नेपाल के भूकंप में जान माल की भारी क्षति हुई थी. नेपाल के भूकंप के बीते ज्यादा समय नहीं हुआ है. आज एक बार फिर से दिल्ली और एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. दिल्ली एनसीआर के अलावा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. यह भूकंप 4:18 पर आया है. भूकंप के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल कर खुली जगह की ओर जाते दिखे. भूकंप के झटके नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी महसूस किए गए. इस भूकंप का केंद्र नेपाल रहा. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.6 मापी गई है. इससे पहले शुक्रवार की देर रात में भी नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई थी.
जैसा कि आप जानते हैं कि पृथ्वी टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है.इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. इस पर भी यह प्लेट्स तैरती रहती है. कई बार यह प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर यह प्लेट्स टूटने लगती है. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है. इससे डिस्टरबेंस बनता है और भूकंप आता है. आज के भूकंप के बाद विश्लेषकों का ध्यान पश्चिमी नेपाल में सालों से मौजूद बड़े भूकंप के खतरे की ओर भी गया है.
वैज्ञानिक अध्ययनों में कहा गया है कि पश्चिमी नेपाल की सतह के नीचे 500 वर्षों से भूकंपीय ऊर्जा जमा हो रही है. यह प्रचंड रूप ले रही है. इससे रिक्टर स्केल पर 8 या उससे भी अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार नेपाल के जाजरकोट में आए भूकंप के बाद से चार तीव्रता के अधिक तीन झटके और 35 से अधिक छोटे छोटे झटके दर्ज किए जा चुके हैं. पिछले कुछ महीनो में पश्चिमी नेपाल के जिलों में लगातार भूकंप आ रहे हैं.
जानकार मानते हैं कि जिस इलाके में 500 साल पहले भीषण भूकंप आया हो, उस इलाके में 8 या इससे भी ज्यादा तीव्रता वाला शक्तिशाली भूकंप आ सकता है. पृथ्वी की सतह के नीचे की भारतीय प्लेट हर साल 2 सेंटीमीटर की दर से उत्तर की ओर यूरेशियन प्लेट की बढ़ रही है. इससे हिमालय क्षेत्र में भूकंपीय दरारें पैदा हो रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की चुंबकीय प्लेटों की गति के कारण नेपाल में हर साल भूकंपीय ऊर्जा जमा हो रही है.
नेपाल में यूं तो हर दिन भूकंप आते हैं. लेकिन उन्हें महसूस नहीं किया जाता. इससे पहले 2015 में नेपाल में आया भूकंप इतना विनाशकारी था कि इसमें 9000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. इस भूकंप का प्रभाव बिहार, पश्चिम बंगाल ,उत्तर प्रदेश और अन्य भारतीय राज्यों पर भी पड़ा था. नेपाल में 1505 में एक ऐसा भूकंप आया था, जिसने दिल्ली की कुतुब मीनार से लेकर लहासा तक भारी नुकसान किया था. जानकारो के अनुसार इससे भी ज्यादा खतरनाक भूकंप नेपाल में आ सकता है.
नेपाल के भूकंप का असर भारतीय राज्यों में नहीं पड़े, ऐसा हो नहीं सकता. ऐसे में अगर नेपाल में अब तक के सबसे शक्तिशाली भूकंप का खतरा बना हुआ है तो ऐसे में वैज्ञानिकों को अभी से ही बचाव की तैयारी में जुट जाना चाहिए. कोसी से लेकर सिक्किम दार्जिलिंग तक 1300 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में जानकार मानते हैं कि इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा भूकंप आ सकता है. नेपाल को चाहिए कि भूकंप से बचाव के लिए बुनियादी ढांचों पर ध्यान दे ताकि भूकंप आने पर जान माल को ज्यादा नुकसान न पहुंचे. नेपाल के साथ-साथ भारत के लिए भी यह चिंताजनक स्थिति है.दोनों देशों को इस संबंध में एक मजबूत पहल और सुधार की कोशिश करनी चाहिए.