अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इसी साल के आखिर तक सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल और संपूर्ण प्रदेश में सड़कों पर इलेक्ट्रिक बसें दौड़ती नजर आएगी. पश्चिम बंगाल सरकार ने 1100 इलेक्ट्रिक बसों का एक कंपनी से करार कर दिया है. सूत्र बता रहे हैं कि जल्दी ही अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बसों का प्रदेश में आना शुरू हो जाएगा.
हालांकि शुरू में कोलकाता और प्रमुख नगरों में ईबसे आएगी. धीरे-धीरे छोटे बड़े शहरों में भी बसों की संख्या बढ़ती जाएगी. इलेक्ट्रिक बसों से एक तरफ जहां पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता तो दूसरी तरफ लोगों की जेब पर भी बोझ नहीं पड़ता. इलेक्ट्रिक बसों में भाड़ा बहुत कम होता है. यात्रा भी आरामदायक रहती है. उत्तर बंगाल में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का पहले से ही कार्यक्रम तैयार हो चुका है. अब पक्का हो गया है कि जल्द ही यहां इलेक्ट्रिक बसें दौड़ना शुरू कर देंगी.
जिस तरह से देशभर में डीजल और पेट्रोल का भाव बढ़ा है, उसके कारण डीजल की जगह इलेक्ट्रिक बसों की मांग बढ़ गई है. सरकार भी चाहती है कि इलेक्ट्रिक बस अधिक से अधिक संख्या में चले. ताकि डीजल पर महंगाई का असर लोगों की जेब पर ना पड़े. इसके अलावा डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों से प्रदूषण बढ़ता है. स्वच्छ पर्यावरण के लिए भी इलेक्ट्रिक बस वक्त का तकाजा है. विधानसभा समिति की अनुशंसा को सरकार ने मान लिया है.
एक साल पहले ही विधानसभा की प्राक्कलन समिति ने अनुशंसा की थी और एक रिपोर्ट विधानसभा में रखा था. इस पर सरकार ने मुहर लगा दी है. सूत्र बता रहे हैं कि इसी साल के आखिर में कोलकाता समेत प्रदेश के सभी इलाकों में इलेक्ट्रिक बसें आ जाएंगी. सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में भी इलेक्ट्रिक बसें चलाने का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है. हालांकि एक बार में संपूर्ण रुप से इलेक्ट्रिक बसें चला पाना व्यवहारिक रूप से मुमकिन नहीं है.
विधानसभा समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि राज्य में चल रही सरकारी बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदला जाए और इसके लिए सरकार से व्यवस्था करने की मांग की गई है. उत्तर बंगाल परिवहन निगम की बसों की हालत काफी खस्ता हो चुकी है. इसका कारण बसो का सही रखरखाव नहीं हो पा रहा है. परिवहन विभाग से इस पर ध्यान देने को कहा गया है.