि चार्जिंग स्टेशन पर्याप्त नहीं है तो गाड़ी लेने से क्या फायदा. अगर सरकार इस ओर ध्यान दे और पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन की स्थापना करे तो इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में वृद्धि हो सकती है.
बहुत से लोगों के मन में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई तरह के द्वंद्व और अनिश्चितताएं भी देखी जाती है. जैसे पहाड़ में इलेक्ट्रिक वाहनों का कोई भविष्य नहीं है. लोग यह समझते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन चढ़ाई करने में असमर्थ हैं. इसके अलावा दार्जिलिंग, सिक्किम, कालिमपोंग आदि इलाकों में कोई चार्जिंग स्टेशन भी नहीं है. इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी क्षमता और चार्जिंग सुविधाओं में कमी के चलते भी लोग इलेक्ट्रिक वाहन लेना पसंद नहीं कर रहे हैं. और भी कई कारण है, जिसके चलते इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल सुविधाजनक नहीं है. जैसे बरसात के समय में रास्ते खराब हो जाते हैं.खराब रास्तों पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाना कठिन होता है.
अध्ययन से कई बातें स्पष्ट हो जाती है. बुनियादी सुविधाओं की कमी तो है ही, इसके अलावा राज्य सरकार के उत्साह में भी कमी दिखाई दे रही है. लोगों में इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर जागरूकता की भी कमी दिख रही है. लोगों की अनिश्चितताएं और शंकाओं के समाधान के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है. क्योंकि कुछ ऐसे मिथक हैं जो निराधार हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से लोगों को दूर रखते हैं. लोगों को यह बताने की जरूरत है कि इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल और डीजल के वाहनों की तरह ही किसी भी मौसम और स्थिति में मजबूती से चल सकते हैं.
कुछ लोग इलेक्ट्रिक वाहन लेना तो चाहते हैं, परंतु अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत अधिक है. अगर कंपनियां और सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के इच्छुक लोगों को सब्सिडी और अन्य सुविधा दे तो समस्या का काफी हद तक समाधान किया जा सकता है. जो भी हो, पूर्व में राज्य परिवहन विभाग ने सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशन से लेकर कई तरह के उपायों की बात कही थी. अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अपने पूर्व के संकल्प को पूरा करने के लिए कदम उठाए. सिलीगुड़ी को स्वच्छ बनाने के लिए इस तरह के कदम उठाना आवश्यक है.
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